2 समुदाय आधारित दृष्टिकोण की शिक्षा

सामाजिक और पर्यावरण सम्बन्धी मुद्दों में सम्मिलित विज्ञान प्रायः जटिल होता है। लेकिन चिंता मत कीजिए। आपको, एक विशेषज्ञ होने की आवश्यकता नहीं है। आपकी भूमिका यह है कि आप अपने विद्यार्थियों को यह समझने में मदद करें कि उन्हें अपने जीवन में जिम्मेदार निर्णय लेने के लिए अपने वैज्ञानिक ज्ञान का इस्तेमाल कैसे करना चाहिए?

इसके अलावा, यह याद रखना भी महत्वपूर्ण है कि अक्सर आपके द्वारा उठाए गए मुद्दों में से कुछ के लिए कोई ’सही’ जवाब नहीं होता है। उदाहरण के लिए, ‘किस प्रकार का पावर स्टेशन बनाया जाना चाहिए?’, ‘क्या हमें आनुवंशिक रूप से संशोधित (जीएम) फसलों के विकास का समर्थन करना चाहिए?’ और ‘क्या हमें सौर मंडल में अन्य ग्रहों की खोज पर पैसा खर्च करना चाहिए?’ इन सभी में दूसरों को मनाने के लिए विश्वासप्रद तर्कों का विकास करने वाले लोग सम्मिलित होते हैं।

विज्ञान के पाठों में आप अपने विद्यार्थियों को एक जागरूक नागरिक बनने के लिए तैयार कर रहे हैं और उन्हें उनके बुनियादी वैज्ञानिक सिद्धांतों को समझने में मदद कर रहे हैं। यह उनके लिए कौशलों की एक व्यापक श्रृंखला को विकसित करने का एक अवसर है।

विचार के लिए रुकें

  • आपको क्या लगता है? कि आपके विद्यार्थी जब सामयिक मुद्दों पर विचार–विमर्श और चर्चा करेंगे तो उनके कौन से कौशल विकसित होंगें?
  • इन कौशलों के विकसित होने से आपके विद्यार्थियों को कौन–कौन से दीर्घकालीन लाभ मिलेंगे?

जागरुक नागरिक किसी भी जानकारी को संसाधित कर सकते हैं। तर्क की वैधता का आकलन कर सकते हैं। इससे जुड़े प्रमाणों के प्रति एक आलोचनात्मक दृष्टिकोण रख सकते हैं। वे अलग अलग दृष्टिकोणों को सुनने के लिए तैयार होते हैं। वे दूसरों के विचारों को महत्व देते हैं तथा अपने विचारों को प्रमाण सहित प्रस्तुत करने में सक्षम होते हैं। अगले भाग में वर्णित शिक्षण दृष्टिकोण आपके विद्यार्थियों में इन कौशलों को विकसित करने में मदद करेंगे।

सामूहिक चर्चा

छोटी सामूहिक चर्चाओं के परिणामस्वरूप सहभागिता में वृद्धि हो सकती है। समूह में बात करना इसलिए महत्वपूर्ण होता है क्योंकि यह विद्यार्थियों को तर्क करना सिखाता है। तर्क करना सीखने के लिए विचारों तथा विज्ञान की भाषा का प्रयोग करने की क्षमता आवश्यक है जिससे ऐसे तर्कों का निर्माण किया जा सके जो प्रमाण और आँकड़ों को विचारों तथा सिद्धांतों से जोड़े। प्रभावी छोटी समूहिक चर्चाओं में विद्यार्थियों को अपने मतों के औचित्य को सिद्ध करना आवश्यक होता है।

लेकिन एक प्रभावी समूह चर्चा के लिए योजना आवश्यक है। आपका इस बारे में स्पष्ट होना आवश्यक है कि विद्यार्थी किस विषय पर चर्चा करेंगे? और उनके कार्य का परिणाम क्या होगा? उन्हें एक उद्देश्य की भावना देने और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करने के लिए आपको उन्हें कुछ संकेत देने होंगे।

विचार के लिए रुकें

  • क्या आपने इससे पहले कभी अपने पाठ में सामूहिक कार्य का प्रयोग किया है? आपके द्वारा किए गए प्रयासों या दूसरों के अवलोकन के बारे में अपने अनुभवों पर चिंतन करें। विद्यार्थियों को इससे कौन–कौन से लाभ हुए थे?
  • अच्छे सामूहिक कार्य को आयोजित करने की चुनौतियाँ क्या थीं?

सामूहिक कार्य पर संसाधन 1 को देखें और वहाँ दिए गए विचारों के साथ अपने विचारों की तुलना करें। एक सफल सामूहिक चर्चा करने के लिए आपके विद्यार्थियों को इनकी आवश्यकता होगीः

  • चर्चा के लिए कुछ विशिष्ट प्रश्न
  • विषय की पृष्ठभूमि पर कुछ जानकारी
  • चर्चा के लिए एक स्पष्ट लक्ष्य या उद्देश्य

आपके विद्यार्थियों को एक समूह में प्रभावी ढंग से काम करने के लिए उन्हें अभ्यास की आवश्यकता होगी; उन्हें आवश्यक कौशल सीखने की ज़रूरत है। सामूहिक कार्य के बारे में अधिक जानकारी के लिए संसाधन 1 को देखें।

चित्र 1 सामूहिक कार्य में सहायक कुछ तत्व।

केस स्टडी 2: नदी के प्रदूषण से जुड़े कुछ सामाजिक मुद्दे

श्रीमती वर्मा चाहती थीं की उनके विद्यार्थी सामाजिक मुद्दों को ज़िम्मेदारी के साथ निपटाने में सक्षम हो जाएं, विशेषकर वे मुद्दे जो विज्ञान की मदद से बेहतर समझे जा सकते हैं। उन्होंने अपनी नौवीं कक्षा को जल प्रदूषण के बारे में पढ़ाने का निर्णय लिया और इसके लिए कक्षा में चर्चा आरंभ करने के लिए सामाजिक मुद्दों का इस्तेमाल करने पर ध्यान केंद्रित करने का निर्णय लिया। उनके दृष्टिकोण का वृत्तांत पढें।

मैंने अपने विद्यार्थियों को उनके सामान्य 4–6 के समूहों में बैठने के लिए कहा, और वे जल्दी से स्वयं ही संयोजित हो गए। वे उन लोगों के साथ बैठे थे जिनके साथ उन्होनें दूसरे विज्ञान के पाठों में काम किया था। मैंने इन समूहों को इसलिए चुना क्योंकि मैं चाहती थी कि उनमें अपने विचारों को प्रस्तुत करने का आत्मविश्वास आए और वे उन मुद्दों को सामने ला पाएं।

ब्लैकबोर्ड पर विषय लिखने से पहले, मैंने विद्यार्थियों से पूछा, ‘क्या हम सीधे जाकर अपने शहर में स्थित यमुना नदी से पानी पी सकते हैं?’ यमुना नदी के पानी की बिगड़ती स्थिति की खबर एक ज्वलंत समस्या थी इसलिए, अधिकतर विद्यार्थियों ने एक साथ जवाब दिया, ‘‘नहीं, वह प्रदूषित है।’’ इससे मुझे इस बात की पुष्टि हुई कि मेरे विद्यार्थी कितने जागरुक हैं और हम उस दिन जल प्रदूषण पर चर्चा कर सकते थे।

उसके बाद मैंने प्रत्येक समूह को अलग अलग गतिविधियों के लिए नदी का उपयोग करते लोगों की कुछ चित्र दिखाये। चित्र इंटरनेट से डाउनलोड किया गया था। लेकिन मैंने सोचा कि इसके बजाय अगर मैं उन्हें हाथ से बनाती तो कैसा रहता? विशेषकर इसलिए क्योंकि वे सभी चित्र जो मुझे चाहिए थे वहाँ नहीं मिला था।

उसके बाद मैंने ब्लैकबोर्ड पर एक मुख्य प्रश्न लिखा कि ’यह गतिविधियाँ हमारे जल संसाधनों को कैसे प्रभावित करती हैं?’ मैंने विद्यार्थियों को अपने–अपने समूह में की गई चर्चा को लिखने को कहा जिससे कि वे बाद में कक्षा में चर्चा के समय अपने विचारों का योगदान कर सकें।

मैंने यह पाया कि ज़्यादा विद्यार्थियों वाली कक्षा में बहुत ही विविध दृष्टिकोण मिलते हैं जो हमेशा रोचक होते हैं। समूह में चित्रों पर चर्चा करते समय कक्षा में बहुत शोर था। वहाँ नियत्रंण बनाए रखने के लिए समूहों के आसपास घूम रही थी। उन्हें दस मिनट देने के बाद मैंने उन्हें अपनी चर्चा को रोकने के लिए कहा।

फिर, मैंने प्रत्येक समूह को बारी–बारी से एक विचार देने के लिए कहा और जब तक नए विचार आने बंद नहीं हुए तब तक एक समूह से दूसरे समूह की ओर इशारा करती रही। इसमें और दस मिनट लग गए। विद्यार्थियों ने कई ऐसी चीज़ें बताईं जिनसे नदी प्रभावित हुई होगी जैसे– पानी में पड़े शव, जो वहाँ सडक़र उसे दूषित कर देते हैं। पूरे शहरों से दैनिक गतिविधियों के अनुपचारित सीवेज का बहाव; रसायनों का प्रदूषण; और प्रत्येक वर्ष, हज़ारों मूर्तियों का विसर्जन पानी को दूषित करता है।

जब उन्होनें अपने विचारों को व्यक्त किया तो मैंने समूहों की प्रशंसा की और उनके विचारों को ब्लैकबोर्ड पर लिखकर उन्हें बताया कि अवधारणाओं को कैसे समूहों में बाँटा जाता है और आपस में एक, दूसरे से जोड़ा जाता है [चित्र 2]। कभी–कभी विचारों को किस वर्ग में डालें यह तय करने पर ही एक चर्चा शुरु हो जाती जैसे कि पुराने इंजन के तेल को नदी में डालना औद्योगिक प्रवाह हुआ या घरेलू अपशिष्ट।

चित्र 2 नदी को क्या प्रदूषित करता है इस पर ब्लैकबोर्ड पर लिखे नोटस् ।

एक बार हमने प्रदूषण के विभिन्न कारणों का निरूपण पूरा कर लिया, तो मैंने चर्चा को कुछ और विशिष्ट मुद्दों पर केंद्रित किया। मैंने प्रत्येक समूह को एक कागज़ का टुकड़ा दिया जिन पर निम्नलिखित कथनों में से एक लिखा था और उनसे उनके कागज़ पर लिखे गए कथन पर वाद–विवाद करने को कहा–

  • एक नदी वहाँ स्वतः ही स्वच्छ नहीं हो सकती जहाँ अधिक लोग रहते हों, क्योंकि ऐसे में उनके द्वारा किए जाने वाले अनुष्ठानों की संख्या भी अधिक होती है। इसलिए अनुष्ठानों की संख्या कम की जानी चाहिए।
  • धार्मिक आस्थाएं हमारे जीवन का एक अभिन्न हिस्सा हैं लेकिन स्वच्छ पीने का पानी जीवन की एक बड़ी आवश्यकता है।
  • एक व्यक्ति के कार्यों का पूरे समाज पर समग्र रूप प्रभाव पड़ता है इसलिए, यह हमारे ग्रह के पूरे पर्यावरण को भी प्रभावित करता है। अतः हम सभी को प्रदूषण को रोकने के लिए कार्य करना चाहिए।
  • प्रदूषण उसके दीर्घकालिक परिणामों की अज्ञानता के कारण होता है, इसलिए शिक्षा ही उसका समाधान है।
  • एक किसान अपनी उपज में रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग कर उसमें 50 प्रतिशत की वृद्धि कर सकता है, इसलिए पर्यावरण को होने वाला नुकसान कम महत्वपूर्ण है।
  • उद्योग रोज़गार और समृद्धि प्रदान करता है। यह तथ्य कि कारखाने नदी को प्रदूषित कर सकते हैं, यह उपर्युक्त कम महत्वपूर्ण है।

इसके बाद मैंने, उन्हें इस बात पर अपने समूह के भीतर वोट करने के लिए कहा कि वे इस बात से सहमत हैं या नहीं। मैंने उन्हें बताया कि उनकी असहमती भी ठीक होगी और उन्हें एक दूसरे के विचारों को सुनना चाहिए। इसके बाद दोबारा समूहों के बीच ज़ोर से चर्चा की आवाज़ें होने लगीं। मुझे विशेष रूप से इस बात की बहुत प्रसन्नता हुई कि अंजू के पास, जिसे विज्ञान में सामान्यतः पर कोई रूचि नहीं होती है, वह नदी में प्रदूषण पर धार्मिक अनुष्ठानों के प्रभाव के बारे में कहने के लिए बहुत कुछ था।

जब वोट करने का समय आया तो मैंने अपने हाथों से ताली बजाई और प्रत्येक समूह ने अपने–अपने मुद्दे पर वोट किया। फिर उन्होंने अपना कथन पूरी कक्षा के सामने पढ़कर सुनाया और वोट के परिणाम और प्रत्येक कथन के पक्ष और विपक्ष दोनों में तर्क बताए।

मुझे यह सुनकर बहुत अच्छा लगा कि कक्षा से बाहर जाने के बाद भी मेरे विद्यार्थियों ने अपनी चर्चा जारी रखी। मुझे खुशी हुई कि वे विषय के साथ इतना संलग्न थे और इसके पीछे के विज्ञान पर विचार कर पा रहे थे।

मैंने उनकी चर्चाओं में मदद करने के लिए कुछ वैज्ञानिक आँकड़े (उदाहरण के लिए, जल जनित बीमारियों से होने वाली मृत्यु, प्रतिवर्ष अनुष्ठानों की संख्या, एक मानव के अपशिष्ट की वार्षिक मात्रा, जन्म दोष की घटनाओं आदि के बारें में) देने का निर्णय किया।

विचार के लिए रुकें

केस स्टडी से पहले अनुच्छेद को दोबारा पढें और श्रीमती वर्मा द्वारा चर्चा की उत्पादकता को सुनिश्चित करने के लिए की गई चीज़ों पर विचार करें।

श्रीमती वर्मा ने नदी को प्रभावित करने वाली गतिविधियों की पृष्ठभूमि के रूप में कुछ चित्रों द्वारा जानकारी प्रदान की। उन्होंने अधिक विशिष्ट और विवादास्पद प्रश्नों पर जाने से पहले अपने विद्यार्थियों को चर्चा के लिए एक अपेक्षाकृत आसान मुद्दा दिया। पाठ के अंत तक, विद्यार्थियों को जल प्रदूषण के कारणों का अवलोकन और लोगों को अपने कार्यों के लिए ज़िम्मेदारी लेने की आवश्यकता का एहसास हो जाना चाहिए। उम्मीद है कि उनमें से कुछ विद्यार्थी दूसरों के व्यवहार का नियंत्रण कैसे करना है? यह चुनौती और ऐसा करने में सरकार की संरचनाओं के महत्व की सराहना करना शुरु करेंगे।

1 पर्यावरण और सामाजिक मुद्दों और पाठ्यक्रम के बीच संबंध बनाना

3 प्रयोग में लाना