1 समानता और असमानता पता लगाने की गतिविधियाँ

समानता और असमानता लोगों को गणितीय गुणधर्मों और इसके अनुप्रयोगों से सजग रखने के लिए अच्छी गतिविधियाँ हैं। समानता और असमानता का कार्य विद्यार्थियों को गणितीय विषय वस्तुओं के बारे में सोचने और इस बात पर ध्यान देने पर बाध्य करता है कि क्या समान है और क्या अलग। ऐसा करते समय, विद्यार्थी वे संबंध बनाते हैं, जिनपर वे आमतौर पर ध्यान नहीं देते। उन्हें गणितीय चिंतन प्रक्रिया की ओर प्रेरित किया जाता है, जैसे सामान्यीकरण, यह अनुमान कि क्या समान रहता है और क्या बदल सकता है, और इन कल्पनाओं का सत्यापन। संबंध मालूम करने, संरचनाएँ देखने, चीजों का कारण पता करने और कथनों की सत्यता य असत्यता पर तर्क–वितर्क करने के लिए विद्यार्थियों को सारग्रहण का उपयोग करने देने की राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की आवश्यकता का यह एक उदाहरण है।

समानता और असमानता की गतिविधियाँ, जैसा गतिविधि 1 में दिया गया है, विद्यार्थियों की इस बात में मदद कर सकती हैं:

  • उनके अधिगम को मजबूत बनाना।

  • उन्हें विभिन्न संख्या प्रणालियों के विभिन्न उद्देश्य याद दिलाएँ
  • प्रणालियों की सूक्ष्म समानताएँ और असमानताओं की जानकारी प्राप्त करें।

गतिविधि 1 में आपके विद्यार्थियों के लिए इस बारे में सोचना आवश्यक है कि कौन से कथन हमेशा, कभी–कभी सत्य होते हैं या कभी सत्य नहीं होते। उद्देश्य संख्या प्रणालियों के बीच असमानताओं की जानकारी प्राप्त करना और उनके कारणों के लिए गणितीय तर्क विकसित करना है। ऐसा करके वे गणितीय भाषा को उनके उपयोग के बारे में अधिक परिशुद्ध बन सकते हैं और अधिक सूक्ष्म समानताओं और असमानताओं पर ध्यान दे सकते हैं। अगले प्रश्नों में, किसी संख्या रेखा को देखकर कल्पना की ओर पहला कदम बढ़ाया गया है।

इस यूनिट में अपने विद्यार्थियों के साथ गतिविधियों के उपयोग का प्रयास करने के पहले अच्छा होगा कि आप सभी गतिविधियों को पूरी तरह (या आंशिक रूप से) स्वयं करके देखें। यह और भी बेहतर होगा यदि आप इसका प्रयास अपने किसी सहयोगी के साथ करें, क्योंकि जब आप अनुभव पर विचार करेंगे तो आपको मदद मिलेगी। गतिविधियों को स्वयं करके देखने से आपको शिक्षार्थी के अनुभवों के भीतर झांकने का मौका मिलेगा, जो अप्रत्यक्ष रूप से आपके शिक्षण और एक शिक्षक के रूप में आपके अनुभवों को प्रभावित करेगा। जब आप तैयार हों, तो अपने विद्यार्थियों के साथ गतिविधियों का उपयोग करें। पाठ के बाद, सोचें कि गतिविधि किस तरह हुई और उससे क्या सीख मिली। इससे आपको अधिक विद्यार्थी को केंद्र में रखने वाला शैक्षिक वातावरण बनाने में मदद मिलेगी।

गतिविधि 1: हमेशा सत्य, कभी–कभी सत्य या कभी सत्य नहीं?

तैयारी

कथनों को एक सूची के रूप में दिया जा सकता है, या कार्ड पर लिखा जा सकता है और उन्हें यादृच्छिक रूप से साझा किया जा सकता है। प्रश्नों की एक पूरी सूची, और कार्यपत्रक का एक उदाहरण, जिसे कार्ड के रूप में काटा जा सकता है, संसाधन 2 और 3 में देखा जा सकता है। विभिन्न संख्या प्रणालियों और उनके गुणधर्मों की एक रूपरेखा संसाधन 4 में देखी जा सकती है।

इस गतिविधि में कार्य करने के तरीकों के लिए कुछ सुझाव नीचे दिए गए हैं:

  1. आप विद्यार्थियों को स्वयं कार्य करने, अपने विचार कक्षा को बताने या अपने विचार अपने साथी/सहपाठी से साझा करने को कह सकते हैं।
  2. कथन सभी को करने के लिए दिए जा सकते हैं – लेकिन यह थकाऊ हो सकता है, इसलिए विद्यार्थियों से उसका केवल एक भाग करने को कहें; उदाहरण के लिए, विषम/सम/अभाज्य संख्याएँ करने के लिए।
  3. आप विद्यार्थियों को उनकी अपनी पसंद चुनने को भी कह सकते हैं। उदाहरण के लिए, यदि वे ऐसी तीन चुनना चाहें, जिन्हें वे करना चाहेंगे और दो ऐसी जिन्हें वे नहीं करना चाहें, तो आप उन्हें अपने साथियों की सहायता से पूरी पाँच करने के लिए कह सकते हैं।
  4. विद्यार्थियों को अपनी पसंद चुनने देने से अक्सर कक्षा में सक्रिय भागीदारी और जुड़ाव सक्षम होता है।

गतिवधि

अपने विद्यार्थियों से पूछें कि निम्न में से कौन से कथन ’हमेशा सही हैं’, ’कभी–कभी सही हैं’ या ’कभी सही नहीं हैं’, और क्यों?

  1. दो प्राकृत संख्याओं का योग भी एक प्राकृत संख्या होता है।
  2. दो पूर्णांकों का योग एक पूर्णांक नहीं होता।
  3. दो अपरिमेय संख्याओं का अंतर एक अपरिमेय संख्या होता है।
  4. दो अपरिमेय संख्याओं का गुणनफल एक अपरिमेय संख्या होता है।
  5. दो पूर्ण संख्याओं का भागफल एक पूर्ण संख्या होता है।
  6. दो वास्तविक संख्याओं का भागफल एक वास्तविक संख्या होता है।
  7. पूर्ण संख्याओं के ऐसे अनंत युग्म होते हैं, जिनका योग 0 होता है।
  8. पूर्ण संख्याओं का एक युग्म होता है, जिसका गुणनफल 1 होता है।
  9. दो वास्तविक संख्याओं का गुणनफल एक दोहराव रहित, समाप्ति रहित दशमलव होता है।
  10. किसी संख्या रेखा में किसी प्राकृत संख्या का सटीक स्थान निर्धारित नहीं किया जा सकता।
  11. दो पूर्णांकों का अंतर, किसी संख्या रेखा पर दोनों पूर्णांकों में से प्रत्येक के बाईं ओर होता है।
  12. दो वास्तविक संख्याओं के बीच परिमित प्राकृत संख्याएँ होती हैं।
  13. यदि a एक प्राकृत संख्या है तो a2 भी प्राकृत संख्या होती है।
  14. संख्या ab, a तथा b दोनों से बड़ी है।

आप मुख्य संसाधन ’शिक्षण के लिए बातचीत’ पर भी एक नजर डाल सकते हैं।

केस स्टडी 1: गतिविधि 1 के उपयोग का अनुभव श्रीमती अपराजिता बताती हैं

यह एक अध्यापिका की कहानी है, जिसने अपने माध्यमिक कक्षा के विद्यार्थियों के साथ गतिविधि 1 का प्रयास किया।

कई कारणों से इस गतिविधि को आजमाने में मुझे डर थाः

  • गतिविधि की असामान्य संरचना
  • विद्यार्थियों के लिए उनके स्वयं के कारण तैयार करने की आवश्यकता
  • विद्यार्थी आपस में बातचीत करते हैं, जबकि आमतौर पर इसकी मेरी कक्षा में अनुमति नहीं है
  • मेरा डर कि उन्हें विभिन्न संख्या प्रणालियों के बारे में शायद कुछ भी याद नहीं रहेगा!

यह गतिविधि शुरू करने से पहले, मैंने छह विद्यार्थियों को एक से 14 के बीच एक संख्या बताने को कहा। ये छह संख्याएँ वे प्रश्न बन गई जो उन्हें हल करना था। विद्यार्थियों को एक–दूसरे से बात करने की अनुमति देने के बारे में मुझे बहुत असहजता थी, क्योंकि मुझे लगा था कि कक्षा में 79 विद्यार्थी होने से बहुत शोरगुल का वातावरण हो जाएगा; क्या चर्चा हुई इसे नियंत्रित करना मेरे लिए मुश्किल हो जाएगा और सब अस्त–व्यस्त हो जाएगा। क्या होगा यदि प्रिंसिपल ऐसे अस्त–व्यस्तता के माहौल में पास से निकलें! दूसरी तरफ मेरा मानना है कि बातचीत से सीखने में मदद मिलती है, क्योंकि जब आप बात करते हैं, तो आपको अपनी सोच व्यवस्थित करनी होती है – अन्यथा श्रोता आपको समझेगा नहीं।

तो मैंने अपने आपको बहादुर बनाया और पाठ शुरू कियाः मैंने विद्यार्थियों से कहा कि वे स्वयं शांतिपूर्वक उत्तर निकालें और अपने कारण लिख लें। फिर मैंने उन्हें अपने साथी से अपने विचारों और कारणों की चर्चा जोड़ी में करने को कहा। लेकिन यह उन्हें चुपचाप करना था, ताकि दूसरे यह न सुन पाएँ कि वे क्या कह रहे हैं और उनके विचार चुरा न लें! मैंने उन्हें कहा कि कुछ देर बाद यादृच्छिक रूप से किसी को चुना जाएगा और उसे युग्म की सोच के बारे में बताने को कहा जाएगा। अन्य विद्यार्थी तब संरचनात्मक तरीके से टिप्पणी कर पाए, ठीक वैसे ही जैसे हम कभी–कभी पूरी कक्षा की चर्चा में करते हैं। मेरे इस डर के समाधान के लिए कि वे कुछ भी याद नहीं रख पाएँगे, मैंने ब्लैकबोर्ड पर पाठ्यपुस्तक के उन पृष्ठों के क्रमांक लिखे जहाँ उन्हें संख्या प्रणाली की जानकारी मिल सकती थी – और वे उन्हें देखने के लिए स्वतंत्र थे।

मुझे आश्चर्य हुआ कि इसने बहुत अच्छा काम किया! कक्षा में अव्यवस्था नहीं हुई। जोड़ी में बात करने से शोर हुआ, लेकिन वह अधिक नहीं थाः उन्हें प्रतिस्पर्धा और गोपनीयता का बोध अच्छा लगा। मैंने इधर–उधर घूमकर और दीवार के सहारे खड़े रहकर निरीक्षण करते हुए बातचीत सुनी। मुझे सबसे अच्छी बात यह लगी की बातचीत गणित के बारे में थी, और उन असहमतियों से गणित गुणधर्मों पर सटीक चर्चाएँ हुई, जिनमें पाठ्यपुस्तकों से संदर्भ निकालना और अपनी बात को बताने के लिए संख्या रेखा का उपयोग करना शामिल था। पूरी कक्षा की चर्चा मेरे अनुमान से कम जीवंत थी, क्योंकि तब तक थोड़ी–बहुत असहमति ही थी। हालाँकि, उपयोग की गई गणितीय भाषा से मुझे खुशी हुई। कक्षा की चर्चा एक समेकन गतिविधि बन गई। उनके जवाबों से मुझे पता लगा कि विभिन्न संख्या प्रणालियों में संक्रियाएँ करते समय वे गुणधर्मों के अंतर और इन अंतरों के परिणामों को वास्तव में समझ रहे थे।

इस बात में जो सबसे कठिन बात मुझे लगी वह थी एक शिक्षक के रूप में मेरी भूमिका में बदलाव। अब मैं उन्हें यह समझाने और बताने के लिए खड़ी नहीं थी कि क्या करना है। वास्तव में, मैंने बहुत कम बात की और चर्चा में बीच में शामिल न होना और उन्हें बताना कि इसे कैसे करें, कठिन था। हालाँकि, इसका अर्थ है कि यह अब उनकी सीख है और उनका चिंतन है, जो कि एक सशक्त अनुभव था।

क्या मैं अगली बार कोई बदलाव करूँगा? हाँ, मैं कोशिश करूँगा कि वे अपन प्रश्न स्वयं चुनें, यद्यपि मुझे नहीं पता कि पूरी चर्चा का नेतृत्व कैसे किया जाएगा जब वे सभी अलग–अलग प्रश्न चुन लेंगे। शायद, मैं उन्हें उनके निष्कर्षों पर छोटी प्रस्तुतियां बनाने को कह सकता हूँ। मुझे लगता है कि मैं भी प्रश्नों को ’कार्ड’ स्वरूप में तैयार करूँगा और इनका उपयोग तब करूँगा जब पाठ को समाप्त करने में पाँच या दस मिनट बचे होंगे। मुझे लगता है इससे वह दोहराव होगा जो इस पूरे ज्ञान को उनके दिमाग में रखने के लिए आवश्यक है, बिना इस बात का एहसास दिलाए कि पुस्तक से और अभ्यास किए जा रहे हैं।

अपने शिक्षण अभ्यास में दिखाना

जब आप अपनी कक्षा के साथ ऐसा कोई अभ्यास करें, तो बाद में बताएं कि क्या ठीक रहा और कहां गड़बड़ हुई। ऐसे सवाल की ओर ध्यान दें जिसमें विद्यार्थियों की रुचि दिखाई दे और वे आगे बढ़ते हुए नज़र आएं और वे जिनका स्पष्टीकरण करने की आवश्यकता हो। ऐसी बातें ऐसी ’स्क्रिप्ट’ पता करने में सहायक होती हैं, जिससे आप विद्यार्थियों में गणित के प्रति रुचि जगा सकें और उसे मनोरंजक बना सकें। यदि वे कुछ भी समझ नहीं पाते हैं तथा कुछ भी नहीं कर पाते हैं, तो वे शामिल होने में कम रुचि लेंगे। जब भी आप गतिविधियां करें, इस चिंतनशील अभ्यास का उपयोग करें यह ध्यान देते हुए, जैसे श्रीमती अपराजिता ने किया, कि कुछ छोटी–छोटी चीजों से काफी फर्क पड़ता है।

विचार के लिए रुकें

ऐसे चिंतन को गति देने वाले अच्छे सवाल हैं:

  • आपकी कक्षा कैसी रही?

  • विद्यार्थियों से किस प्रकार की प्रतिक्रिया अनपेक्षित थी? क्यों?
  • क्या आपको लगा कि आपको किसी समय हस्तक्षेप करना होगा?

  • किन बिंदुओं पर आपको लगा कि आपको और समझाना होगा?
  • क्या आपने किसी भी रूप में काम को संशोधित किया? यदि ऐसा है, तो आपने ऐसा किस कारण से किया?

आप इस इकाई में क्या सीख सकते हैं

2 कल्पनाशीलता पर कार्य करना