3 विद्यार्थियों को संबंधित चरों के बारे में विचार करने पर प्रेरित करने के लिए चित्रों का उपयोग करना
समीकरण चरों और अचरों को संबद्ध करती हैं। कौन, कौन है यह पहचाने के अलावा, गणित में एक और रोचक प्रश्न यह है कि दिये गये सन्दर्भ में ‘चर’ एक दूसरे को किस सीमा तक सम्बद्ध करते है ? यह समझने में विद्यार्थियों की मदद करने का अच्छा तरीका है, उन्हें चित्र दिखाकर संबद्ध अचरों के बारे में स्वयं उनके विचार बताने को कहना।
अगली गतिविधि में, विद्यार्थियों को चार स्थितियाँ दी जाएँगी। उन्हें वे सभी चर पहचानने हैं, जो वे सोच सकें और फिर वे जोड़े निर्धारित करने हैं, जो संबंद्ध हो सकते हैं।
गतिविधि 3: संबद्ध चर खोजना
तैयारी
इस अभ्यास के लिए कक्षा को छोटे समूहों (दो, तीन या चार लोगों के) में बाँट दें और फिर उन्हें मिलकर काम करने को कहें। यह निर्धारित करें कि आप समूहों का प्रबंधन कैसे करेंगे। पाठ से पहले इसे कर लेना आवश्यक है, जिससे पाठ के दौरान समय बचाया जा सके। नीचे चित्र 1 की छवियों का उपयोग करें या स्वयं अपनी इसी तरह की छवियों का उपयोग करें, उदाहरण के लिए अख़बारों में से।
गतिवधि
अपने विद्यार्थियों को चित्र 1 की चार छवियों को देखने को कहें। प्रत्येक मामले में, उन चरों की सूची बनाएँ, जो छवि से सम्बन्धित कोई भी पहलू दर्शाते हों।
प्रत्येक सूची के लिए, उन चरों की जोड़ियाँ बनाएँ, जो आपके अनुसार संबद्ध हो सकते हैं। इन चरों से बना एक विशिष्ट संदर्भ बनाएँ व उस संदर्भ को एक समीकरण के रूप में प्रस्तुत करें। अपनी कल्पनाशीलता का उपयोग करें!
गतिविधि के अंत में, समूहों को अपने विचार साझा करने और उनका मूल्यांकन करने को कहें।
केस स्टडी 3: गतिविधि 3 के उपयोग का अनुभव श्री भाटिया बताते हैं
मैंने निर्णय किया कि काम चार-चार के समूह में किया जाए। हमने 11 समूह बनाए और प्रत्येक समूह को चित्र देकर विभिन्न चरों को निकालने व समीकरण बनाने को कहा गया।
वे सभी बड़े उत्साह से चित्रों के विभिन्न चरों को निकालकर लाए। बिना किसी प्रबोधन के, वे कुछ हद तक उन्हें पहचान सकते थे, जो उनके हिसाब से संबद्ध थे और जो उन्हें लगता था कि संबद्ध नहीं थे। फिर कुछ समूह अटक गए। वे यह नहीं सोच पाए कि संपर्क कैसे बनाया जाय।
मैं कक्षा में घूम रहा था, पर मैंने इस बिन्दु पर गतिविधि रुकवा दी और कुछ उदाहरण पूछे। मैंने कहा कि कोई छोटा सा विचार भी सबको आगे बढ़ाने वाला हो सकता है।
शोभा और उसका समूह कुछ भून रही महिला के चित्र पर काम कर रहे थे और बोले कि यदि घर में सदस्यों की संख्या ‘y’ है और प्रत्येक सदस्य ‘x’ पूड़ियाँ खाता है तो यदि महिला ने 40 पूरियाँ बनाईं, तो xy = 40। दूसरे समूह से मोना भी उसी चित्र पर काम कर रही थी और काम में ली जा रही सामग्री से संबंधित संदर्भ लेकर आई। उन्होंने निर्णय लिया कि वह महिला पकौड़े बना रही थी। तो यदि उसने ‘x’ किग्रा बेसन व ‘y’ किग्रा आलुओं का उपयोग किया, और यदि बेसन का प्रति किलो मूल्य ‘a’ है और ‘b’ प्रतिकिलो आलू का मूल्य है, तो उसका व्यय होगा ax + by।
मैंने इन दोनों स्वयंसेवकों की प्रशंसा की व देखा कि उनके उदाहरण अन्य समूहों को अपने विचार-विमर्श में आगे बढ़ाने के लिए काफ़ी हैं। कुछ समय के बाद मैंने प्रत्येक समूह को अपने विचारों में से एक पर एक प्रस्तुति बनाने को कहा और हमने कुछ अच्छी प्रस्तुतियाँ देखीं। मैं वास्तव में इस बात से बहुत प्रभावित
हुआ कि विद्यार्थियों ने कितनी आसानी व प्राकृतिक तरीके से एक समीकरण में कई चरों को रखा - यह कुछ ऐसा था, जो मैं उन्हें पाठ्यपुस्तक से पढ़ाने में भी कतरा रहा था।
विचार के लिए रुकें
अपने विद्यार्थियों की समझ का पता लगाने के लिए आपने क्या सवाल किए?
- विद्यार्थियों से किस प्रकार की प्रतिक्रिया अनपेक्षित थी? क्यों?
- क्या आपको लगा कि आपको किसी समय हस्तक्षेप करना होगा? किन बिंदुओं पर आपको लगा कि आपको और समझाना होगा?
इस गतिविधि में आपने अपने विद्यार्थियों की सीखने की क्षमता का मूल्यांकन कैसे किया?
2 समीकरणों की पारिस्थितिक संकल्पना