यह दृष्टिकोण क्यों महत्वपूर्ण है

राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा (2005) में कहा गया है कि भारत में विज्ञान की शिक्षा द्वारा विद्यार्थियों को उनके पर्यावरण के प्रति अधिक जागरूक बनाने और भावी पीढ़ियों के लिए इसकी सुरक्षा के महत्व को समझाने में मदद करनी चाहिए।

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  • आपको क्या लगता है? भारत सरकार ने पाठ्यचर्या की रूपरेखा–2005 में विज्ञान, पर्यावरण और सामाजिक मुद्दों को क्यों सम्मिलित किया है?
  • एक विज्ञान शिक्षक के रूप में आपके लिए मुख्य आशय क्या हैं?

विज्ञान शिक्षा के इस दृष्टिकोण (ओसबोर्न, 2010 ) को दो मुख्य तर्कों पर सरकार ने विचार किया हो–

  • आर्थिक तर्क। एक विकासशील अर्थव्यवस्था वाले देश को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए वैज्ञानिकों की निरंतर आपूर्ति की आवश्यकता होती है। वैज्ञानिक पर्यावरण और स्वास्थ्य सम्बन्धी मुद्दों के समाधान हेतु काम कर सकते हैं, और नीति को सूचित करने के लिए साक्ष्य उत्पन्न कर सकते हैं।
  • लोकतांत्रिक तर्क समाज के सामने आने वाली कई समस्याएँ जटिल होती हैं और उनका समाधान अक्सर विज्ञान के साथ–साथ अर्थशास्त्र और राजनीति पर भी निर्भर होता है। एक सशक्त लोकतंत्र वह होता है जिसमें नागरिक भली–भांति जागरुक होते हैं, जो एक से अधिक दृष्टिकोणों पर विचार करने के महत्व की सराहना करते हैं तथा लोकतांत्रिक प्रक्रिया में सक्रिय रूप से भाग लेते हैं।

आपके लिए इसका आशय है कि आपके विद्यार्थियों को यह समझना चाहिए कि विद्यालय में विज्ञान का अध्ययन महत्वपूर्ण होता है भले ही वे विद्यालय के बाद विज्ञान का अध्ययन नहीं करना चाहते हों। जटिल विज्ञान के मुद्दों के सम्बन्ध में उनकी जागरूकता और समझ को बढ़ाकर, आप अपने विद्यार्थियों को लोकतंत्र में भाग लेने के साथ–साथ संभवतः आर्थिक विकास में योगदान करने के लिए भी शिक्षित कर रहे हैं।

आप इस इकाई में क्या सीख सकते हैं

1 पर्यावरण और सामाजिक मुद्दों और पाठ्यक्रम के बीच संबंध बनाना