संसाधन 3: सीखने के लिए बातचीत
सीखने के लिए बातचीत क्यों जरूरी है
बातचीत मानव विकास का हिस्सा है, जो सोचने–विचारने, सीखने और विश्व का बोध प्राप्त करने में हमारी मदद करती है। लोग भाषा का इस्तेमाल तार्किक क्षमता, ज्ञान और बोध को विकसित करने के लिए औज़ार के रूप में करते हैं। अतः, विद्यार्थियों को उनके शिक्षण अनुभवों के भाग के रूप में बात करने के लिए प्रोत्साहित करने का अर्थ होगा उनकी शैक्षणिक प्रगति का बढ़ना। सीखे गए विचारों के बारे में बात करने का अर्थ होता हैः
- उन विचारों को परखा गया है
- तार्किक क्षमता विकसित और सुव्यवस्थित है
- जिससे विद्यार्थी अधिक सीखते हैं।
किसी कक्षा में रटा–रटाया दोहराने से लेकर उच्च श्रेणी की चर्चा तक विद्यार्थी वार्तालाप के विभिन्न तरीके होते हैं।
पारंपरिक तौर पर, शिक्षक की बातचीत का दबदबा होता था और वह विद्यार्थियों की बातचीत या विद्यार्थियों के ज्ञान के मुकाबले अधिक मूल्यवान समझी जाती थी। तथापि, पढ़ाई के लिए बातचीत में पाठों का नियोजन शामिल होता है ताकि विद्यार्थी इस ढंग से अधिक बात करें और अधिक सीखें कि शिक्षक विद्यार्थियों के पहले के अनुभव के साथ संबंध कायम करें। यह किसी शिक्षक और उसके विद्यार्थियों के बीच प्रश्न और उत्तर सत्र से कहीं अधिक होता है क्योंकि इसमें विद्यार्थी की अपनी भाषा, विचारों और रुचियों को ज्यादा समय दिया जाता है। हम में से अधिकांश कठिन मुद्दे के बारे में या किसी बात का पता करने के लिए किसी से बात करना चाहते हैं, और अध्यापक बेहद सुनियोजित गतिविधियों से इस सहज–प्रवृत्ति को बढ़ा सकते हैं।
कक्षा में शिक्षण गतिविधियों के लिए बातचीत की योजना बनाना
शिक्षण की गतिविधियों के लिए बातचीत की योजना बनाना महज साक्षरता और शब्दावली के लिए नहीं है, यह गणित एवं विज्ञान के काम तथा अन्य विषयों के नियोजन का हिस्सा भी है। इसे समूची कक्षा में, जोड़ी या सामूहिक कार्य में, आउटडोर गतिविधियों में, भूमिका पर आधारित गतिविधियों में, लेखन, वाचन, प्रायोगिक छानबीन और रचनात्मक कार्य में योजनाबद्ध किया जा सकता है।
यहां तक कि साक्षरता और गणना के सीमित कौशलों वाले नन्हें विद्यार्थी भी उच्चतर श्रेणी के चिंतन कौशलों का प्रदर्शन कर सकते हैं, बशर्ते कि उन्हें दिया जाने वाला कार्य उनके पहले के अनुभव पर आधारित और आनंदप्रद हो। उदाहरण के लिए, विद्यार्थी तस्वीरों, आरेखणों या वास्तविक वस्तुओं से किसी कहानी, पशु या आकृति के बारे में पूर्वानुमान लगा सकते हैं। विद्यार्थी रोलप्ले करते समय कठपुतली या पात्र की समस्याओं के बारे में सुझावों और संभावित समाधानों को सूचीबद्ध कर सकते हैं।
जो कुछ आप विद्यार्थियों को सिखाना चाहते हैं, उसके इर्दगिर्द पाठ की योजना बनायें और इस बारे में सोचें, और साथ ही इस बारे में भी कि आप किस प्रकार की बातचीत को विद्यार्थियों में विकसित होते देखना चाहते हैं। कुछ प्रकार की बातचीत अन्वेषी होती है, उदाहरण के लिएः ’इसके बाद क्या होगा?’, ’क्या हमने इसे पहले देखा है?’, ’यह क्या हो सकता है?’ या ’आप ऐसा क्यों सोचते हैं कि वह यह है?’ कुछ अन्य प्रकार की वार्ताएं ज्यादा विश्लेषणात्मक होती हैं, उदाहरण के लिए विचारों, साक्ष्य या सुझावों का आकलन करना।
इसे रोचक, मज़ेदार और सभी विद्यार्थियों के लिए संवाद में भाग लेना संभव बनाने की कोशिश करें। विद्यार्थियों को उपहास का पात्र बनने या गलत होने के भय के बिना दृष्टिकोणों को व्यक्त करने और विचारों का पता लगाने में सहज होने और सुरक्षित महसूस करने की जरूरत होती है।
विद्यार्थियों की वार्ता को आगे बढ़ाएं
शिक्षण के लिए वार्ता अध्यापकों को निम्न अवसर प्रदान करती हैः
विद्यार्थी जो कहते हैं उसे सुनना
- विद्यार्थियों के विचारों की प्रशंसा करना और उस पर आगे काम करना
- इसे आगे ले जाने के लिए विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करना।
सभी उत्तरों को लिखना या उनका औपचारिक आकलन नहीं करना होता है, क्योंकि वार्ता के जरिये विचारों को विकसित करना शिक्षण का महत्वपूर्ण हिस्सा है। आपको उनके शिक्षण को प्रासंगिक बनाने के लिए उनके अनुभवों और विचारों का यथासंभव प्रयोग करना चाहिए। सर्वश्रेष्ठ विद्यार्थी वार्ता अन्वेषी होती है, जिसका अर्थ होता है कि विद्यार्थी एक दूसरे के विचारों की जांच करते हैं और चुनौती पेश करते हैं ताकि वे अपने प्रत्युत्तरों को लेकर विश्वस्त हो सकें। एक साथ बातचीत करने वाले समूहों को किसी के भी द्वारा दिए गए उत्तर को स्वीकार करने के लिए प्रोत्साहित नहीं किया जाना चाहिए। आप समूची कक्षा की सेटिंग में ‘क्यों?’, ‘आपने उसका निर्णय क्यों किया?’ या ‘क्या आपको उस हल में कोई समस्या नजर आती है?’ जैसे जांच वाले प्रश्नों के अपने प्रयोग के माध्यम से चुनौतीपूर्ण विचारशीलता को तैयार कर सकते हैं। आप विद्यार्थी समूहों को सुनते हुए कक्षा में घूम सकते हैं और ऐसे प्रश्न पूछकर उनकी विचारशीलता को बढ़ा सकते हैं।
अगर विद्यार्थियों की वार्ता, विचारों और अनुभवों की कद्र और सराहना की जाती है तो वे प्रोत्साहित होंगे। बातचीत करने के दौरान अपने व्यवहार, सावधानी से सुनने, एक दूसरे से प्रश्न पूछने, और बाधा न डालना सीखने के लिए अपने विद्यार्थियों की प्रशंसा करें। कक्षा में कमजोर बच्चों के बारे में सावधान रहें और उन्हें भी शामिल किया जाना सुनिश्चित करने के तरीकों पर विचार करें। कामकाज के ऐसे तरीकों को स्थापित करने में थोड़ा समय लग सकता है, जो सभी विद्यार्थियों को पूरी तरह से भाग लेने की सुविधा प्रदान करते हों।
विद्यार्थियों को खुद से प्रश्न पूछने के लिए प्रोत्साहित करें
अपनी कक्षा में ऐसा वातावरण तैयार करें जहां अच्छे चुनौतीपूर्ण प्रश्न पूछे जाते हैं और जहां विद्यार्थियों के विचारों को सम्मान दिया जाता है और उऩकी प्रशंसा की जाती है। विद्यार्थी प्रश्न नहीं पूछेंगे अगर उन्हें उनके साथ किए जाने वाले व्यवहार को लेकर भय होगा या अगर उन्हें लगेगा कि उनके विचारों का मान नहीं किया जाएगा। विद्यार्थियों को प्रश्न पूछने के लिए आमंत्रित करना उनको जिज्ञासा दर्शाने के लिए प्रोत्साहित करता है, उनसे अपने शिक्षण के बार में अलग ढंग से विचार करने के लिए कहता है और उनके नजरिए को समझने में आपकी सहायता करता है।
आप कुछ नियमित समूह या जोड़े में कार्य करने, या शायद ‘विद्यार्थियों के प्रश्न पूछने का समय’ जैसी कोई योजना बना सकते हैं ताकि विद्यार्थी प्रश्न पूछ सकें या स्पष्टीकरण मांग सकें। आपः
अपने पाठ के एक भाग का नामकरण करें ‘यदि कोई प्रश्न हो तो हाथ उठाये।’
- किसी विद्यार्थी को हॉट–सीट पर बैठा सकते हैं और दूसरे विद्यार्थियों को उस विद्यार्थी से प्रश्न पूछने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं जैसे कि वे पात्र हों, उदाहरणतः पाइथागोरस या मीराबाई
जोड़ों में या छोटे समूहों में ‘मुझे और अधिक बताएं’ खेल खेल सकते हैं
- मूल पूछताछ का अभ्यास करने के लिए विद्यार्थियों को कौन/क्या/कहां/कब/क्यों वाले प्रश्न ग्रिड दे सकते हैं
विद्यार्थियों को कुछ डेटा (जैसे कि विश्व डेटा बैंक से उपलब्ध डेटा, उदाहरणतः पूर्णकालिक शिक्षा में बच्चों की प्रतिशतता या भिन्न देशों में स्तनपान की विशेष दरें) दे सकते हैं, और उनसे उन प्रश्नों के बारे में सोचने के लिए कह सकते हैं जो आप इस डेटा के बारे में पूछ सकते हैं
- विद्यार्थियों के सप्ताह भर के प्रश्नों को सूचीबद्ध करते हुए प्रश्न दीवार डिज़ाइन कर सकते हैं।
जब विद्यार्थी प्रश्न पूछने और उन्हें मिलने वाले प्रश्नों के उत्तर देने के लिए मुक्त होते हैं तो उस समय आपको रुचि और विचारशीलता के स्तर को देखकर हैरानी होगी। जब विद्यार्थी अधिक स्पष्टता और सटीकता से संवाद करना सीख जाते हैं, तो वे न केवल अपनी मौखिक और लिखित शब्दावलियां बढ़ाते हैं, अपितु उनमें नया ज्ञान और कौशल भी विकसित होता है।
संसाधन 2: चिंतन को बढ़ावा देने के लिए प्रश्न पूछने का उपयोग करना