2 क्या यह प्रमाण है?

गणितीय प्रमाण विज्ञान और कानून जैसे अन्य विषयों की प्रमाण से अलग है क्योंकि तर्क–वितर्क में हर चरण ज्ञात और निर्विवादित तथ्यों पर आधारित होना चाहिए – प्रमाण प्रयोगाश्रित साक्ष्य पर आधारित नहीं हो सकता। इसका मतलब यह है कि गणित में आप बस आवृत्तियों का निरीक्षण करके यह नहीं कह सकते है कि ’यह हमेशा सत्य है’। गणित में, प्रमाणों के सभी स्वीकार्य औचित्य या स्थापित कथनों, और तर्क के नियमों पर आधारित होने चाहिए।

सीखने के लिए, और नए शिक्षण का बोध करने के लिए विद्यार्थियों को अपने मौजूदा ज्ञान और अनुभव को जोड़ने में सक्षम होना चाहिए, जो सीधे औपचारिक प्रमाण में जाते समय करना कठिन होता है। इस इकाई के शेष भाग में गणितीय प्रमाण के महत्वपूर्ण पहलुओं को पहचानने और उनका विकास करने में विद्यार्थियों की सहायता करने के तरीके सुझाए गए हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • यह तर्क कि गणितीय प्रमाण अनुभवसिद्ध साक्ष्य पर आधारित नहीं होते
  • गणितीय गुणधर्मों को जानना और पुनः याद करना
  • प्रभावी तर्क–वितर्क तकनीकों का विकास
  • पहले से ज्ञात बातों पर निर्माण।

कभी–कभी यह जानना कठिन होता है कि गणितीय विवेक बोध को कब ’प्रमाण’ माना जा सकता है या कब नहीं। इसका एक उदाहरण नीचे दिए गए परिदेृश्य में बताया गया है, जिसमें श्रीमती कपूर ने अपने विद्यार्थियों से पूछा कि वे इस बात को कैसे सिद्ध करेंगे कि किसी त्रिभुज के तीनों कोणों का योग 180° होता है।

केस स्टडी 1: श्रीमती कपूर ने अपने विद्यार्थियों से कहा कि वे इस बात सिद्ध करें कि किसी त्रिभुज के तीनों कोणों का योग 180° होता है।

शिक्षकःकिसी त्रिभुज के अंदर के तीनों कोणों का योग कितना होता है ?
विद्यार्थीः180°.
शिक्षकःपक्का?
विद्यार्थीःहाँ, बिल्कुल।
शिक्षकःआप कैसे जानते हो कि इतना ही होता है?
विद्यार्थीःक्योंकि...आपने हमें बताया था और पुस्तक में भी यही लिखा है।
शिक्षकः

ठीक है, अब मैं चाहती हूँ कि आप एक पल के लिए यह सोचें कि आप इस बात को गणितीय रूप से कैसे सिद्ध करेंगे कि किसी त्रिभुज के तीनों कोणों का योग 180° होता है। यह एक गणितीय साक्ष्य है, इसलिए आपका कारण विस्तृत और उचित होना चाहिए। कल्पना कीजिए कि आप एक गणितज्ञ हैं और भारत के प्रधानमंत्री को यह विश्वास दिलाना चाहते हैं – आप यह कैसे करेंगे? इस बारे में सोचें कि आप त्रिभुजों और गणितीय प्रमाण के बारे में पहले से क्या जानते हैं। अपने विचारों की चर्चा पहले अपने साथी से करें। ऐसा करने के लिए मैं आपको पहले पाँच मिनट दूँगी।

[पाँच मिनट बाद।]

तो आप प्रधानमंत्री को यह विश्वास दिलाने के लिए क्या कहेंगे कि किसी त्रिभुज के आंतरिक कोणों का योग हमेशा 180° होता है?
विद्यार्थी 1:हम कहेंगे कि जब आप किसी त्रिभुज के आंतरिक कोणों को मापते हैं और उन्हें जोडत़े हैं, तो आपको हमेशा 180° मिलता है। आप यह कितने भी, और किसी भी प्रकार के त्रिभुजों के साथ कर सकते हैं।
विद्यार्थी 2:हम कहेंगेः कागज के एक टुकड़े पर एक त्रिभुज बनाइए। इसे काटिए। कोने फाड़िए और इन कोनों को पास–पास रखिए। वे हमेशा एक सरल रेखा बनाते हैं। जैसा कि हमें ज्ञात है कि किसी सरल रेखा के कोणों का योग 180° होता है, इसलिए हम यह नतीजा निकाल सकते हैं कि किसी त्रिभुज के आंतरिक कोणों का योग भी 180° होता है। किसी भी त्रिभुज के लिए यह ऐसा ही होगा।
शिक्षकःआप क्या सोचते हैं, कक्षा – क्या आप गणितीय प्रमाणों के इन विचारों से सहमत हैं? क्या प्रधानमंत्री को विश्वास होगा? क्या उन्हें होना चाहिए?

विचार के लिए रुकें

इस बारे में सोचें कि ये विचार किस हद तक वास्तव में गणितीय प्रमाण हैं। क्या कोई अन्य तरीका है जिससे प्रमाण दिया जा सके? इन प्रमाणों को कैसे चुनौती दी जा सकती है?

 

1 विद्यालयों में गणितीय प्रमाण क्यों सिखाए जाएँ?

3 गणितीय गुणधर्मों और तथ्यों को जानना