1 पर्यावरण और सामाजिक मुद्दों और पाठ्यक्रम के बीच संबंध बनाना

आपकी पुस्तक में विज्ञान के सामाजिक, तकनीकी और पर्यावरणीय पहलुओं से संबंधित अध्याय अक्सर पुस्तक के अंत में होते हैं, और पाठ्यपुस्तक हमेशा मुद्दों और विज्ञान के विचारों के बीच संबंध को स्पष्ट नहीं करती है।

विज्ञान में अपने विद्यार्थियों की रूचि बढाने का एक तरीका प्रत्येक विषय को पढ़ाते समय उसमें सामाजिक और पर्यावरण के मुद्दों को एकीकृत करना है। आपको स्वयं से पूछने की आदत विकसित करने की आवश्यकता है कि ’यह विषय मेरे विद्यार्थियों के जीवन से कैसे संबंधित है?’

आप समाचार पत्रों, समाचार बुलेटिनों और पत्रिकाओं से विचार प्राप्त कर सकते हैं और आप स्थानीय, राष्ट्रीय और वैश्विक मुद्दों के बारे में जागरूकता विकसित कर सकते हैं।

गतिविधि 1: संबंध बनाना

यह गतिविधि आप स्वयं ही या अन्य शिक्षकों के साथ मिलकर कर सकते हैं। आपको 2005 के बाद लिखी गई किसी पाठ्यपुस्तक का उपयोग करने की आवश्यकता होगी।

यह गतिविधि दो अलग–अलग भागों में विभाजित है। इससे आपको विज्ञान के पाठ्यक्रम के साथ सामाजिक और पर्यावरणीय सम्बन्धी मुद्दों के संबंध में जागरूकता पैदा करने में मदद मिलेगी।

भाग 1: समाचार से विचार प्राप्त करना

टीवी पर समाचार देखें, रेडियो पर बुलेटिन सुनें, समाचार पत्र या इंटरनेट पर समाचार वेबसाइट खोजें। ऐसे समाचारों की एक सूची बनाएं जिनमें विज्ञान का कोई आधार हो और जो माध्यमिक विज्ञान पाठ्यक्रम के लिए प्रासंगिक हो।

एक फाइल में ऐसे सभी लेखों को रखें जिनकी आप बाद में सहायता ले सकते हैं।

भाग 2: मुद्दों को विज्ञान से जोड़ना

पाठ्यपुस्तक के सम्बन्धित अध्यायों को देखें। यहीं आपको ’प्राकृतिक संसाधनों’, ’खाद्य संसाधनों’ या ’हमारे पर्यावरण’ के बारे में जानकारी मिलेगी। वर्ष के अंत में, समय का अभाव होने पर इन अध्यायों के बजाय, आप पिछले तीन अध्यायों के मुद्दों और उनके विज्ञान के विषयों के बीच संबंध कैसे बनाए जा सकते हैं? इसके बारे में सोचें।

तालिका 1 का अनुकरण कर उसे पूरा करें।

तालिका 1 विज्ञान के विषयों को पर्यावरण के मुद्दों से संबंधित करना।
विज्ञान विषयपर्यावरण संबंधी मुद्दे
जैविक रसायन शास्त्र – हाइड्रोकार्बन्सजैवसड़नशील (बायोडीग्रेडेबल) और अजैवसड़नशील (नॉन–बायोडीग्रेडेबल) कूड़ा
पादप ऊतकफसल उत्पादन का प्रबंधन
जल आपूर्ति
जल प्रदूषण
जीवाश्म ईंधन की आपूर्ति और उपयोग
खाद्य श्रृंखला में कीटनाशक
ओज़ोन परत का नुकसान

जब आप विज्ञान के प्रत्येक विषयों का अध्यापन करते हैं तो आपको यह याद रखने की आवश्कता होगी कि आपको संबंधित पर्यावरण के मुद्दों का अध्ययन करने में कुछ समय बिताना होगा। यह आपके विद्यार्थियों के लिए विषय को और अधिक रोचक बना देगा। सजग चर्चा में भाग लेने में और मुद्दों के बारे में निर्णय करने में उन्हें अपने विज्ञान के ज्ञान और समझ का उपयोग करने में सक्षम बनाएगा।

विचार के लिए रुकें

  • आपके क्षेत्र में स्थानीय पर्यावरण के मुद्दे क्या हैं?
  • क्या आपके विद्यार्थी पहले से ही पाठ में इन मुद्दों में से किसी के बारे में चर्चा करते हैं?
  • आपके विद्यार्थियों की रूचि किन मुद्दों में है? क्या आप माध्यमिक विज्ञान के पाठ्यक्रम से संबंधित किसी उदाहरण के बारे में सोच सकते हैं?

संभवतः आपने जिन चीज़ों के बारे में सोचा है उनमें ये सम्मिलित हों जल आपूर्ति, जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, खेती की पद्धतियाँ, बिजली उत्पादन, स्वास्थ्य और खाद्य आपूर्ति, यद्यपि निश्चित रूप से ये या इससे अधिक कई मुद्दे हो सकते हैं।

एक बार आप विज्ञान से संबंधित सामाजिक और पर्यावरण के मुद्दों से परिचित हो जाते हैं, तो आप बहुत अधिक अतिरिक्त समय लिए बिना ही उन्हें अपने शिक्षण में सम्मिलित कर सकते हैं। केस स्टडी 1 में, एक शिक्षिका बताती है उन्होंने अपनी कक्षा में इसे कैसे किया

केस स्टडी 1: समाचार विषय वस्तु को चिकित्सा के मुद्दे से जोड़ना

श्रीमती वर्मा वर्णन करती हैं कि उन्होंने समाचार के विषय वस्तु का उपयोग, गुर्दे के अध्ययन से संबंधित एक सामाजिक मुद्दे को उजागर करने के लिए कैसे किया

एक सप्ताहांत मैं एक फिल्म, द शिप ऑफ थीसियस देखने गई। यह काफी परेशान करने वाली फिल्म थी और इसने मुझे अंग दान के बारे में सोचने के लिए विवश किया। मुझे याद आया कि मेरे फाइल में एक समाचार लेख था जो पैसों के लिए बेताब एक युवा मज़दूर के बारे में था। उसे बहुत सारे पैसों के लिए अपने एक गुर्दे को दान करने के लिए मनाया गया था। क्योंकि इस तरह से अंगों को बेचना अवैध है। वह एक अच्छे अस्पताल में नहीं गया जिसके कारण उसे बहुत बुरा संक्रमण हो गया। उसे अधिकतर पैसे दवाओं पर खर्च करने पड़े।

सोमवार को मुझे कक्षा को गुर्दे के बारे में पढाना था। हम ’जीवन प्रक्रियाओं’ के अध्याय में ’परिवहन’ का अध्ययन कर रहे थे। मैंने ब्लैकबोर्ड पर एक नेफ्रॉन का चित्र बनाया और अपने विद्यार्थियों से अपने–अपने पाठ्यपुस्तक में उसके लेबलों को ढूँढने के लिए कहा। हमने लिखा कि गुर्दे क्या काम करते हैं? और कैसे? मैंने समझाया यद्यपि हमारे पास दो गुर्दे होते हैं, हम एक के साथ भी जीवित रह सकते हैं। मैंने पूछा ’क्या कोई जानता है? कि आपके गुर्दे ठीक से काम नहीं करने पर क्या होता है?’

शांका ने हमें बताया कि उसके चाचा बहुत गरीब हैं और उन्हें प्रत्येक सप्ताह डायलिसिस के लिए अस्पताल जाना पड़ता था क्योंकि उन्हें गुर्दे की बीमारी थी। छह महीने पहले उनके चचेरे भाई ने उन्हें एक गुर्दा दान किया। अब वे एक सामान्य जीवन जीते हैं।

फिर मैंने अपने विद्यार्थियों को अखबार का एक लेख पढ़कर सुनाया जिसमें एक गरीब व्यक्ति को अपना गुर्दा बेचने के लिए मनाया गया था। वे उस घटना में बहुत रुचि ले रहे थे तथा उनमें से कई बहुत गुस्से में थे। मैंने अपने विद्यार्थियों से पूछा, ’शांका के चाचा और उस गरीब मज़दूर के साथ जो हुआ, उसे ध्यान में रखते हुए, क्या आपको लगता है कि अंग दान एक अच्छी बात है?’ मैंने उन्हें कुछ मिनट आपस में यह बात करने के लिए दिया कि वे इसके बारे में क्या सोचते हैं? और क्यों? मैंने वहाँ घूमकर उनकी बातचीत सुनी। फिर मैंने चार ऐसे विद्यार्थियों को चुनकर कक्षा के सामने रखा जिनके थोडे अलग अलग विचार लग रहे थे।

अंत में, मैंने उन्हें एक फिल्म के बारे में बताया जो मैंने देखी थी। उनमें से कुछ विद्यार्थी उसे देखना चाहते थे। मैंने उन्हें चेतावनी दिया कि वह बहुत परेशान कर सकती है।

कमरे से बाहर जाते समय भी वे आपस में इसी मुद्दे पर बहस कर रहे थे। उनकी बातों को सुनकर श्री सिंह अपने कमरे से बाहर, गलियारे में आ गए। वे विद्यार्थियों को विज्ञान के पाठ के बारे में बात करता सुनकर हैरान थे। वे यह पूछने आए कि हम क्या कर रहे थे? और उन्होंने स्वयं ही उसका प्रयास करने का फैसला किया। मैंने उन्हें अखबार का वह लेख दिया। उसके बाद हमने बार–बार विचारों और संसाधनों का आदान–प्रदान किया।

श्रीमती वर्मा ने विद्यार्थियों को अपने पड़ोसी से बात करने के लिए कहा। इस प्रकार से जोड़ी में काम करने से बहुत कम समय में कार्य करने का लाभ मिलता है। अगले भाग में, आप एक ऐसा अभ्यास करेंगे जिसमें एक समूह में गतिविधि करना शामिल होगा।

यह दृष्टिकोण क्यों महत्वपूर्ण है

2 समुदाय आधारित दृष्टिकोण की शिक्षा