यह दृष्टिकोण क्यों महत्वपूर्ण है

विद्यार्थियों के पास किसी विषय के बारे में ऐसे विचार और अवधारणात्मक संरचनाएँ हो सकती हैं जो स्वीकार्य वैज्ञानिक विचारशीलता से भिन्न हैं। यहाँ तक कि वे अभी भी उन प्रश्नों का सही उत्तर देने में समर्थ हो सकते हैं जो उनसे पूछे गए हैं। यद्यपि, दीर्घावधि में, ये ’गलत’ विचार समस्यात्मक होंगे और विद्यार्थियों को आगे बढ़ने से रोकेंगे। अध्यापकों को अगर अपने विद्यार्थियों की सहायता करनी है तो उन्हें यह पता लगाने की जरूरत है कि वास्तव में वे क्या सोचते हैं। अध्यापकों को अवैज्ञानिक विचारों को चुनौती देने और उन्हें कुछ लाभदायक विचारों से बदलने के तरीके ढूँढ़ने की भी जरूरत है। यह सर्वविदित (ड्राइवर और अन्य, 1994) है कि विद्यार्थी अल्पावधि में ही नए विचारों को याद कर सकते हैं लेकिन अगर उन्हें नए विचार पूर्णतया समझ नहीं आते तो फिर दीर्घावधि में स्वयं के विचारों पर लौट जाएँगे जो हो सकता है कि सही न हो। विद्यार्थी अपने उन विचारों पर कायम रहने में बेहद हठी हो सकते हैं जो उन्होंने अपने पूर्व अनुभव की शिक्षा से ग्रहण किए हैं। अवधारणात्मक विकास (विद्यार्थियों को नए विचार तथा संरचनाएँ उपलब्ध कराना) लाने के लिए सक्रिय शिक्षण जरूरी है। विद्यार्थियों को नए विचारों और अन्य संकल्पनाओं के साथ उनके संबंधों का अन्वेषण करते समय मानसिक गतिविधि में व्यस्त रहना चाहिए।

उदाहरण के लिए, अनेक विद्यार्थी ऊर्जा को ईंधन के रूप में मानते हैं और वे ऊर्जा को विभिन्न स्थितियों में होने वाली ’खपत’ के रूप में वर्णित कर सकते हैं। उदाहरण के लिए शायद वे सही अनुमान लगाएँ कि यू–आकार के ट्रैक पर छोड़ी गई गेंद उस स्थान ऊंचाई से अधिक ऊँचाई तक नहीं जाएगी जहाँ से इसे छोड़ा गया था, लेकिन कहेंगे कि ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि ‘सारी ऊर्जा की खपत हो गई है’। जैसे–जैसे वे बड़ी कक्षाओं में जाएँगे, अगर वे ऊर्जा को ’खपत’ के रूप में ही समझते रहे तो वे भौतिकी में प्रगति करने में समर्थ नहीं होंगे। उन्हें समझने की जरूरत है कि ऊर्जा संरक्षित होती है और इसे एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित किया जा सकता है।

आप इस इकाई में क्या सीख सकते हैं

1 ऊर्जा के बारे में कुछ सामान्य आम गलतफ़हमियाँ