2 विद्युत के बारे में सीखने में मदद के लिये मॉडलों का उपयोग करना।
शिक्षक अनेक मॉडलों और मॉडल जैसी अन्य वस्तुओं का उपयोग करके विज्ञान की अवधारणाओं के बारे में विद्यार्थियों के ज्ञान और समझ को विकसित करते हैं।
मॉडल और मॉडल जैसी अन्य वस्तुओं, अपरचित अवधारणाओं को विद्यार्थियों के दैनिक जीवन के परिचित अनुभवों से जोड़ते है। उदाहरण के लिये, विद्युत परिपथों का वर्णन करने के लिये अक्सर जिस समानता का उपयोग किया जाता है वह है– ’चालक में बहता हुआ विद्युत धारा वैसा ही है जैसे नदी या पाइप में बहता हुआ पानी’।
भौतिक मॉडलों में ठोस, वास्तविक वस्तुओं का उपयोग करके किसी वस्तु के भाग या प्रणाली को दर्शाने के लिये किया जाता है। (चित्र 1)। विद्यार्थी वास्तविक वस्तुओं को छू कर अवधारणाओं, प्रक्रियाओं और संबंधों का वर्णन तथा उनकी खोज करते हैं। उदाहरण के लिये, किसी विद्युत परिपथ के विभवांतर में बदलाव का प्रभाव दर्शाने के लिये आप ऐसी किसी पटरी को झुका कर दिखा सकते हैं जिस पर कंचे हों, जब पटरी सीधी होती है तब कंचे लुढ़कते नहीं हैं, लेकिन जब वह झुकी होती तब कंचे ऊंचाई से नीचे की ओर लुढ़कते हैं। (कंचे विद्युत प्रवाह हैं और झुकाव विभवांतर है।) यदि विभवांतर नहीं हो, तो परिपथ में विद्युत धारा बहेगी ही नहीं। लेकिन यदि आप विभवांतर बढ़ा दें, तो धारा का बहाव बढ़ेगा।

कम्प्यूटर पर बनने वाले मॉडलों को भौतिक मॉडल में सम्मिलित किया जाता है। विद्यार्थियों को भी मॉडल के हिस्से के रूप में प्रयोग किया जा सकता है। उदाहरण के लिये, विद्यार्थियों के साथ एक वार्तालाप गतिविधि की जा सकती है जिसमें एक व्यक्ति बैटरी है जो उस रस्सी के घेरे को खींचता है जिसे समूह ने सहारा दे रखा है; चलती हुई रस्सी परिपथ में चलते हुए आवेश को दर्शाती है। इंटरनेट पर अनेक कम्प्यूटर से बनने वाले मॉडल उपलब्ध हैं। आप अपने विद्यार्थियों को किसी इंटरनेट कैफे पर जा कर मॉडल ढूंढ़ने के लिये कह सकते हैं।
विद्यार्थियों के साथ किसी भी मॉडल का उपयोग करने में एक अहम बात है कि पूरी प्रक्रिया यह परस्पर संवादात्मक होना चाहिये। आप विद्यार्थियों को सीधे नहीं बताएं कि मॉडल क्या है? आप उनसे प्रश्न पूछें जैसे कि ’मॉडल के इस भाग का क्या मतलब है?’ या, ’इस मॉडल में प्रतिरोध किससे दर्शाया गया है?’,तथा विद्यार्थियों को उनके विचार रखने के लिये प्रोत्साहित करें। विद्यार्थी उस समय अधिक सीखेंगे यदि वे स्वयं मॉडल में सम्मिलित आपसी संबंधों को पहचानेंगे, बजाय इसके कि उन्हें केवल बता दिया जाए।
विद्यार्थियों को समूह में काम करना चाहिये और एक–दूसरे के साथ अपने विचारों पर चर्चा करनी चाहिये। मॉडल का उपयोग करना और उसके बारे में चर्चा करने से आपके विद्यार्थियों को अपनी समझ बढ़ाने में मदद मिलेगी, तथा जब आप उनकी बातें और चर्चा को सुनेंगे तो आपको और अच्छी तरह से समझ आएगा कि समस्याएं कहां पर हैं।
केस स्टडी 2: विद्युत परिपथों के लिये वार्तालाप गतिविधि का मॉडल
श्री पटेल ने स्थानीय डायट में एक प्रशिक्षण में भाग लिया था और विद्युत परिपथों के लिये एक वार्तालाप गतिविधि का मॉडल देखा। (इन दोनों मॉडलों का विवरण आप संसाधन 2 में देख सकते हैं।)
पिछले सप्ताह मैंने विद्युत पढ़ाने से सम्बन्धित विषय पर आधारित प्रशिक्षण सत्र में प्रतिभाग किया। मुझे पहले तो आश्चर्य हुआ जब प्रशिक्षक ने हमें बताया कि हम विद्युत के लिये एक मॉडल का प्रयोग करने वाले हैं जिसे ’रस्सी का मॉडल’ कहते हैं। मैंने यह मॉडल पहले नहीं देखा था मुझे तब और भी आश्चर्य हुआ जब मैंने देखा कि यह एक वार्तालाप गतिविधि जैसा था! मैं लौट कर स्कूल गया और कक्षा X के साथ प्रयोग किया।
कक्षा X में 50 विद्यार्थी थे तो मैंने बारह–बारह के दो और तेरह–तेरह के दो समूह बनाए। हर समूह के पास एक डोरी थी। मैंने उन्हे इसे हल्के से पकड़े रखने के लिए कहा। एक विद्यार्थी ने उसे खींचा।
फिर मैंने हर समूह में से एक विद्यार्थी को चुपके से डोरी को ज्यादा कस कर पकड़ने को कहा। खींचने वाले को डोरी को हिलाना ज्यादा कठिन हो गया और कस कर पकड़ने वाले को अपना हाथ कुछ गर्म लगने लगा।
मैंने श्यामपट पर कुछ प्रश्न लिखेः
- इस मॉडल में डोरी खींचने वाला किसको दर्शा रहा है?
- हिलती हुई डोरी किसका प्रतीक है?
- जब कोई डोरी को ज्यादा कस कर पकड़ता है तो क्या होता है? यह किसका प्रतीक है?
- यह मॉडल किसी परिपथ में बहती धारा का प्रतीक कैसे है?
- इस मॉडल से क्या मदद मिलती है?
मैंने अपने विद्यार्थियों को चार के समूह में बाँटा और प्रश्नों के उत्तर देने के लिये कहा। जब वे काम कर रहे थे तब मैंने सभी के पास जा कर उनकी बातें सुनी।
दस मिनट के बाद, मैंने कुछ समूहों में से एक–एक विद्यार्थी को अपने उत्तरों का वर्णन करने के लिए कहा।
आखिर में, मैंने उन्हें फिर सभी विद्यार्थियों को समूहों में बाँटा और हमने फिर वही सब उपर्युक्त जैसा किया। इस बार जब वे डोरी को हिला रहे थे, तब मैंने मॉडल की मुख्य विशेषताओं को दर्शाने के लिये प्रश्नों के उत्तरों का वर्णन किया।
इस मॉडल के बारे में अच्छी बात यह है कि सभी डोरी एक समय एक साथ हिलने लगाती है। एक परिपथ में आवेश भी एक ही साथ चलता रहता है। यही वह बात थी जिसे कई विद्यार्थी समझ नहीं पा रहे थे जब पिछले साल मैंने कक्षा X को विद्युत के बारे में पढ़ाया था। विद्यार्थी सोच रहे थे कि आवेश बैटरी से आता है और परिपथ में घूमता है बजाय इसके कि वह हमेशा वहाँ होता है और जब विभवांतर लाया जाए तब चलना शुरू करता है।
जब किसी ने डोरी को कस कर पकड़ा, तो वह प्रतिरोध लगाने जैसा था। विद्यार्थी ने देखा कि डोरी तो अब भी परिपथ में ही थी, इसका मतलब आवेश परिपथ से जाता नहीं है, जैसा उनमें से कुछ को लग रहा था। कुछ ऊर्जा प्रतिरोध के कारण परिपथ से बाहर निकल रही थी, इसलिए प्रतिरोध बने विद्यार्थी के हाथ गर्म हो रहे थे।
पूरे कार्यक्रम में सिर्फ लगभग 20 मिनट लगे लेकिन मुझे पक्का पता है कि मेरे विद्यार्थियों को विद्युत परिपथ को बेहतर ढ़ंग से समझाने में मदद मिली।
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वार्तालाप गतिविधियों के बारे में अधिक जानकारी के लिये देखें संसाधन 2।
गतिविधि 2: मॉडलों का उपयोग करना
मॉडलों का उपयोग कैसे किया जा रहा है तथा अधिक मॉडलों का उपयोग करना कहां तक सहायक हो सकता है इस पर विचार कराते हुए यह गतिविधि आपको विद्युत के बारे में पढ़ाने की योजना बनाने में मदद करेगी।
आपको गतिविधि 1 में बनाई हुई तालिका की आवश्यकता होगी। तालिका 3 में बताए अनुसार, तालिका में दाईं ओर एक और कॉलम बनाइये।
सम्बन्धित पाठ को फिर से पिढ़ये और पाठ में कौन–से मॉडल और मॉडल से मिलती–जुलती वस्तुओं (समानताऍ) का उपयोग किया गया है।
अन्य मॉडल या समानताएं जोड़ें जो आपके अनुसार सहायक हो सकते हैं।
उदाहरण के लिये पहली पंक्ति भरी गई है। आप रस्सी के मॉडल ’मिठाइयाँ और कप’ नामक अन्य मॉडलों के बारे से संसाधन 3 में अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
जब आप तालिका पूरी कर लें, तब अपनी टिप्पणियों को संसाधन 4 से मिला कर देखें।
खण्ड | गतिविधि | मुख्य शैक्षणिक बिंदु / इस गतिविधि और साथ के पाठ से विद्यार्थियों को मुझे क्या सिखाना है? | कठिनाइयों के स्त्रोत? | यहां कौन–से मॉडल या समानताएं उपयोग में आ रही हैं या लाई जा सकती हैं? |
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1.1 | – | आवेश (कूलम्ब में मापा जाने वाला) का प्रति सेकंड प्रवाह ही विद्युत धारा (एम्पीयर में मापा जाने वाला) है अमीटर द्वारा मापी गयी विद्युत धारा का पारम्परिक प्रवाह की माप + से – की ओर होती है। विद्युत धारा और इलेक्ट्रॉन एक चालक से हो कर जाते हैं। विद्युत धारा का प्रवाह तुरंत होता है, परन्तु चलन की गति लगभग 1 मि.मि. प्रति सेकंड – 1 होती है | आवेश ऐसी वस्तु नहीं जिसे देखा जा सके इलेक्ट्रॉन के बहाव की दिशा और पारम्परिक प्रवाह को लेकर भ्रम इलेक्ट्रॉन्स की धीमी गति और धारा के शीघ्र बहाव में मेंल | उपयोग किये जा रहे विद्युत धारा एक प्रवाह के रूप में परिपथ एक सत्त बन्द पथ होता है।परिपथ में किसी प्रकार की टूट हो जाने विद्युत धारा का प्रवाह रूक जाता है। रस्सी का मॉडल को भी देखें। |
1.2 | – | – | ||
1.3 | – | – | ||
1.4 | 1.4.1 | |||
1.4.2 | ||||
1.4.3 | ||||
1.5 | 1.5.1 | |||
1.5.2 | ||||
1.5.3 | ||||
1.6 | 1.6.1 | |||
1.6.2 | ||||
1.7 | – |
1 विद्यार्थियों को विद्युत के बारे में क्या कठिनाई महसूस होती है?