2 हितधारकों के साथ कार्य करना

एसडीपी, सतत विद्यालय सुधार की योजना बनाने का प्रधान साधन है। यह अब शैक्षिक विधान का भाग है और शिक्षा का अधिकार कानून 2009 (RTE) के तहत निर्णय लेने को विकेंद्रीकृत करके विद्यालयों को सौंपने के सरकार के दृष्टिकोण का केंद्रीय घटक है। अधिनियम के अनुसार

विद्यालय मैनेजमेंट कमेटी निम्नांकित कार्य करेगी, नामतः-

  • a.विद्यालय के कामकाज अनुश्रवण करना;
  • b.विद्यालय विकास योजना तैयार करना और अनुशंसित करना;
  • c.उपयुक्त सरकारी या स्थानीय प्राधिकरण, या किसी भी अन्य स्त्रोत से प्राप्त अनुदानों के उपयोग की निगरानी करना;
  • d.ऐसे अन्य कार्य करना जिन्हें निर्धारित किया जा सकता है।

RTE 2009 ने विद्यालयों और उनकी एसएमसी को अधिक जवाबदेह बनाया है और यह सुनिश्चित करता है कि उनके विद्यालय में सीखने की गुणवत्ता की जिम्मेदारी किसी दूर स्थित शिक्षा कार्यालय की बजाए खुद विद्यालय एवं एसएमसी द्वारा उठाई जाए। विकेंद्रीकरण से ‘ऐसे स्थानों के सृजन में भी मदद मिलती है जहां स्थानीय-स्तर की प्रतिनिधि संस्थाएं दक्षता बढ़ाने के लिए तथा निर्णय लेने वाली संस्थाओं के बीच सहयोग बढ़ाने के लिए शिक्षक–शिक्षिकाओं के साथ निकट से कार्य कर सकें’ (NCERT, 2005)।

RTE 2009 के तहत, प्रत्येक विद्यालय को एक विद्यालय विकास समिति की स्थापना करनी होगी जो एसडीपी की कार्यकारी संस्था के रूप में कार्य कर सकती हो। समिति में विद्यालय प्रशासन, शिक्षक एवं गैर-शिक्षक स्टाफ तथा समुदाय के लोगों की सहभागिता होनी चाहिए।

एसडीपी को सर्वसम्मत एवं साझा दस्तावेज़ होना चाहिए। इसे मुख्यतः विद्यालय प्रमुख एवं अध्यापकों द्वारा विकसित किया जाएगा, पर माता-पिता, समुदाय और विद्यार्थी मूल्यवान व गहरी समझ प्रदान करेंगे। अंतिम दस्तावेज़ पर (प्राथमिक रूप से) एसएमसी द्वारा अथवा (द्वितीयक रूप से) एसएमडीसी द्वारा सहमति दी जानी होगी। मुख्य हितधारक हैं आप और आपका स्टाफ, एसएमसी, माता-पिता एवं विद्यार्थी।

एसएमसी के साथ कार्य करना

एसएमसी और विद्यालय की साझेदारी उनके बीच प्रभावी संबंध विकसित करने की कुंजी है। संबंध एक-दूसरे पर निर्भर है, और विद्यालय नेता होने के नाते आपको अपनी एसएमसी के साथ एक मजबूत संबंध बनाने की ज़रूरत है। ऐसा करने के लिए आप:

  • नियमित रूप से संवाद कर सकते हैं ताकि वे खुद को समुदाय का भाग महसूस करें
  • सफलताओं का खुशी मनाने के लिए उन्हें विद्यालय में आमंत्रित कर सकते हैं
  • उनकी सलाह को ध्यान से सुन सकते हैं
  • पाठ्यचर्या में वर्धन के लिए उनकी विशेषज्ञता का उपयोग कर सकते हैं।

चित्र 4 एक एसएमसी बैठक।

गतिविधि 3: एक उत्साही या तानाशाही अध्यक्ष

एसएमसी में विश्वास तथा खुलेपन और ईमानदारी का माहौल स्थापित करना महत्वपूर्ण है। हालांकि विद्यालय नेता का सामना जिस एक चुनौती से हो सकता है वह है अध्यक्ष का उत्साही या तानाशाह होना जो अपनी शक्ति और प्रभाव का उपयोग करना चाहता है।

सोचें कि नीचे दिए परिदृश्य में आप क्या करेंगे और अपने निष्कर्षों को अपनी सीखने की डायरी में दर्ज करें।

एसएमसी के नए अध्यक्ष बहुत उत्साही हैं और वे हितधारकों और कुछ स्टाफ सदस्यों के साथ पहले ही कई बैठक कर चुके हैं। वे अधिक पाठ्येतर गतिविधियां देने के लिए प्रतिबद्ध हैं और परिणामस्वरूप, उन्होंने एक विस्तृत योजना तैयार की है जिस पर वे आपका अनुमोदन चाहते हैं। आपकी प्रतिक्रिया क्या होगी?

Discussion

चर्चा

सकारात्मक पक्ष में देखें तो आप अध्यक्ष के उत्साह और प्रतिबद्धता का सम्मान करना चाहते हैं और पाठ्येतर गतिविधियों में सुधार के बारे में सकारात्मक सोच रखते हैं।

तथापि, आपको अध्यक्ष के साथ बेहतर समूहकार्य एवं संवाद करना ज़रूरी है, ताकि गतिविधियां अलग-अलग रूप में या से परस्पर विरोधी तरीकों से शुरू नहीं की जाएं। आपके पास जानकारी और पाठ्येतर गतिविधियों पर एक दृष्टिकोण होगा और आप यह सुनिश्चित करना चाहेंगे कि जो भी परामर्श हो वह विचारवान पद्धति पर आधारित हो– न कि उन कुछ लोगों से बात करने मात्र पर जो संभव है कि अपने समूहों के प्रतिनिधि न हों।

यही वह स्थान है जहां एसडीपी का होना मददगार होता है। आपको अध्यक्ष का ध्यान योजना की ओर आकर्षित करना चाहिए, उनको गतिविधियों के अनुभाग पर प्रकाश डालना चाहिए और उनकी योजना की जांच करनी चाहिए कि कहीं ऐसी चीजें तो नहीं हैं जो इस योजना को अतिव्याप्त करती हों (ओवरलैप कर रही हों)। यदि योजना में यह नहीं हो (क्योंकि हो सकता है कि पहले से ऐसी गतिविधियां चल रही हैं जिनके बारे में संभवतः उन्हें पता नहीं हो), तो विद्यालय परिष्कार चक्र के बारे में उन्हें समझाएं और उन्हें पाठ्येतर गतिविधियों की समीक्षा करने के लिए आमंत्रित करें।

विद्यालय प्रमुख या एसएमसी अध्यक्ष, दोनों में से किसी को भी योजनाएं अकेले तैयार नहीं करनी चाहिए – सभी नई पहलों पर सामूहिक सोच, स्व-समीक्षा एवं सहमत विकास योजना के परिप्रेक्ष्य में विचार करना चाहिए।

अपने स्टाफ के साथ कार्य करना

एसडीपी में पहचाने गए कार्य करने हेतु आप व आपका स्टाफ जिम्मेदार होंगे। आपके दृष्टिकोण से, प्रतिनिधायन महत्वपूर्ण होगा, पर आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि आपके अध्यापक विकास नियोजन प्रक्रिया में शामिल हों। केस स्टडी 2 दिखाता है कि जब श्री शाह ने अपने एक अध्यापक की चिंताओं को अनसुना कर दिया तो क्या हुआ।

केस स्टडी 2: श्री शाह ने ठोकर खाकर सीखा

श्री शाह 5वीं से 10वीं कक्षा तक के एक विद्यालय के विद्यालय प्रमुख हैं। वे एसएमसी बैठक में भाग लेते हैं।

मैं एसएमसी बैठक के बारे में घबराया हुआ था क्योंकि हमें एसडीपी पर चर्चा करनी थी। बाकी का स्टाफ और मैं योजनाओं को लेकर बहुत रोमांचित थे क्योंकि हमारे पास कुछ काफी महत्वपूर्ण बिंदु थे। विशिष्ट रूप से, हम इस बात पर सहमत हुए थे कि हर सत्र में दो बार हम एक दिन समय-सारणी से अलग रखेंगे और पार-पाठ्यचर्या (क्रॉस-करीकुलर) दिवस आयोजित करेंगे। इससे विद्यार्थी विस्तारित परियोजनाएं करने में और विषयों की सीमाओं से नहीं बंधने वाले महत्वपूर्ण पर्यावरणीय और सामाजिक मुद्दों का अध्ययन करने में समर्थ बनेंगे। अधिकांश पाठ्य-पुस्तकों में अंत में इस प्रकार के मुद्दों पर अध्याय दिए गए होते हैं और विषयों के बीच उल्लेखनीय अतिव्यापन (ओवरलैप) होता है। हमें पूरा विश्वास था की हम बहुत सारा समय बचाने में सक्षम होंगे।

जब हम योजना के उस हिस्से पर आए, अभिभावकों के प्रतिनिधियों में से तीन प्रतिनिधियों ने गंभीर चिन्ता दर्शाई और इस बात पर ज़ोर दिया कि हमें मुख्य विषयों पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए। आधी बैठक होने तक मुझे यह पता लग गया कि उनमें से दो के बच्चे श्री रावूल की कक्षा में थे। श्री. रावूल विज्ञान के शिक्षक हैं और उन्होंने इस बदलाव का विरोध किया था। स्टाफ बैठक के बारे में सोचते हुए मुझे याद आया उन्हें कुछ उत्साही शिक्षकों ने आवाज़ ऊंची करके चुप बिठाया था और तबसे वे बहुत ही चुप थे। मुझे संदेह हुआ कि वे अभिभावकों से बात कर रहे हैं और योजना में रूकावट ड़ालने के लिए उनका इस्तेमाल कर रहे हैं।

वह बहुत ही मुश्किल बैठक थी और आखिर में मुझे सहमत होना पड़ा कि मैं, पार-पाठ्यचर्या के दिन कैसे काम करेंगे इसके बारे में और भी विस्तारपूर्वक योजना बनाउंगा और सीखने के लिए समर्थन कैसे कर सकते हैं यह स्पष्ट रूप से समिति को दिखाऊंगा। मैंने श्री रावूल से इसके लिए मदद लेने का फैसला लिया।

इस पूरी घटना ने मुझे यह जताया कि जो लोग अलग थलग और नज़रअंदाज किया हुआ महसूस करते हैं वे रूकावटें ड़ालते हैं। मुझे यह निश्चित करना चाहिए था कि स्टाफ बैठक में श्री रावूल की चिन्ताओं पर गंभीरता से ध्यान देना होगा और बाद में उनसे निश्चित रूप से बात करके उन्हें इसमें शामिल करना होगा।

विद्यालय प्रमुख होने के नाते आप नियमित तौर पर स्टाफ की बैठकों का आयोजन करेंगे। प्रशासन के कर्तव्यों को निभाने के बजाय मुद्दों पर चर्चा करना भी इन चुनौतियों में से एक है। एक दृष्टिकोण जिसका आप इस्तेमाल कर सकते हैं वह है SDP के कालक्रम के आधार पर कार्यसूचियों की योजना को पहले से बना लेना।

मातापिताओं के साथ काम करना

किसी भी विद्यालय में अभिभावक वास्तविक आधार होते हैं अगर आप उनका समर्थन पा सकते हों। SDP का क्रियान्वयन आप और आपके शिक्षक करेंगे लेकिन स्व-समीक्षा की प्रक्रिया और प्राथमिकताओं की चर्चा में अभिभावकों को शामिल करने के लिए तैयार रहें।

बेशक जहां भी शक्ति होती है वहां उसका दुरूपयोग होने की संभावना भी होती है। राजनीतिक मामले विद्यालय में प्रवेश कर सकते हैं और कुछ अभिभावकों द्वारा उनसे व्यक्तिगत तौर पर संबंधित मामलों पर ज़ोर देने की संभावना होती है जो शायद व्यापक समूह के हित में न हो। कुछ समुदायों में, अभिभावक समूह चीज़ें जैसी है वैसी ही रहने के बारे में अधिक चिंतित होते हैं न कि सुधारों के बारे में। विद्यालय प्रमुख को ऐसे सभी मामलों के बारे में सचेत रहना चाहिए और स्थानीय समुदाय के साथ और उनके चुने हुए प्रतिनिधियों के साथ प्रगतिशील कार्य करने के सबसे अच्छे तरीके खोजने चाहिए।

केस स्टडी 3: श्री. मेगानाथन SMC से मिले

श्री. मेगानाथन एक छोटे माध्यमिक विद्यालय के विद्यालय प्रमुख हैं। SMC में पांच अभिभावक प्रतिनिधि थे। उन्होंने SMC के साथ हुई बैठक का वणर्न किया।

मैं एक प्रगतिशील विद्यालय चलाता हूँ। हमारे यहां दो सुयोग्य विज्ञान और गणित के शिक्षक हैं। पिछले साल हमने निर्णय लिया कि विज्ञान और अभियांत्रिकी पढ़ने के लिए अधिक छात्राओं को सक्रिय तौर पर प्रोत्साहित करना चाहिए। हमने तय किया कि आठवीं कक्षा की सभी छात्राओं को लकड़ी का काम सीखने और सभी छात्रों को रसोई और कपड़ों की सिलाई सीखने का अवसर दिया जाना चाहिए। छात्राओं ने लकड़ी के काम का आनंद उठाया और हम आशा करते हैं कि इससे उन्हें अपनी रचनात्मकता का उपयोग उपयोगी चीज़ें बनाने के लिए करने में प्रोत्साहन मिलेगा।

SMC बैठक में बहुत सारे नये चेहरे थे क्योंकि पांच नये अभिभावक प्रतिनिधियों के लिए हाल ही में चुनाव संपन्न हुए थे। कार्यसूची में अध्यक्ष के द्वारा एक विषय को जोड़ने पर मैं आश्चर्यचकित हुआ: ‘कला विषय’। जब हम इस विषय पर पहुँचे तो नए अभिभावक प्रतिनिधियों में से एक ने अपना दृष्टिकोण जाहिर किया कि, छात्राओं के लिए लकड़ी का काम या इंजीनीयिरंग सीखना उचित नहीं है और पुरुष छात्रों को रसोई या कपड़ों की सिलाई सीखने की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने प्रस्ताव किया कि पाठ्य को बदला जाय ताकि सभी छात्रों को कला विषयों के लिए अलग किया जा सके।

वहां बहुत ही गंभीर से चर्चा हुई और बदलाव के लिए ज्यादा समर्थन हासिल हुआ दिखाई दिया। ऐसा लगने लगा कि जिन लोगों ने पहले योजना का समर्थन किया था अब वे अपना मन बदल रहे हैं। मुझे बहुत ही चिंता हो रही थी। अंतत: मैंने एक प्रक्रियात्मक बहाना बनाया; विषय अधिकारिक कार्यसूची पर नहीं था और उस पर बहस के लिए उसके साथ कागज़ात बनाने की आवश्यकता थी ताकि समिति के सदस्यों को उसे पहले देखने का अवसर मिलें। अध्यक्ष ने सहमति दर्शाई कि अगली बैठक में उस पर चर्चा होगी।

अगले कुछ हफ्तों के दौरान मैंने संध्याकालीन प्रदर्शनों का आयोजन किया जिसमें आठवीं कक्षा के अपने कौशल का प्रदर्शन किया और आगन्तुका से उन्होंने लकड़ी के काम (छात्रा) और रसोई और सिलाई के काम (छात्र) कितनी अच्छी तरह से और खुशी से किए इसके बारे में चर्चा की। हमने उनकी बनाई हुई चीज़ों के साथ पाठ्य में उनकी ली गई तस्वीरों को भी कक्ष में प्रदर्शित किया। मैंने अभिभावकों को पाठ्यक्रम का अवलोकन करने के लिए आमंत्रित किया। मेरा अभियान सफल रहा और अगली बैठक में पर्याप्त संख्या में सदस्यों ने बदलाव के प्रस्ताव के विरुद्ध मतदान किया।

विचार करें

  • इस केस स्टडी के बारे में आपकी क्या प्रतिक्रिया है?
  • अपने विद्यालय के SMC के बारे में सोचें। उन्हें सूचित रखने के लिए आप क्या करते हैं?
  • क्या आपके SMC में कोई मुश्किल सदस्य है? अगर हैं तो आप उनके साथ कैसे कार्य करते हैं?

जैसे कि SMC के साथ हुआ, संवाद ही केन्द्र है। विद्यालय में क्या हो रहा है इसके बारे में अभिभावकों को सूचित करने से आप उनकी ऊर्जा और उत्साह का उपयोग करने में सक्षम होते हैं और उससे यह भी सुनिश्चित होता है कि वे आपके लक्ष्यों और प्राथमिकताओं को समझते हैं।

SDP में छात्रों का योगदान

वैसे तो विद्यालय जीवन के ज्यादातर पहलुओं के बारे में विद्यार्थी बहुत सक्षम दृष्टि प्रस्तुत कर सकते हैं लेकिन विशेष रूप से वे सीखने और सिखाने की प्रक्रिया के बारे में अंतदृर्ष्टि प्रस्तुत करते हैं। विद्यार्थी को स्व-समीक्षा में शामिल करना उनके और आपके स्टाफ के लिए पूरी तरह से नयी संकल्पना हो सकती है। तथापि, उनकी राय उभरने वाली SDP की गुणवत्ता को सुधारेगी। जब आप विद्यालय में चक्कर लगा रहे होते हैं तब उनसे बात करके और विद्यालय जीवन के बारे में औपचारिक सर्वेक्षण करके आप यह कर सकते हैं।

जब आप सीखने के लिए अधिक भागीदारी वाला दृष्टिकोण अपनाते हैं, आपके विद्यालय में शिक्षकों और विद्यार्थी के बीच के रिश्ते ज्यादा लोकतंत्रीय होते हैं। (इस पर अधिक जानकारी के लिए और आप विद्यालय में कौन से स्तर पर पढ़ाते हैं इस पर निर्भर करते हुए ये इकाइयाँ देखें सिखाने-सीखने की प्रक्रिया का रूपांतरण करना: प्राथमिक विद्यालय में सिखाने और सीखने के तरीकों में सुधारों की अगुवाई या सिखाने-सीखने की प्रक्रिया का रूपांतरण करना: माध्यमिक विद्यालय में सिखाने और सीखने के तरीको में का नेतृत्व) छात्रों को शायद अपना दृष्टिकोण व्यक्त करने का आत्मविश्वास मिले और शायद आप विद्यालय जीवन के पहलुओं के बारे में चर्चा के लिए मंच मुहैय्या कराने के लिए ‘छात्र परिषद’ की स्थापना करने के बारे में सोचें (छात्र परिषद समर्थन, अदिनांकित)।

1 विद्यालय विकास योजना का परिचय

3 SDP के बारे में लिखना और अनुश्रवण