2 शिक्षण पर्यावरण के बारे में विचार करते हुए

लोग अपने घरों के आसपास के परिवेश को यथासंभव अधिक सुखद बनाने के लिए बहुत अधिक समय और ऊर्जा लगाते हैं। अपनी कक्षा को आकर्षक और दिलचस्प बनाने से आपको अपने विद्यार्थियों को विज्ञान सीखने में शामिल करने में मदद मिलेगी। पत्रिकाएं और समाचार पत्र सहायक सामग्री के रूप में होते हैं क्योंकि उनमें ऐसे लेख और तस्वीरें होती हैं जो कि विज्ञान के पाठ्यक्रम से जुड़े होते हैं। आप अपने विद्यार्थियों के कार्यों को प्रदर्शित भी कर सकते हैं।

गतिविधि 2: अपनी कक्षाओं को अधिक रूचिकर और उत्साहपरक बनाना।

प्रदर्शित करने के लिए रूचिकर वस्तुओं चित्रों की एक फाइल या बॉक्स में रखना शुरू करें। अपने आसपास के परिवेश को लेकर सजग रहें। अपने राज्य, देश और दुनिया के बारे में मौजूदा और समकालीन विषयों की अद्यतन जानकारी रखें। किसी भी स्रोत से विज्ञान से संबंधित मिली किसी जानकारी या खबर को रखना उपयोगी साबित होता है। आप नहीं कह सकते कि कब यह उपयोगी साबित हो जाएगी!

जब आप अनेक चित्र और लेख एकत्र कर लेते हैं, तो वर्तमान में आपके द्वारा पढ़ाए जा रहे विषय से संबंधित प्रदर्शन बनाएं। आप अपने कुछ विद्यार्थियों के कार्य भी शामिल कर सकते हैं और आप कुछ विद्यार्थियों को प्रदर्शन तैयार करने में मदद करने के लिए भी कह सकते हैं।

केस स्टडी 2 में, श्री गुप्ता ने यह वर्णन किया कि किस प्रकार से उन्होंने दीवारों पर प्रदर्शन तैयार करके और संबंधित सामग्री को एकत्र करके कक्षा के पर्यावरण में सुधार किया था।

केस स्टडी न 2: श्री गुप्ता अपनी कक्षा को सजाते–संवारते हैं

श्री गुप्ता ने बताया कि उन्होंने किस प्रकार से कम खर्च में पत्रिकाओं तथा समाचार पत्रों की कतरनों का प्रयोग करके अपनी कक्षा को रंगारंग रूप में सजाया था।

मुझे किसी रिश्तेदार से मिलने के लिए एक दिन पास के शहर में जाना पड़ा था। हम होटल में थे और मैं उनकी प्रतीक्षा कर रहा था तो मैंने देखा कि कतरन (किटंग) में मेजों पर कुछ पत्रिकाएं रखी थीं तथा उनमें अनेक दुर्लभ जानवरों और उनके निवास स्थलों की बहुत अच्छी तस्वीरें थीं। मुझे ध्यान आया कि इनका प्रयोग कक्षा में दीवारों पर प्रदर्शन के लिए किया जा सकता है। मैंने रिसेप्शनिस्ट से पूछा कि क्या उनके पास पुरानी पत्रिकाएं हैं? जिन्हें मैं ले जा सकता हूं। उसने मुझे बहुत सी पत्रिकाएँ दे दीं। बाद में मैं कुछ दूसरे होटलों में गया और उन्होने मुझे कुछ पत्रिकाएं और यात्रा संबंधी पुस्तकें दीं। मुझे इस बात को लेकर आश्चर्य हुआ कि इनको इकठ्ठा करना कितना आसान था।

घर पर मैंने पुराने समाचार पत्रों से भी तस्वीरें खोजीं, तथा पत्रिकाओं में उपलब्ध चित्रों को सावधानी से इनको काट कर अलग निकाल लिया। हमें ‘जीवन प्रक्रियाएं’ विषय को पढ़ना शुरू करना था, इसलिए मैंने उस विषय के संबंध में तीन प्रदर्शन तैयार किए थे। एक प्रदर्शन पर, मैंने पौधों की तस्वीरें लगाई थीं, जिनके साथ कुछ प्रश्न भी थे जैसे– ‘पौधे अपना भोजन किस प्रकार से बनाते हैं?’ ‘पौधों में परिवहन प्रणालियां क्या होती हैं?’ मैंने पानी के एक कलश में एक सफेद फूल भी लगाया था। मैंने पानी में कुछ खाद्य रंगों को डाला तथा धीरे–धीरे फूल नीला हो गया। यह उस समय बहुत उपयोगी साबित हुआ जब हमने ‘पौधों में परिवहन’ खण्ड़ को पढ़ाया था।

दूसरे प्रदर्शन में मैंने खेलकूद में लगे लोगों की चित्र को लगाया था, जिनमें ‘वह अपनी ऊर्जा कहां से प्राप्त करता है?’ और उसे किस प्रकार की पौष्टिक भोजन की आवश्यकता है?’ आदि प्रश्न लगाए थे। अंत में मैंने चिकित्सीय सहायता के कुछ विज्ञापनों और एक अस्पताल की तस्वीर को लगाया था, जिससे एक स्वस्थ दिल को बनाए रखने से संबंधित प्रदर्शन को तैयार किया जा सके। मैंने सभी कतरनों को अपनी कक्षा की दीवार पर टांग दिया था। उनको आकर्षक बनाने के लिए उनको क्रमवार लगाने में मेरा कुछ समय लगा। मैंने कुछ सफेद कागजों पर प्रश्न भी लिखे, जो मेरे द्वारा काम पूरा कर लिए जाने पर बैनर की तरह दिखाई दे रहे थे।

मेरी सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों ने जब पहली बार कमरे में प्रवेश किया तो सभी की प्रतिक्रिया आश्चर्य तथा रूचिपूर्ण थी। उसके बाद, कुछ विद्यार्थियों ने मुझे मेरे प्रदर्शन से प्रेरित होकर उन्हें मिली कुछ चित्रों को मुझे लाकर दिया था। विषय के संबंध में शिक्षण के समय, तत्काल चर्चा के लिए मैं प्रदर्शन करने में समर्थ रहा। इससे कमरा घर जैसा दिखाई देने लगा था और ऐसा करना बहुत आसान भी था। मेरे विद्यार्थियों को विषय के प्रति उनका जुड़ाव देखने को मिला जो हम उस समय कक्षा में पढ़ रहे थे।

1 चुनौतीपूर्ण संदर्भ में एक साधन सम्पन्न अध्यापक होना

3 संसाधनों के रूप में स्थानीय समुदाय और पर्यावरण का उपयोग करना