संसाधन

संसाधन 1: सीखने के लिए बातचीत

सीखने के लिए बातचीत क्यों जरूरी है

बातचीत मानव विकास का हिस्सा है, जो सोचने–विचारने, सीखने और संसार के प्रति समझ विकसित करने में हमारी मदद करती है। लोग भाषा का इस्तेमाल तार्किक क्षमता, ज्ञान और समझ को विकसित करने के माध्यम के रूप में करते हैं। इसलिए अधिगम अनुभवों के भाग के रूप में बच्चों को बात करने के लिए प्रोत्साहित करने का अर्थ है उनकी शैक्षणिक प्रगति में वृद्धि करना। सीखे गए विचारों के बारे में बात करने का अर्थ होता है कि

  • उन विचारों को परखा गया है
  • तार्किक क्षमता विकसित और सुव्यवस्थित है
  • छात्र अधिक सीखे

किसी कक्षा में ‘छात्र–वार्तालाप’ का इस्तेमाल कई तरह से किया जा सकता है जिसमें रटे हुए अंश को दोहराने से लेकर उच्च स्तरीय विचार–विमर्ष तक की क्रियाएं शामिल हो सकती हैं।

पारम्परिक तौर पर ‘शिक्षक–संवाद’ को बच्चों की बातचीत से ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता था और उसे प्रमुखता दी जाती थी। हांलांकि सीखने के लिए वार्तालाप या बातचीत का इस्तेमाल करने के लिए पाठों की योजना बनाने की जरूरत होती है ताकि बच्चे वार्तालाप के माध्यम से अपने पूर्व अनुभवों से सम्बन्ध कायम करते हुए ज्यादा से ज्यादा सीख सकें। यह शिक्षक और उसके छात्रों के बीच प्रश्न और उत्तर सत्र से कहीं बढ़कर होता है क्योंकि इसमें विद्यार्थी की अपनी भाषा, विचारों और रुचियों को ज्यादा समय दिया जाता है। हम में से अधिकांश, कठिन मुद्दों के बारे में या किसी बात का पता करने के लिए किसी से बात करना चाहते हैं, और अध्यापक सुनियोजित गतिविधियों से इस सहज–प्रवृत्ति को आधार बना सकते हैं।

कक्षा में शिक्षण गतिविधियों के लिए बातचीत की योजना बनाना

बातचीत की गतिविधियों की योजना बनाना महज साक्षरता और शब्दावली को ध्यान में रखकर नहीं किया जाता। यह गणित एवं विज्ञान के काम तथा अन्य विषयों के नियोजन का हिस्सा भी है। बतचीत की गतिविधियों को सम्पूर्ण कक्षा की गतिविधि, जोड़ी या समूह में कार्य, आउट डोर गतिविधियों, रोल–प्ले आधारित गतिविधियों, लेखन, पठन व प्रयोगात्मक छानबीन की गतिविधियों और रचनात्मक गतिविधियों में नियोजित किया जा सकता है।

साक्षरता और गणना की दृष्टि से सीमित कौशलों वाले नन्हें छात्र भी उच्चतर श्रेणी के चिंतन कौशलों का प्रदर्शन कर सकते हैं, बशर्ते उन्हें दिया जाने वाला कार्य उनके पिछले अनुभवों पर आधारित और आनन्ददायी हो। उदाहरण के लिए, छात्र तस्वीरों, आरेखों या वास्तविक वस्तुओं के आधार पर किसी कहानी, पशु या आकृति के बारे में पूर्वानुमान लगा सकते हैं। छात्र भूमिका निभाते समय कठपुतली या चरित्र की समस्याओं के बारे में सुझावों और संभावित समाधानों को सूचीबद्ध कर सकते हैं।

जो कुछ आप छात्रों को सिखाना चाहते हैं, या जो आप चाहते हैं कि वे सोचें उसके इर्दगिर्द पाठ की योजना बनायें और साथ ही इस बारे में भी कि आप किस प्रकार की बातचीत छात्रों में विकसित होते देखना चाहते हैं। कुछ बातचीत अन्वेषी होती है, उदाहरण के लिएः ’इसके बाद क्या होगा?’, ’क्या हमने इसे पहले देखा है?’, ’यह क्या हो सकता है?’ या ’आप ऐसा क्यों सोचते हैं कि वह यह है?’ कुछ अन्य प्रकार की वार्ताएं ज्यादा विश्लेषणात्मक होती हैं, उदाहरण के लिए विचारों, साक्ष्य या सुझावों का आकलन करना।

इसे रोचक एवं मज़ेदार बनाएं और कोशिश करें कि सभी बच्चे वार्तालाप में भाग लें। आवश्यकता इस बात की है कि बच्चों में उपहास का पात्र बनने का भय न हो। वे अपने विचार व्यक्त कर सकें और सहजता से नए विचारों के बारे में सोच सकें। उन्हें यह अहसास न कराया जाए कि वे गलत हो रहे हैं।

छात्रों की वार्ता को आगे बढ़ाएं

सीखने के लिए बातचीत अध्यापकों को निम्न अवसर प्रदान करती हैः

  • बच्चों के कथन को सुनने की
  • छात्रों के विचारों की प्रशंसा करने और उस पर आगे काम करने की
  • इसे आगे बढ़ाने के लिए छात्रों को प्रोत्साहित करने की

सभी उत्तरों को लिखना या उनका औपचारिक आकलन करना आवश्यक नहीं होता है, क्योंकि वार्ता के जरिये विचारों को विकसित करना शिक्षण का महत्वपूर्ण हिस्सा है। आपको उनके शिक्षण को प्रासंगिक बनाने के लिए उनके अनुभवों और विचारों का यथासंभव प्रयोग करना चाहिए। सर्वश्रेष्ठ छात्र– वार्ता अन्वेषी होती है, जिसका अर्थ है कि छात्र एक दूसरे के विचारों को जांचते और चुनौती देते हैं ताकि वे अपने प्रत्युत्तरों को लेकर आवष्वस्त हो सकें। एक साथ बातचीत करने वाले समूहों को किसी के भी द्वारा दिए गए उत्तर को यूं ही स्वीकार कर लेने से हतोत्साहित किया जाना चाहिए। आप समूची कक्षा की सेटिंग में ‘क्यों?’, ‘आपने उसका निर्णय क्यों किया?’ या ‘क्या आपको उस हल में कोई समस्या नजर आती है?’ जैसे जांच वाले प्रश्नों के प्रयोग के माध्यम से चुनौतीपूर्ण विचारधारा की शुरुआत कर सकते हैं। आप छात्र समूहों को सुनते हुए कक्षा में घूम सकते हैं और ऐसे प्रश्न पूछकर उनकी विचारशीलता को बढ़ा सकते हैं।

अगर छात्रों की वार्ता, विचारों और अनुभवों की कद्र और सराहना की जाती है तो वे प्रोत्साहित होंगे। अपने बच्चें के व्यववाहर की प्रषंसा कीजिए। बात करने, ध्यान से सुनने, एक दूसरे से प्रश्न पूछने हेतु बच्चें द्वारा किए गए व्यवहार की प्रषंसा कीजिए। इस बात के लिए भी उनकी सराहना कीजिए कि उन्होंने सीख लिया है कि खलल नहीं डालनी है। कक्षा में कमजोर बच्चों के बारे में सावधान रहें और उन्हें भी शामिल किया जाना सुनिश्चित करने के तरीकों पर विचार करें। कामकाज के ऐसे तरीकों को स्थापित करने में थोड़ा समय लग सकता है, जो सभी छात्रों को पूरी तरह से भाग लेने की सुविधा प्रदान करते हों।

छात्रों को खुद से प्रश्न पूछने के लिए प्रोत्साहित करें

अपनी कक्षा में ऐसा वातावरण तैयार करें जहां अच्छे चुनौतीपूर्ण प्रश्न पूछे जाते हैं और जहां छात्रों के विचारों को सम्मान दिया जाता है और उऩकी प्रशंसा की जाती है। छात्र प्रश्न नहीं पूछेंगे अगर उन्हें अपने साथ किए जाने वाले व्यवहार को लेकर भय हो या उन्हें लगे कि उनके विचारों का मान नहीं किया जाएगा। छात्रों को प्रश्न पूछने के लिए आमंत्रित करना उनको जिज्ञासा प्रकट करने के लिए प्रोत्साहित करता है, उनसे अपने शिक्षण के बारे में अलग ढंग से विचार करने को कहता है और उनके नजरिए को समझने में आपकी सहायता करता है।

आप कुछ नियमित समूह या जोड़ी में कार्य करा सकते हैं या ‘छात्रों के प्रश्न पूछने का समय’ जैसी कोई योजना बना सकते हैं ताकि छात्र प्रश्न पूछ सकें या स्पष्टीकरण मांग सकें। इसके लिए आप :–

  • अपने पाठ के एक भाग का नाम ‘प्रश्न हो तो हाथ उठाएं’ रख सकते हैं।
  • किसी छात्र को हॉट–सीट पर बैठा सकते हैं और दूसरे छात्रों को कोई पात्र बनकर उस छात्र से प्रश्न पूछने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं उदाहरणार्थ पाइथागोरस या मीराबाई
  • जोड़ों में या छोटे समूहों में ‘मुझे और बताएं’ खेल खेल सकते हैं
  • मूल पूछताछ का अभ्यास करने के लिए छात्रों को कौन/क्या/कहां/कब/क्यों वाले प्रश्न ग्रिड दे सकते हैं
  • छात्रों को कुछ डेटा (जैसे कि विश्व डेटा बैंक से उपलब्ध डेटा, उदाहरणतः पूर्णकालिक शिक्षा में बच्चों का प्रतिशत या भिन्न देशों में स्तनपान की विशेष दरें) दे सकते हैं, और उनसे उन प्रश्नों को सोचने के लिए कह सकते हैं जो आप इस डेटा के बारे में पूछ सकते हैं
  • छात्रों के सप्ताह भर के प्रश्नों को सूचीबद्ध करते हुए प्रश्न वॉल डिज़ाइन कर सकते हैं।

जब छात्र स्वयं प्रश्न पूछने और उनसे पूछे गये प्रश्नों के उत्तर देने के लिए स्वतंत्र होते हैं तो उनकी रुचि और विचारशीलता के स्तर को देखकर आप हैरान रह जायेंगे जब छात्र अधिक स्पष्ट और सटीक संवाद करना सीख जाते हैं, तो वे न केवल अपनी मौखिक और लिखित शब्दावलियां बढ़ाते हैं, अपितु उनमें नया ज्ञान और कौशल भी विकसित होता है।

4 सारांश

संसाधन 2: सवोर्च्च वरीयता वाली महिला टेनिस खिलाड़ी