संसाधन

संसाधन 1: प्रगति और प्रदर्शन का आकलन

विद्यार्थियों के शिक्षण का आकलन करने के पीछे दो उद्देश्य हैं–

  • योगात्मक आकलन पीछे को देखता और पहले से सीखी गई बातों को परखकर उन पर निर्णय लेता है। इसे प्रायः श्रेणी करण परीक्षाओं के रूप में किया जाता है, जिससे विद्यार्थियों को उस परीक्षा के प्रश्नों पर अपनी दक्षता का पता चलता है। इससे परिणामों की सूचना देने में भी मदद मिलती है।
  • निर्माणात्मक आकलन (या सीखने के लिए आकलन) स्वभाव से अधिक अनौपचारिक और दैनिक होने के चलते बहुत अलग होता है। अध्यापक इसका इस्तेमाल सीखने की प्रक्रिया के हिस्से के रूप में करते हैं। जैसे– इस बात की जाँच करने के लिए प्रश्न पूछना कि विद्यार्थी कुछ समझे हैं या नहीं। इसके बाद इस आकलन के परिणामों का इस्तेमाल अगले सीखने के अनुभव को बदलने के लिए किया जाता है। निगरानी और प्रतिक्रिया निर्माणात्मक आकलन का हिस्सा हैं।

निर्माणात्मक आकलन सीखने में वृद्धि करता है क्योंकि सीखने के लिए अधिकांश विद्यार्थियों को–

  • समझना चाहिए कि उनसे क्या सीखने की उम्मीद की जाती है
  • पता होना चाहिए कि उस सीखने के साथ इस समय वे कहाँ पर हैं
  • समझना चाहिए कि वे कैसे प्रगति कर सकते हैं? (यानी, क्या पढ़ना है? और कैसे पढ़ना है?)
  • पता होना चाहिए कि अब वे लक्ष्यों और प्रत्याशित परिणामों तक पहुँच चुके हैं।

एक अध्यापक के रूप में, यदि आप प्रत्येक पाठ की उपरोक्त चारों बातों पर अमल करते हैं तो आपको अपने विद्यार्थियों से सर्वश्रेष्ठ परिणाम प्राप्त होंगे। इस प्रकार आकलन का कार्य निर्देश से पहले, निर्देश के दौरान तथा उसके बाद किया जा सकता है।

  • पहले: अध्यापन शुरू होने से पहले आकलन करने से आपको निर्देश से पहले विद्यार्थियो के पूर्व ज्ञान का पता लगाने में मदद मिल सकती है। और क्या कर सकते हैं? यह आपके अध्यापन के आधार का निर्धारण करता है। आपको उसकी योजना बनाने की शुरुआत करने का माध्यम प्रदान करता है। आपके विद्यार्थियों को जो पता है उसके बारे में अपनी समझ को बढ़ाने से विद्यार्थियों को वह सब फिर से पढ़ाने की संभावना कम हो जाती है जिसमें वे पहले से ही माहिर या कुछ ऐसा छूटने की संभावना कम हो जाती है जिसके बारे में उन्हें संभवतः जानना या समझना (लेकिन अभी तक नहीं है) है।
  • के दौरान: कक्षा अध्यापन के दौरान आकलन करते समय इस बात की जाँच की जाती है कि विद्यार्थी सीख रहे हैं और बेहतर कर रहे हैं या नहीं। जिससे आप अपनी अध्यापन पद्धति, संसाधनों और क्रियाकलापों के बेहतर समायोजन में मदद मिलेगी। इससे आपको यह समझने में मदद मिलेगी कि विद्यार्थी वांछित उद्देश्य की दिशा में कैसे आगे बढ़ रहे हैं? और आपका अध्यापन कितना प्रभावी है
  • के बाद में: अध्यापन के बाद होने वाले आकलन से विद्यार्थियों द्वारा सीखी गई बातों की पुष्टि होती है और इससे आपको यह भी पता चलता है कि किसने सीखा लिया है और किसे अभी भी सहायता की जरूरत है। इससे आपको अपने अध्यापन लक्ष्य की प्रभावकारिता का आकलन करने का भी मौका मिलेगा।

पहलेः स्पष्ट रूप से जानना कि आपके विद्यार्थी क्या सीखेंगे

जब आप यह तय करते हैं कि विद्यार्थियों को एक पाठ में या पाठों की श्रृंखला में क्या सीखना है? तो आपको उन्हें इसके बारे में बताने की जरूरत होती है। विद्यार्थियों से क्या सीखने की उम्मीद की जाती है? और आप उन्हें क्या करने के लिए कह रहे हैं? इन दोनों के बीच के अंतर को ध्यान से समझाएँ। एक ऐसा खुला प्रश्न पूछें जिससे आपको आकलन करने का मौका मिल सके कि उन्होंने वास्तव में समझा है या नहीं। उदाहरण के लिए–

विद्यार्थियों को अपना जवाब देने से पहले कुछ सेकंड सोचने का मौका दें, या विद्यार्थियों को पहले जोड़ियों में या छोटे–छोटे समूहों में अपने जवाबों पर चर्चा करने के लिए भी कहा जा सकता है। जब वे आपको अपना जवाब बताएंगे, तब आपको पता चल जाएगा कि वे समझते हैं या नहीं कि उन्हें क्या सीखना है?

पहलेः जानना कि विद्यार्थी अपनी पढ़ाई में कहाँ तक पहुंचे हैं?

अपने विद्यार्थियों को आगे बढ़ने में मदद करने के लिए, आपको और उनको दोनों को उनके ज्ञान और समझ की मौजूदा स्थिति के बारे में जानना । जरूरत है। यह कि सीखने के अपेक्षित परिणामों या लक्ष्यों के बारे में बताने के बाद, आप निम्नलिखित कार्य कर सकते हैं–

  • विद्यार्थियों को जोड़ियों में काम करते हुए उस विषय के बारे में पहले से मालूम बातों का खाका या सूची तैयार करने के लिए कहें, इसके लियें उन्हें पर्याप्त समय दें लेकिन कम विचार वालों को ज्यादा समय देने की जरूरत नहीं है। इसके बाद आपको उन खाकों या सूचियों की समीक्षा करें।
  • बोर्ड पर महत्वपूर्ण शब्दावली लिखें और विद्यार्थियों को स्वेच्छा से प्रत्येक शब्द के बारे में बताने के लिए कहें। उसके बाद कक्षा के बाकी विद्यार्थियों को अपने अंगूठों को उठाने के लिए कहें यदि वे शब्द को समझते हैं, अंगूठों को नीचे करने के लिए कहें यदि वे बहुत कम या कुछ नहीं जानते हैं। अंगूठों को क्षैतिज स्थिति में रखने के लिए यदि उन्हें कुछ–कुछ पता है।

कहाँ से शुरू करना है? इसकी जानकारी होने का मतलब यही होगा कि आप अपने विद्यार्थियों के लिए प्रासंगिक और रचनात्मक पाठों की योजना बना सकते हैं। यह भी महत्वपूर्ण है कि आपके विद्यार्थी इस बात का आकलन करने में सक्षम हों कि वे कितने अच्छे तरीके से सीख रहे हैं जिससे आपको और उनको पता रहे। कि उन्हें आगे और क्या सीखने की जरूरत है? अपने विद्यार्थियों को स्वयं अपने सीखने की कमान संभालने के अवसर प्रदान करने से उन्हें जीवन भर सीखने के लिए तत्पर इंसान बनाने में मदद मिलेगी।

के दौरानः पढ़ाई में विद्यार्थियों की प्रगति को सुनिश्चित करना

विद्यार्थियों से उनकी वर्तमान प्रगति के बारे में बात करते समय यह सुनिश्चित करें कि उन्हें आपकी प्रतिक्रिया उपयोगी और रचनात्मक दोनों लगे। इसे निम्नलिखित तरीके से करें–

  • विद्यार्थियों उनकी खूबियों और आगे बेहतरी के बारे में जानने में मदद करके
  • आगे के विकास के लिए क्या जरूरी है? उसके बारे में स्पष्ट बताकर
  • वे अपनी पढ़ाई कैसे विकसित कर सकते हैं उसके बारे में सकारात्मक बनकर, इस बात की जाँच करके कि वे आपकी सलाह को समझते हैं और उसका इस्तेमाल करने में सक्षम हैं।

आपको विद्यार्थियों के लिए अपनी पढ़ाई को बेहतर बनाने के अवसर प्रदान करने की भी जरूरत होगी। इसका अर्थ यह हुआ कि अपनी पढ़ाई में विद्यार्थी इस समय जहां पर हैं तथा जहां पर आप उन्हें देखना चाहते हैं, इसके बीच के अंतराल को कम करने के लिए आपको अपनी पाठ योजनाओं को बदलना भी करना पड़ सकता है। इसे करने के लिए आपको निम्नलिखित काम करने पड़ सकते हैं:

  • लौटकर किसी पुराने कार्य पर जाना पड़ सकता है जिसके बारे में आपको लगता था कि उन्हें पहले से ही पता है
  • जरूरत के अनुसार विद्यार्थियों को समूहो में बॉटकर उन्हें अलग–अलग काम सौंपने पड़ सकते हैं
  • विद्यार्थियों को खुद यह तय करने के लिए प्रोत्साहित करना पड़ सकता है कि उन्हें किन–किन संसाधनों का अध्ययन करने की जरूरत है जिससे वे ‘स्वयं अपने अंतराल को भर’ सकें
  • ‘निम्नलिखित प्रविष्टि, उच्च सीमा’ के कार्यों का इस्तेमाल करना पड़ सकता है जिससे सभी विद्यार्थी प्रगति कर सकें। इन्हें इस तरह बनाया गया है कि सभी विद्यार्थी काम को शुरू कर सकें ज्यादा सक्षम विद्यार्थी यहीं तक सीमित नहीं रहें और अपनी पढ़ाई को आगे बढ़ाने की दिशा में प्रगति कर सकें।

पढ़ाने की रफ़्तार को धीमा करके, बहुधा आप असल में सीखने की रफ़्तार को बढ़ा सकते हैं क्योंकि ऐसा करने से विद्यार्थियों को यह सोचने–समझने का समय और आत्मविश्वास मिलता है कि आगे सुधार के लिए उन्हें क्या करने की जरूरत है? विद्यार्थियों को आपस में अपने काम के बारे में बात करने का, और अपनी खामियों को पहचानने और उन खामियों को दूर करने के बारे में विचार करने का मौका देकर, आप उन्हें अपना खुद का आकलन करने के रास्ते बता रहे हैं।

बादः सबूत या जानकारी इकट्ठा करना व्याख्या करना, और आगे की योजना बनाना

पढ़ाने के दौरान सीखने का काम भी चलता रहता है और एक कक्षा कार्य या गृह कार्य देकर, निम्नलिखित काम करना जरूरी है–

  • पता लगाना कि आपके विद्यार्थी कितना अच्छा कार्य कर रहे हैं।
  • अगले पाठ की योजना बनाने में इस जानकारी का इस्तेमाल करना
  • विद्यार्थियों को वापस इसके बारे में बताना।

आकलन की चार प्रमुख अवस्थाओं के बारे में नीचे बताया गया है।

जानकारी या सबूत इकट्ठा करना

प्रत्येक विद्यार्थी, स्कूल के अन्दर और बाहर दोनों जगह, अपनी स्वयं की रफ़्तार और शैली में, अलग–अलग ढंग से सीखता है। इसलिए, आपको विद्यार्थियों का आकलन करते समय दो काम करने की जरूरत है–

  • तरह–तरह के स्रोतों (अपने खुद के अनुभव, विद्यार्थी, अन्य विद्यार्थी, अन्य अध्यापक, माता–पिता और सामुदायिक सदस्यों से) से जानकारी इकट्ठा करना।
  • जोड़ों में और समूहों में, विद्यार्थियों का अलग–अलग आकलन करना, तथा स्व–आकलन को बढ़ावा देना। अलग–अलग तरीकों का इस्तेमाल करना जरूरी है, क्योंकि किसी एक तरीके से आपको सारी आवश्यक जानकारियाँ नहीं मिल सकती हैं। विद्यार्थियों की पढ़ाई और प्रगति के बारे में जानकारी इकट्ठा करने के अलग अलग तरीकों को शमिल किया जा सकता है जैसे– अवलोकन करना, सुनना, विषयों और विषय–वस्तुओं पर चर्चा करना, और लिखित कक्षा और गृहकार्य की समीक्षा करना।

रिकॉर्ड करना

पूरे भारत में सभी स्कूलों में रिकॉर्डिंग का सबसे सामान्य तरीका रिपोर्ट कार्ड का इस्तेमाल करना है, लेकिन इससे आपको एक विद्यार्थी के अर्जित ज्ञान व्यवहार के सभी पहलुओं को रिकार्ड करने का मौका नहीं मिल सकता है। इसे करने के कुछ आसान तरीके हैं जिन पर आप विचार कर सकते हैं। जैसे–

  • सीखने के दौरान दिखाई देने वाली बातों को एक डायरी/नोटबुक/रजिस्टर में रिकार्ड करना
  • विद्यार्थियों के काम (लेख, कला, शिल्प, परियोजना, कविताएँ, इत्यादि) के नमूनों को एक प्रोफाइल में सुरक्षित रखना
  • प्रत्येक विद्यार्थी का प्रोफाइल तैयार करना
  • किसी असामान्य घटना, परिवर्तन, समस्या, विद्यार्थियों की खूबियों और पढ़ने के सबूतों को नोट करना।

सबूत की व्याख्या करना

जानकारी और सबूत इकट्ठा और रिकॉर्ड हो जाने के बाद, उनकी व्याख्या करना जरूरी है जिससे यह समझ में आ सके कि प्रत्येक विद्यार्थी कैसे पढ़ाई और प्रगति कर रहा है? इसके लिए चिंतन और विश्लेषण करने की जरूरत पड़ती है। उसके बाद आपको पढ़ाई में सुधार लाने के लिए अपने निष्कर्षों पर काम करने की जरूरत पड़ती है। जिसे आप संभवतः विद्यार्थियों को प्रतिक्रिया देकर या नए संसाधन ढूँढकर, समूहों को फिर से व्यवस्थित करके, एक पठन विषय को दोहराकर कर सकते हैं।

सुधार के लिए योजना तैयार करना

आकलन के माध्यम से आपको विशिष्ट और अलग किस्म के सीखने की गतिविधियॉ बनाकर, जिन विद्यार्थियों को ज्यादा मदद की जरूरत है उन पर ध्यान देकर, तथा जो विद्यार्थी ज्यादा आगे हैं उन्हें चुनौती देकर, प्रत्येक विद्यार्थी के लिए अर्थपूर्ण ढंग से सीखने के अवसर प्रदान करने में मदद मिल सकती है।

5 सारांश

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