2 कल्पनाशीलता पर कार्य करना

डॉर्फलर (1991) और वान हैली (1986) के शोध से पता चलता है कि कल्पना करना गणित को सीखने का एक सशक्त औजार है। (आप कल्पना चित्रण का उपयोग करनाः बीजगणितीय तत्समक इकाई में कल्पना चित्रण के बारे में अधिक जान सकते हैं।) हालाँकि, अधिकांश कल्पना चित्रण निरूपणों में गणित में उनके उपयोग के संबंध में सीमाएँ होती हैं। विद्यार्थियों को इस बारे में जानकारी रखना होगी कि किसी विशेष प्रयोजन के लिए किस कल्पना चित्र निरूपण का उपयोग करना है।

गतिविधि 2 में विद्यार्थी संख्या रेखा के लिए इन सीमाओं की खोज करेंगे। गतिविधि में विद्यार्थियों से विभिन्न संख्या प्रकारों की गुणधर्म पहचानने को कहा जाता है। यह उन्हें अपने उदाहरणों में चयन के विकल्प भी देता है, जिससे भाग लेने वाले विद्यार्थी को अपने स्वामित्व का बोध होता है।

गतिविधि 2: संख्या रेखा पर संख्याएँ दर्शाना

तैयारी

यह गतिविधि उन विद्यार्थियों के लिए बेहतर काम करती है, जो जोड़ों या छोटे समूहों में काम करते हैं, ताकि विचारों और अभिमतों को आसानी से साझा किया और चुनौती दी जा सके। यदि आपके विद्यार्थी इस तरह से काम करने के आदी नहीं हैं, तो आपको यह योजना बनानी होगी कि उन्हें जोड़ों और छोटे समूहों में किस तरह व्यवस्थित किया जाएगा, ताकि वे आसानी से एक–दूसरे से बात कर सकें।

गतिवधि

अपने विद्यार्थियों को निम्न बताएँ:

  1. संख्या रेखा पर ये संख्याएँ एकदम सही अंकित करें:
    • 2 – 4
    • 18/4
    • √2
    • 17/3
  2. क्या आप परिणामों से खुश हैं? क्या आप उन सभी को एकदम सही स्थान पर रख पाएँगे? आपको कैसे पता?
  3. क्या आपको ऐसी अन्य संख्याएँ पता हैं, जिन्हें संख्या रेखा पर दिखाना कठिन या आसान है?

केस स्टडी 2: गतिविधि 2 के बारे में शिक्षक अभय अपने अनुभव बताते हैं

मैंने स्वयं गतिविधि 2 को आजमाया और उसमें शिक्षण की संभावना देखी। हालाँकि यह वैसी गतिविधि नहीं थी जिसे हम विद्यालय में करते हैं, इसलिए मैं बहुत आशंकित था। मैं बताऊँगा कि मैंने उस आशंका को कैसे दूर किया और मेरे अनुभव ने मेरे विद्यार्थियों के लिए इस गतिविधि की मेरी योजना पर किस प्रकार प्रभाव डाला।

चूँकि मुझे सीधे अपनी कक्षा के विद्यार्थियों के साथ इस गतिविधि को उपयोग करने का साहस नहीं हुआ, इसलिए मैंने पहले इसे अपने साथियों पर आजमाना चाहा। मैंने अपने साथियों, जिनमें से कुछ गणित शिक्षक नहीं थे, को संख्या रेखा पर संख्याएँ चिह्नित करने को कहा। फिर मैंने उनसे पूछा कि उन्होंने यह कैसे किया। पूर्ण और परिमेय–सांत संख्याओं को दर्शाने की उनकी विधियाँ समान थीं, लेकिन परिमेय असान्त और अपरिमेय संख्याओं को चिह्नित करने की उनकी विधियाँ अलग–अलग थीं। उदाहरण के लिए, कुछ संख्याओं के लिए उन्होंने दशमलव का उपयोग किया, जबकि अन्य के लिए उन्होंने रचना का उपयोग किया। बाद में इस बारे में एक चर्चा हुई कि क्या इन संख्याओं को किसी संख्या रेखा पर ठीक–ठीक रखा जा सकता है, और कल्पना चित्रण के रूप में संख्या रेखा की क्या–क्या सीमाएँ हैं।

अपने सहकर्मियों को पहले इस कार्य को करने, और फिर उसके बारे में बताने के लिए कहने से मुझे अपने कक्षा 9 के विद्यार्थियों के लिए पाठ की योजना बनाने में बहुत मदद मिली। मैंने देखा कि मेरे सहकर्मियों ने एक–दूसरे को सुनकर सीखा। मैंने उन्हें नहीं बताया कि कैसे करना है। इसने मुझे सोचने पर मजबूर किया कि क्या मेरे विद्यार्थी भी इसी तरह सीख पाएँगे? किस बात पर मैंने सोचा कि उनकी सीख कुछ अलग हो सकती है?

मैंने तय किया कि मैं चाहूँगा कि मेरे विद्यार्थी भी अपनी सहपाठियों से सीखें, ताकि वे जान सकें कि कौन–कौन सी विधियाँ हैं और उनकी प्रभावशीलता और सीमाओं के बारे में सोच सकें, जैसा कि मेरे सहकर्मियों ने किया। इसका अर्थ यह हुआ कि मुझे यह पक्का करने के लिए ऐसी पाठ योजना ग्रहण करनी पड़ी कि उसमें ज्ञान के विनिमय का अवसर मिले, अर्थात मुझे समय साझाकरण की योजना बनानी पड़ी ।

इसलिए काम को स्वयं करके मुझे विश्वास हो गया था कि यह सीखने के अत्यधिक अवसरों वाला एक प्रेरक कार्य है। अपने सहकर्मियों को यह कार्य करने को कहने से मुझे मेरी कक्षा के साथ इसे आजमाने की मेरी आतुरता को शांत करने में मदद मिली। उनके जवाबों को सुनकर मैंने शिक्षण की अपनी मान्यताओं पर ही प्रश्न किए और मैं शिक्षण की भिन्न तकनीकों के बारे में सोचने को प्रेरित हुआ, ताकि साझा शिक्षण हो सके। अपने ’नए’ विचारों को आजमाने के लिए मैं कुछ नए पाठों की योजना भी बनाऊँगा।

विचार के लिए रुकें

  • अपने विद्यार्थियों की समझ का पता लगाने के लिए आपने क्या सवाल किए?
  • विद्यार्थियों से किस प्रकार की प्रतिक्रिया अनपेक्षित थी? क्यों?
  • क्या आपने किसी भी रूप में काम को संशोधित किया? यदि ऐसा है, तो आपने ऐसा किस कारण से किया?

अधिक जानकारी के लिए, संसाधन 5, ’पाठों का नियोजन करना’ पढ़ें।

1 समानता और असमानता पता लगाने की गतिविधियाँ

3 समानता और असमानता की गतिविधियाँ बनाना – मौजूदा अभ्यास में छोटे–छोटे बदलाव करना