संसाधन 3: समूह प्रायोगिक गतिविधियों के लिए मुद्दों की योजना बनाना

जैसे कि किसी प्रभावी पाठ के लिए होता है, प्रभावी प्रायोगिक कार्य का संबंध पाठ से पूर्व नियोजन तथा इसके दौरान बेहतर प्रबन्धन करने से होता है। समूह प्रायोगिक गतिविधियों से अध्यापकों और विद्यार्थियों के लिए अनेक चुनौतियां और लक्ष्य पैदा होते हैं। इस संसाधन में समूह प्रायोगिक कार्य की प्रभाविकता में सुधार करने के लिए कुछ निर्धारित कार्ययोजनाओं पर विचार किया गया है।

मुद्दा 1: प्रभावी समूह

प्रभावी समूह कार्य में, समूह में हर किसी को यह पता होता है कि क्या करना है? वह समझता है कि वे जो कुछ कर रहे हैं, उसका क्या उद्देश्य है तथा समूह के कार्य में सकारात्मक योगदान करता है।

इसका अर्थ है कि प्रत्येक–

  • प्रत्येक की महत्वपूर्ण भूमिका होती है तथा वह जानता है कि भूमिका का प्रभावी निर्वहन कैसे करना है?
  • प्रत्येक कोई चर्चाओं और निर्णय लेने में योगदान करता है (कोई भी ‘निष्क्रिय’ नहीं रहता है या जो कुछ दूसरे कह रहे हैं, उनकी नकल नहीं करता है)।

आप निम्नलिखित द्वारा समूहों को अधिक प्रभावी रूप से काम करने में सहायता प्रदान कर सकते हैं:

  • गतिविधि के लिए उचित आकार के समूह को चुनकर, किसी को समूह चर्चाओं और निर्णयों में शामिल किया जा सके
  • पहचान करके कि कौन किस समूह से संबंधित होगा?
  • स्पष्ट रूप से यह पहचान करके कि क्या किए जाने की आवश्यकता है? (अर्थात उपकरणों को लगाना, माप लेना, माप को रिकार्ड करना) जिससे समूह के सदस्य इन उत्तरदायित्वों को साझा कर सकें। कुछ र्कायों के लिए यह आवश्यक हो सकता है कि उन्हें एक ही समूह में अनेक लोगों द्वारा किया जाता है
  • यदि आवश्यक हो तो आपके द्वारा प्रत्येक समूह सदस्य को भूमिकाएं सौंपे। प्रत्येक समूह को ऐसा करने के लिए उत्तरदायी बनायें।
  • जांच करके कि गतिविधि के दौरान प्रत्येक समूह कितने अच्छे से काम करता है तथा प्रभावी समूह कार्य के उदाहरणों की प्रशंसा करें।

यह बात ध्यान में रखें कि मिश्रित समूहों में लड़कों की उपकरणों पर नियंत्रण करने की प्रवृति होती है तथा वे विद्यार्थियों से रिकॉर्डिंग तथा साफ-सफाई का कार्य करवाते हैं!

मुद्दा 2: सुरक्षा

किसी भी प्रायोगिक गतिविधि के लिए योजना बनाने के दौरान जोखिम आकलन करना एक अनिवार्य हिस्सा है। जहां समूह कार्य शामिल होता है, वहां नियोजन में न केवल किसी खास रसायन, उपकरण या प्रक्रियाओं का इस्तेमाल करने से सम्बद्ध जोखिमों पर ध्यान दिया जाना शामिल होता है। अपितु बड़ी संख्या में विद्यार्थियों द्वारा गतिविधि को किए जाने के प्रभाव पर भी ध्यान दिया जाना शामिल होता है। सुरक्षित समूह प्रायोगिक गतिविधि की योजना बनाने में निम्नलिखित शामिल हैं।

  • पाठ से पूर्व सभी संभावित जोखिमों की पहचान करना। सुनिश्चित करें कि आपने होने वाली किसी दुर्घटना के संबंध में कार्रवाई करने के लिए योजना बनाई है।
  • कमरे के आसपास अनावश्यक आवाजाही को न्यूनतम रखें। इससे लोगों और उपकरणों के बीच संभावित टकराहट कम होती है, तथा आपके लिए यह देखना आसान हो जाता है कि क्या किया जा रहा है?
  • आप निम्नलिखित द्वारा भी दुर्घटनाओं के जोखिम को कम कर सकते हैं–
    • सुरक्षित रूप से काम करने के लिए व्यवस्थाएं तय करके।
    • एक साथ की जाने वाली गतिविधियों की संख्या को सीमित करके।

    • आवश्यक विभिन्न रसायनों की संख्या को न्यूनतम तक सीमित रखके।
    • विद्यार्थियों को भंडार में रखी गई रसायनों की बोतलों तक पहुंच प्रदान करने की बजाए, उन्हें उचित एवं थोड़ी मात्राओं में रसायनों को प्रदान करके।
  • यह सुनिश्चित करें कि इससे पहले कि आप उन्हें खोज के हिस्से के रूप में प्रक्रिया का इस्तेमाल करने की अनुमति देते हैं, आपके विद्यार्थी की प्रक्रिया को निष्पादित करने का सही और सुरक्षित तरीका जानते हैं। किसी भी संभावित जोखिम तथा उनके संबंध में कैसे कार्यवाही करनी है? को शामिल करें।
  • यह सुनिश्चित करें कि आपके विद्यार्थी इस बात से अवगत है कि यदि किसी प्रायोगिक गतिविधि के दौरान वे जल जाते हैं/झुलस जाते हैं/या स्वयं को चोट पहुंचा बैठते हैं, कोई रसायन बिखर जाता है या कोई उपकरण क्षतिग्रस्त हो जाता है तो उन्हें क्या करना है?

प्रारम्भिक तौर पर निम्नलिखित कार्य करें–

  • सुनिश्चित करें कि विद्यार्थियों को गतिविधि से संबंधित किसी भी विशिष्ट सुरक्षा पहलू की जानकारी है
  • किसी ऐसी प्रक्रिया को प्रदर्शित करके दिखाएं जिसका प्रयोग विद्यार्थियों द्वारा पहले से ही नियमित रूप से नहीं किया जाता है।

मुद्दा 3: प्रायोगिक गतिविधियों के लिए व्यवस्थाएं निर्धारित करना

प्रायोगिक गतिविधियों के लिए कुछ मूलभूत व्यवस्थाओं को निर्धारित करने से आपके द्वारा दिए जाने वाले स्पष्टीकरणों में कमी आती है, जिससे विद्यार्थी प्रायोगिक गतिविधि पर अपना ध्यान केन्द्रित कर सकते हैं। व्यवस्थाओं को में निम्नलिखित प्रकार से शामिल हो सकते हैं–

  • प्रायोगिक गतिविधि के लिए तैयार होना– किसे दूर रखना है? किसे अपने साथ ले जाना है? और कहां जाना है?
  • आसपास सुरक्षित रूप से घूमना।
  • प्रायोगिक गतिविधि की सेटिंग करना– जांच करना, कि क्या चाहिए? आधारभूत पकरणों को एकत्र करना? विशिष्ट वस्तुओं को इकठ्ठा करना।
  • मूलभूत तकनीकें– पिपेट का इस्तेमाल करना, मापक सिलेण्डर का इस्तेमाल करना, फिल्टर पेपर को मोड़ना, बीकर या टेस्ट ट्यूब में किसी चीज को गर्म करना।
  • गर्म वस्तुओं, बिखर चुके द्रव्यों या टूटे हुए शीशे को तुरन्त प्रायोगिक कक्ष से हटाना।
  • सफाई करना।
  • ‘सभी के ध्यानार्थ’– ऐसे भी अवसर हो सकते है जब आपको प्रायोगिक गतिविधि को रोकना पड़ सकता है। कारण चाहे कोई भी क्यों न हो? यह महत्वपूर्ण है कि विद्यार्थियों को यह पता होना चाहिए कि जब उन्हें ध्यान देने के लिए कहा जाए, तो उनसे क्या अपेक्षा की जाती है?

मुद्दा 4: सीमित समय और संसाधनों का सर्वश्रेष्ठ उपयोग करना

आपने किसी भी प्रकार की समूह प्रायोगिक गतिविधि का प्रयोग करने का निर्णय क्यों न किया हो? हमेशा शुरूआत और पूर्ण सत्र के लिए समय देना याद रखें!

विद्यार्थी प्रायोगिक गतिविधि को करने के लिए प्रति व्याकुल हो सकते हैं, लेकिन यह सुनिश्चित करने के लिए कुछ मिनट का समय लेना बहुत ही महत्वपूर्ण है कि प्रत्येक को यह जानकारी है कि वे जो कुछ कर रहे हैं उसका क्या अर्थ है और किसी खास गतिविधि को क्यों किया जा रहा है? सत्र की समाप्ति (जब प्रत्येक चीज को हटा दिया गया हो) पर भी कुछ मिनट का समय लेना भी महत्वपूर्ण होता है, जिससे कुछ मिनट का समय पूर्ण सत्र पर खर्च किया जा सके। प्रयोग के दौरान अनेक भिन्न-भिन्न कार्य निष्पादित किये जाते हैं, तथा इसलिए विद्यार्थियों की इन सभी ‘कार्यों में सामंजस्य स्थापित’ करने में सहायता करना विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, और विद्यार्थियों के कक्षा से बाहर जाने से पहले शिक्षण परिणामों पर फिर से ध्यान केन्द्रित करना भी अति महत्वपूर्ण है। आपके द्वारा जिस प्रकार से प्रायोगिक गतिविधि की व्यवस्था की जाती है, उससे आपके द्वारा प्रयोग किए जाने वाले संसाधनों के संबंध में एक बड़ा अंतर पैदा हो सकता है। ‘सर्कस प्रायोगिक गतिविधियां’ और ‘साझा खोज’ ऐसी दो कार्य प्रणालियां हैं, जिनसे अपेक्षित संसाधनों की मात्रा में कमी आ सकती हैं।

कार्यप्रणाली 1: ‘सर्कसया रोटेटिंग प्रयोग

‘सर्कस’ या ‘रोटेटिंग प्रयोग’ के अंतर्गत उपकरणों के अनेक सेटों का प्रयोग किए बिना समूह प्रायोगिक गतिविधियों को करने का तरीका प्राप्त हो जाता है। इस प्रकार के प्रयोग में अनेक लघु गतिविधियां शामिल होती हैं। प्रत्येक गतिविधि को भिन्न ‘स्टेशन’ पर कमरे के अलग हिस्से में किया जाता है। प्रत्येक समूह प्रत्येक स्टेशन पर जाता है तथा गतिविधि को निष्पादित करता है इसके बाद पुनः दूसरे स्टेशन की ओर आगे बढ़ जाता है। इसका सबसे आसान तरीका है कि स्टेशन को कमरे के किनारों पर स्थापित किए जाएं तथा समूहों को एक स्टेशन से दूसरे स्टेशन की ओर घड़ी की सुईयों की तरह घूमते हुए पहुंचना चाहिए।

इस प्रकार की गतिविधि को अच्छे से करने के लिए, योजना बनाने के दौरान अनेक बातों पर विचार किया जाना चाहिए–

  • इसे केन्द्रित रखें: कम संख्या में महत्वपूर्ण विचारों के प्रभावी समर्थन के लिए सर्कस का प्रयोग करें।
  • स्टेशनों की संख्या को सीमित रखें: जितने अधिक स्टेशनों पर जाना होगा, प्रयोग में उतना ही अधिक समय लगेगा, क्योंकि आने-जाने में अधिक समय लगता है।
  • छोटे समूहों से विद्यार्थियों को आसानी से अपनी भागीदारी का अहसास होता है: आप जितने प्रायोगिक स्टेशन को प्रदान करते हैं, समूहों की संख्या भी उतनी ही होनी चाहिए। यदि आप दो पूर्ण, समान सर्कसों का प्रयोग कर सकते हैं, तो आपको समूह के आकार को आधा कर देना चाहिए
  • गतिविधियों के परिणामस्वरूप विद्यार्थी अवलोकन और विचार (तथा चर्चा) करने के लिए प्रेरित होने चाहिए, न कि सिर्फ उपकरणों का ऐसे ही इस्तेमाल कर लेने के लिए: सर्कस में कुछ स्टेशन केवल कोई वस्तु या चित्र हो सकते है जो कि प्रश्न की सहायता के उद्देश्य को पूरा करते हैं।
  • हर किसी को यह स्पष्ट जानकारी होनी चाहिए कि सर्कस प्रायोगिक गतिविधि किस तरह से प्रयोग की जाती है: उन्हें प्रत्येक स्टेशन पर कितनी देर होना चाहिए? आप किस प्रकार से संकेत करेंगे अब रूकने का समय है तथा अगले स्टेशन पर जाएं? प्रत्येक समूह को उस क्रम की जानकारी होनी चाहिए जिसमें वह स्टेशनों पर जाएगा। यदि यह घड़ी की सुईयों के अनुसार अगले स्टेशन पर जाने का प्रश्न नहीं है (उदाहरण के रूप में), तो आपको प्रत्येक स्टेशन की संख्या या अक्षर से पहचान करनी होगी तथा प्रत्येक समूह को एक क्रम सूची प्रदान करना?
  • प्रत्येक गतविधि को सरल, लघु और स्पष्ट रखें: जब विद्यार्थी स्टेशन पर पहुंचते हैं, तो यह स्पष्ट होना चाहिए कि उन्हें क्या करना है? तथा उन्हें किसकी खोज करनी है? क्या उन्हें कुछ रिकॉर्ड करना है? उन्हें अगले समूह के लिए कार्य को किस प्रकार से छोड़ना है?
  • जब वे प्रतीक्षा कर रहे हैं तो उन्हें क्या करना है? आर्दश रूप में प्रत्येक समूह को बराबर समय लेना चाहिए। व्यवहारिक रूप से कुछ समूह दूसरे समूहों की तुलना में किसी गतिविधि को अधिक तेजी से पूरा करेंगे। संभवत: आप पूरी कक्षा के लिए विचारार्थ एक समस्या तय कर सकते हैं तथा पाठ के अंत में सुझाव दे सकते हैं।

कार्यप्रणाली 2: साझा खोज

जहां पर अनेक कारकों की खोज की जानी हो, तो यदि भिन्न-भिन्न समूह पर किसी एक खास गतिविधि की खोज करने का उत्तरदायित्व लेते हैं तो इससे समय और संसाधनों की बचत हो सकती है। प्रत्येक समूह द्वारा पूरी कक्षा को रिपोर्ट दी जाती है जिससे प्रत्येक किसी को सभी परिणामों से लाभ मिल सके।

मुद्दा 5: ‘हैंड्स ऑन’ तथा ‘माइन्ड्स ऑन’

‘हैंड्स ऑन’, ‘माइन्ड्स ऑन’ वाक्यांशों का प्रयोग प्रायः संग्रहालय में परस्पर संपर्क करने वाली प्रदर्शनियों से संबंधित डिज़ाइनों के संबंध मे किया जाता है, लेकिन, इसका प्रयोग कक्षा-आधारित गतिविधियो के लिए किया जा सकता है। इसका संदर्भ यह सुनिश्चित करने के महत्व पर है कि विद्यार्थी न केवल ‘काम करने में व्यस्त’ हैं अपितु अनुभव से वे सक्रिय रूप से सीख भी रहे हैं। ऐसा संभव हो सके, इसके लिए विद्यार्थियों को गतिविधि के उद्देश्य को जानना होगा तथा साथ ही यह भी समझना होगा कि उन्हें क्या करना है?

प्रारम्भिक तौर पर निम्नलिखित कार्य करें–

  • अधिकतम चार शिक्षण परिणामों की पहचान करें
  • प्रायोगिक गतिविधि के दौरान पूछे जाने वाले या देखे जाने वाले महत्वपूर्ण प्रश्नों पर सीधा ध्यान
  • जो कुछ पहले से ही जानते हैं, उन बातों के साथ वे क्या करने जा रहे हैं? का सह संबंध स्थापित करने में मदद करना।

प्रायोगिक गतिविधि के दौरान–

  • इस बात की जांच करें कि विद्यार्थी यह समझते हैं कि वे विज्ञान के निहितार्थ के संबंध में क्यों कुछ कर रहे हैं? नहीं कि ऐसा वे केवल औपचारिक रूप से निष्पादित कर रहे हैं
  • विद्यार्थियों से पूर्वानुमान लगाने के लिए कहें (तथा उन्हें स्पष्ट करने के लिए कहें)
  • विद्यार्थियों से इस बात पर टिप्पणियां करने के लिए कहें कि उन्होंने क्या अवलोकन किया है या कर रहे हैं। क्या इसी बात की उनसे अपेक्षा थी?

पूर्ण सत्र के दौरान:

  • विद्यार्थियों के प्रत्येक समूह से सारांश रूप से उनके द्वारा पता लगाई गई बातों को प्रस्तुत करने के लिए कहें। क्या यही उनसे प्रत्याशित था? या उन्होंने किसी असामान्य या अप्रत्याशित जानकारी का पता लगाया था।

संसाधन 2: पाठों का नियोजन करना

संसाधन 4: प्रायोगिक गतिविधि की प्रभाविकता का आकलन करना