4 मूर्त रूप में गणित से कागज़ पर निरूपण तक
गतिविधि 2 व 3 में आपने विद्यार्थियों को बड़े पैमाने पर गणितीय रचना के सुदृढ़ अनुभव दिए। यह कक्षा में काम करने या पाठ्य-पुस्तक का उपयोग करने से अलग अनुभव देता है। लेकिन किसी स्तर पर आपके विद्यार्थियों का गणितीय शिक्षण कागज़-कलम के तौर-तरीके पर, और परीक्षा के प्रश्नों के उत्तर देने पर लाना होगा। विख्यात शिक्षाविद् ब्रूनर (1966) ने इन भिन्न दुनियाओं को ‘अभिनयशील-प्रतिष्ठित-प्रतीकात्मक’ के नाम से परिभाषित किया था।
अगली गतिविधि उस परिवर्तन को पूरा करने और कक्षा के बाहर गणित शिक्षण (ब्रूनर का ‘अभिनयशील’ चरण) को अभिनयशील शिक्षण को दर्शाने वाले रेखांकन (ब्रूनर का ‘रेखांकनात्मक’ चरण) और अंत में गणितीय प्रतीकात्मक अंकन का उपयोग व इस अंकन का अर्थ लगाने (ब्रूनर का प्रतीकात्मक चरण) पर केंद्रित है। ऐसा गणितीय प्रतीकात्मक अंकन पाठ्य-पुस्तकों व परीक्षा के प्रश्न-पत्रों में पाया जाता है।
गतिविधि 4: मूर्त रूप गणित से परीक्षा के प्रश्नों तक
भाग 1
अपने विद्यार्थियों को गतिविधि 3 के बारे में सोचने को कहें, जिसमें उन्होंने मैदान में एक गेंद को वृत्त के मध्य रखकर वृत्त का केंद्र खोजने की कोशिश की और फिर देखा कि क्या वे यही कागज़ पर भी कर सकते हैं। अब आप उन्हें वह वृत्त छोटे रूप में फिर से बनाने को कहेंगे जो उन्होंने मैदान में बनाया था और जो उनकी अभ्यास-पुस्तिका में आ सके। वे उस वृत्त को किसी चूड़ी, कम्पास या किसी भी वृत्ताकार वस्तु की मदद से बना सकते हैं। यदि समय हो, तो वे अपने वृत्त को रंगोली में बदल सकते हैं (चित्र 2)।
अपने विद्यार्थियों को निम्न प्रश्नों के उत्तर देने को कहें:
- आप उसका सटीक व निर्विवाद केंद्र कैसे खोज सकते हैं?
- आपको क्या लगता है, विद्यालय के बाहर, आपको कहाँ और कब वृत्त का केंद्र खोजने की आवश्यकता पड़ सकती है? अपनी कल्पनाशीलता का उपयोग करें!
भाग 2
अपने विद्यार्थियों को गतिविधि 2 के बारे में सोचने को कहें, जिसमें उन्होंने त्रिभुजों के बड़े संस्करण बनाए थे। वे उसे कक्षा में की जाने वाली गतिविधि में कैसे बदल सकते हैं, जिसे वे अपनी अभ्यास-पुस्तकिओं में कर सकें?
भाग 3
अपने विद्यार्थियों को बताएँ कि वे:
- अपनी पाठ्य-पुस्तकें, और यदि उपलब्ध हों, तो परीक्षा के प्रश्न-पत्र लें।
- वे पाठ व प्रश्न खोजें जो आपको लगता है कि उस गणित से जुड़े हैं, जो आपने गतिविधि 2 व 3 और इस गतिविधि के भाग 1 और 2 में सीखा है।
- वे प्रश्न किस तरह समान या भिन्न हैं?
- क्या आप उन्हीं मुद्दों पर फँस जाते हैं?
- आप अपने आप कैसे उबरते हैं?
- ऐसा जताएँ जैसे आप कोई पाठ्य-पुस्तक लेखक या परीक्षा प्रश्न-पत्रों के लेखक हैं। क्या आप इस विषय पर तीन नए प्रश्न बता सकते हैं, जिन्हें पाठ्य-पुस्तक या परीक्षा में उपयोग किया जा सके - एक आसान, एक मध्यम व एक कठिन? (याद रखें कि आपको इन प्रश्नों का सही उत्तर स्वयं देना होगा!)
केस स्टडी 4: गतिविधि 4 पर श्रीमती मेहता का अनुभव
इन गतिविधियों को करने के बाद मेरे विद्यार्थियों में आया परिवर्तन बहुत गहरा था। यद्यपि उन्हें ये कार्य आसान नहीं लगते और वे इन्हें जल्दी नहीं कर पाए फिर भी उनका अपनी गणित करने की क्षमता के बारे में आत्मविश्वास बहुत बढ़ा हुआ नज़र आया। वे अपनी सीखने की क्षमता पर अधिक अधिकार होना दिखा सके।
वे कार्य के पहले भाग से खुशी-खुशी जुड़े रहे, और उन्हें किसी वृत्त का केंद्र क्यों खोजना पड़ सकता है, इस बारे में बेहद अविश्वसनीय कहानियाँ सुनाईं। लगभग सभी कहानियों में कोई प्रारूप बनाने के लिए अपनी अभ्यास-पुस्तिका में शल्कन (scaling) के लिए बनाने का तर्क शामिल था, जो यह बताता है कि वे अपनी अभ्यास-पुस्तिका के गणित से आगे भी देख पाते हैं।
गतिविधि के भाग 2 के लिए, मैंने विद्यार्थियों से जोड़ियों में काम करने को कहा, क्योंकि बातचीत से उबरने में मदद मिल सकती है और कुछ विचार आ सकते हैं।
हमने पाठ्य-पुस्तक के पाठों को देखकर यह चर्चा आरंभ की कि इनमें वास्तव में क्या था। उन्होंने इस पर फिर से जोड़ियों में आगे काम किया। नए प्रश्न बनाने के बारे में उनका एक प्रश्न यह था:
- दो त्रिभुजों, ABC और PQR, का अनुपात निम्नानुसार है:
- दोनों के परिमाप का अनुपात खोजो।
- बड़े त्रिभुज की भुजाओं का संभावित आकार खोजने के लिए अपनी खोजी हुई जानकारी का उपयोग करें।
अन्य प्रश्न था:
- कोई त्रिभुज बनाओ जो दूसरे, मूल त्रिभुज का 2/3 हो।
- कोई त्रिभुज बनाओ जो उस दूसरे, मूल त्रिभुज का 5/3 हो।
चर्चा करें कि आप कोई ऐसा त्रिभुज किस प्रकार बना सकते हैं, जो मूल त्रिभुज का 500/3 हो।
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3 गणित को मूर्तरूप बनाना