3 सहकारी शिक्षण

भरी हुई कक्षा में सीखने के अवसरों को बढ़ाने के लिए, विद्यार्थियों को एक दूसरे की सहायता करनी चाहिए जैसा कि उन्होंने श्रीमती चड्ढा जी की कक्षा में केस स्टडी 2 में किया तथापि, माध्यमिक गणित कक्षाओं में शायद ही कभी सहकारी शिक्षण को लागू किया जाता है और जहाँ ऐसा होता है, वहाँ उद्देश्यपूर्वक होने के बजाय वह अक्सर डिफाल्ट (default) से होता है। Slavin et al. (2003) ने प्रमाण की काफी़ समीक्षा की और निष्कर्ष निकाला कि ‘सहकारी शिक्षण आधुनिक अनुसंधान के इतिहास की सबसे बड़ी सफलता की कहानियों में से एक है’ (पृ. 177)– इस सफलता के चार प्रमुख कारण (Wiliam, 2011) निम्न प्रतीत होते हैं:

  • प्रेरणा: विद्यार्थी एक दूसरे को सीखने में मदद करते हैं, क्योंकि ऐसा करना स्वयं उनके हित में है। इसका चौतरफा़ प्रयास बढ़ाने पर प्रभाव पड़ता है, जिसके फलस्वरूप शिक्षण में अधिक सफलता हासिल होती है और उसके कारण चुनौतीपूर्ण अवधारणाओं को हल करने के लिए अधिक प्रेरणा मिलती है।
  • सामाजिक एकजुटता: विद्यार्थी अपने साथियों की मदद इसलिए करते हैं कि वे एक ही समूह का हिस्सा हैं और उनके लिए समूह की सफलता मायने रखती है।
  • वैयक्तिकरण: यदि किसी विशेष विद्यार्थी को परेशानी हो रही हो, तो इस बात की संभावना है कि समूह में कोई और उसकी मदद करे। जहाँ समूह अच्छी तरह संरचित हों, वहाँ हमेशा वही लोग मदद नहीं करते या मदद प्राप्त नहीं करते।
  • संज्ञानात्मक विस्तार: विचार–विमर्श में योगदान देने वाले लोगों को विचारों के माध्यम से सोचने के लिए और स्वयं अपने तथा दूसरों को उन्हें स्पष्ट करने के लिए मजबूर किया जाता है।

यदि किसी बड़ी कक्षा में विद्यार्थियों को अपेक्षित मदद पाना हो, तो उन्हें एक दूसरे की मदद करने के लिए उपलब्ध होना चाहिए। विद्यार्थियों द्वारा एक दूसरे को पढ़ाना आश्चर्यजनक रूप से प्रभावी हो सकता हैः एक अध्ययन में विद्यार्थियों ने अपने शिक्षक से वैयक्तिक रूप से पढ़ाए जाने पर जितना सीखा लगभग उतना ही साथी द्वारा पढ़ाए जाने पर भी सीखा, संभवतः इसका कारण यह हो कि उन्हें साथी द्वारा प्रश्न पूछे जाने पर कम भय महसूस होता है (Schacter, 2000).

अगली गतिविधि का उद्देश्य एक समस्या को हल करने के लिए अन्य गणितीय विचारों के साथ संबंध स्थापित करने के क्रम में विद्यार्थियों को सहयोगपूर्वक एक साथ काम करने के लिए कहना है।

गतिविधि 3: संबंध जोड़ना

इस गतिविधि के लिए आपको प्रत्येक विद्यार्थी के लिए कम से कम तीन छड़ियों की ज़रूरत है। यदि यह संभव नहीं है, तो विद्यार्थियों की प्रत्येक जोड़ी के लिए या तीन विद्यार्थियों के एक जैसे समूहों के लिए तीन छड़ियों का उपयोग करें। प्रत्येक विद्यार्थी (या विद्यार्थियों की जोड़ी ) यादृच्छिक रूप से तीन छड़ियाँ उठाता है। सुनिश्चित करें कि उन्हें अपनी छड़ियों की लंबाई का चयन करने का मौका़ न मिले।

अपने विद्यार्थियों से कहें:

  • अब आप अपनी छड़ियों को खिसका सकते हैं, ताकि आपके द्वारा तैयार त्रिभुज की सबसे लंबी भुजा का एक अंश ‘काट’ सकें, जिससे तीन लंबाइयाँ एक समकोण त्रिभुज का निर्माण करें।

  • अपने समूहों में चर्चा करें कि आप किस प्रकार काटी जाने वाली सही लंबाई जानेंगे। इस लंबाई का पता लगाने के लिए आप किन तथ्य(यों) का उपयोग करेंगे?
  • समकोण त्रिभुज बनाने के लिए आपके द्वारा प्रयुक्त तीन छड़ियों को यथासंभव सटीक रूप से मापें।

  • तीन छड़ियों में से प्रत्येक की लंबाई का एक दूसरे के प्रति अनुपात का पता लगाएँ।
  • किसी और विद्यार्थी को खोजें, जिससे ये अनुपात मेल खाते हों।
  • दूसरे विद्यार्थी से छानबीन करें कि आपके त्रिभुजों के बीच क्या सामान्य है, जिसके परिणामस्वरूप अनुपात मेल खा रहे हैं।
  • निरूपित करें और अपने निष्कर्ष कक्षा में प्रस्तुत करें।

केस स्टडी 3: श्रीमती चड्ढ़ा गतिविधि 3 के उपयोग का अनुभव बताती हैं

मैंने कुछ समय पहले कक्षा में पाइथागोरस प्रमेय पढ़ाया और त्रिकोणमिति पर आगे बढ़ना चाहती थी। अब चूँकि कक्षा में साथ मिल कर त्रिभुज के बारे में ख़ुशी से बात हो रही थी और सही शब्दावली का उपयोग कर रहे थे, मैंने सोचा मैं यह जानने के लिए इस अभ्यास का उपयोग कर सकती हूँ कि उन्हें पाइथागोरस कितनी अच्छी तरह याद हैं और मुझे दुबारा पढ़ाने की आवश्यकता है या नहीं।

मैंने उन्हें बताया कि इस सत्र का प्रयोजन समकोण त्रिभुजों के साथ काम करना, उनके द्वारा सीखे अन्य गणितीय विचारों के लिए संबंध जोड़ना और उन्हें जो पता था उस ज्ञान में विस्तार करना है। इसका मतलब था कि वे जब भी संबंध जोड़ सकें, तो उन्हें अपने लिए उसे नोट करना होगा, ताकि वे कक्षा के साथ उन्हें साझा कर सकें और मैं अंत में उनसे पूछूँगी कि क्या उन्होंने नया कुछ सीखा है।

उन्होंने स्वाभाविक रूप से समूहों का गठन किया, जो कल गतिविधि 1 और 2 करते समय उन्होंने इस्तेमाल किया था और अपनी छड़ियों को थाम लिया। उन्होंने बात करना शुरू किया कि वे कैसे आश्वस्त थे कि उनके पास ‘काटने’ के लिए सही लंबाई है – मैंने वास्तव में उन्हें अपनी छड़ी काटने नहीं दिया, सिर्फ़ उन्हें चिह्नित करने के लिए कहा। पहले उन्होंने माप के बारे में यह कहते हुए बातचीत शुरू की कि यदि हम सही तरह 90° मापते हैं, तो वह ठीक होगा, इसके लिए उन्होंने अपना कोणमापक (चाँदा) निकाला और मापना शुरू कर दिया। मैं देखना चाहती थी कि जब वे एक दूसरे के साथ बात कर रहे थे, तब क्या हो सकता है, इसलिए मैं बस विभिन्न समूहों को सुन रही थी। मैंने कुछ लोगों को कहते सुना ‘निशान लगाओ’, ‘हाय, यह तो सरक गया’ और ‘ऐसा करना मुश्किल है’। मैंने पूरी कक्षा से इस बारे में सोचने के लिए कहा कि उस समय वे गणित के साथ कौन–सा संबंध जोड़ रहे थे, जिसे वे जानते हैं, क्योंकि मुझे लगा कि वे बस मापने में तल्लीन हैं। मैंने उन सबको चुप रहने और 30 सेकंड सोचने, और फिर काम पर लौटने के लिए कहा।

शांति से सोचने के समय ने असर दिखाया और एक ने कहना शुरू किया, ‘हमें कर्ण का पता लगाना चाहिए, तो हम उपयोग में लाएँगे, हुँ...प...’ किसी और ने कहा ‘पाइथागोरस – अरे वो क्या था!’ मैंने देखा कि कई लोग अपनी पाठ्यपुस्तक में पाइथागोरस प्रमेय ढूँढ़ रहे थे। लग रहा था कि वे कुछ ही मिनटों में बस दुहरी जाँच कर रहे थे, वे समकोण नाप रहे थे और वर्गमूल निकाल रहे थे। मैं बेहद ख़ुश थी कि मुझे बस उन्हें सोचने के लिए समय देना है और फिर बड़ी आसानी से पूरी कक्षा ने पाइथागोरस प्रमेय का उपयोग करने और स्वाभाविक रूप से सही उत्तर पाने में एक दूसरे की मदद की।

मुझे लगा कि कक्षा में अधिकांश लोगों को पाइथागोरस की अच्छी समझ थी, लेकिन मैंने देखा कि पवनदीप और कुछ और लोग उलझन में थे। मैंने उनसे कहा कि जब कक्षा के बाकी़ लोग भाग 2 शुरू कर दें वे मुझसे बात करें और मैंने पाया कि वे पाइथागोरस प्रमेय पर पाठ पढ़ाते समय अनुपस्थित थे। साथ मिल कर हमने योजना बनाई कि वे कैसे इसकी पूर्ति करेंगे, जिसमें पाठ्यपुस्तक का उपयोग, इंटरनेट का उपयोग करना शामिल था और उनके अगले पाठ से पहले, पिछले सप्ताह उन्हें जो समझ में आया उसे मुझे बताना था।

मैंने विद्यार्थियों को स्वेच्छा से आगे आने और इस कार्य को कैसे हासिल किया, यह बताने के लिए कहा। मैंने उनसे यह भी पूछा कि क्या इस गतिविधि को उन्होंने किसी अलग पद्धति से भी हल किया। उन्हें पुनः चार के समूहों में विभाजित करने के बाद इस चर्चा के साथ गतिविधि का दूसरा भाग संपन्न किया गया कि क्या हो रहा है।

उन्होंने इच्छा से भाग 2 को हल करना शुरू किया। वे जानते थे कि कुछ पता करना है और वे उसका पता लगाना चाहते थे। उन्होंने इसकी दुहरी जाँच करते हुए अंकगणित से हल किया कि उनके पास सही उत्तर है। (वे सामान्य रूप से कब जाँच करते हैं? आम तौर पर वे बस अभ्यास पूरा करने की कोशिश करते हैं!) भिन्न के रूप में रखे जाने पर वे अनुपात की तुलना नहीं कर पाए, इसलिए उनको एहसास हुआ कि उन्हें कुछ और करना चाहिए। कुछ ने कहा कि हम समतुल्य भिन्नें बना सकते हैं; कुछ को दशमलव स्वरूप में दर्शाना आसान लगा। सौभाग्य से विभिन्न आकार के समद्विबाहु त्रिभुज वाले कई समूह थे और कुछ 30–, 60 और 90 डिग्री के त्रिभुज वाले भी। इसलिए एकसमान उत्तर वाले विद्यार्थियों का स्वाभाविक रूप से समूह गठित हुआ और वे देख सकते थे कि यदि कोण एकसमान हों, सभी भुजाओं के लिए अनुपात एकसमान होंगे – एक मामले में उन्होंने यह भी देखा कि भुजाएँ दुगुनी हो गई। यह त्रिकोणमिति अनुपात के बारे में सीखने के लिए एकदम सही शुरुआत थी, लेकिन उसे अगले पाठ तक इतंज़ार करना पड़ा । पहले हमें कुछ प्रश्नों के जवाब देने थे, ताकि वे देख सकें कि उन्होंने पाठ के उद्देश्य की सफलतापूर्वक पूर्ति की है।

विचार के लिए रुकें

विद्याथियों के अधिगम के मूल्यांकन के लिए आप समस्या समाधान (problem solving) का कितनी बार प्रयोग करते हैं ? आपके विचार में क्या श्रीमती चड्ढा को पता चल सका कि उनकी कक्षा में हरेक क्या कर सकता है? उनमें से कइयों को पाइथागोरस प्रमेय का उपयोग कैसे किया जाए, यह याद करने में कुछ मदद मिली होगी, क्या इसका मतलब है कि वे इसके बारे में नहीं जानते थे?

अपनी कक्षा को प्रश्न हल करते हुए देखने से आपको यह जानने में मदद मिल सकती है कि कौन गणितीय अवधारणा के उपयोग की पद्धति को समझ रहा है, कौन सिर्फ़ प्रश्नों को हल करने के नियमों की प्रणाली का अनुसरण कर रहा है और इसलिए संदर्भ से पीछे छूट गया है, कौन बिल्कुल ही नहीं समझ पा रहा है। शायद यहाँ सबसे महत्वपूर्ण बात है कि विद्यार्थी समझ जाएँ कि वे क्या कर सकते हैं और क्या नहीं कर सकते हैं। एक शिक्षक के रूप में, फिर आप ‘इसके आगे कहाँ?’ प्रश्न पर वाक़ई अच्छा फ़ीडबैक दे सकते हैं, ठीक वैसे ही, जैसे श्रीमती चड्ढा़ ने किया।

अधिक विवरण के लिए, संसाधन 2 ‘प्रगति और निष्पादन का मूल्यांकन’ पढ़ें।

2 प्रभावी फी़डबैक

4 सारांश