4 कार्य के परे सोचना

चित्र 5 दिल्ली का रेड फोर्ट या लाल किला।

विद्यालय में गणित सीखने से विद्यार्थी मात्र प्रक्रियाओं का पालन करेंगे और इस बारे में नहीं सोचेंगे कि विधि का कोई निश्चित अभिकलन (Algorithum) क्यों उपयोग किया गया है, यह क्यों कार्य करती है, या इससे प्रश्नों का उत्तर क्यों मिला।

अगली गतिविधि किसी पेड़, किसी ऊँची वस्तु या किसी ऐसे स्थानीय लैंडमार्क की ऊँचाई निकालना है, जिसे पटरी/स्केल या रस्सी या किसी अन्य चीज़ से मापना कठिन हो। आप विद्यार्थियों को क्लिनोमीटर का उपयोग करने को कह सकते हैं, जो भूमि सर्वेक्षकों द्वारा ऊँचाई निकालने का उपकरण है। इसका उपयोग करने का मैन्युअल देने के बजाय विद्यार्थियों को ऐसा मैन्युअल बनाने को कहा जाता है, इसलिए पहले उन्हें यह पता लगाना पड़ेगा कि क्लिनोमीटर एक उपयुक्त उपकरण क्यों और कैसे है – और क्लिनोमीटर को उपयोग करने का गणित क्या है। उन्हें यह निर्णय करना होगा कि मैन्युअल को आगे कैसे बढ़ाएँ, मैन्युअल में क्या लिखें और उनकी गणितीय व्याख्या को कैसे व्यक्त करें।

गतिविधि 3: विद्यार्थी क्लिनोमीटर बनाएँगे

अपने विद्यार्थियों को इस प्रकार बताएँ:

इस गतिविधि में विद्यार्थियों को एक क्लिनोमीटर बनाने को कहा जाता है। यह ऐसा उपकरण है जो पेड़, लैंडमार्कों या इमारतों की ऊँचाई मापने में सर्वेक्षकों की मदद करने वाला उपकरण है। फिर आपसे यह कल्पना करने को कहा जाता है कि आप किसी ऐसी कंपनी में काम करते हैं, जो ऐसे क्लिनोमीटर बनाती है और आपको इसे उपयोग करने का मैन्युअल बनाना है। याद रखें कि आपके ग्राहक ऐसे सर्वेक्षक हैं, जिन्हें गणित और त्रिकोणमिति का अच्छा ज्ञान है, इसलिए इस बारे में गणितीय व्याख्याएँ बेझिझक शामिल करें कि ऊँचाई निकालने के लिए क्लिनोमीटर का उपयोग क्यों और कैसे किया जा सकता है।

एक क्लिनोमीटर बनाने के लिए आपको पहले अपना प्रोटेक्टर संशोधित करना होगा और इसे चित्र 6 और 7 में बताया गया है।

चित्र 6 क्लिनोमीटर बनाना

क्लिनोमीटर ‘ऊँचाई का कोण’ मापता है और चित्र 7 में बताए अनुसार आपको इसका उपयोग करना है।

चित्र 7 क्लिनोमीटर में ऊँचाई के कोण का प्रदर्शन।

अपना मैन्युअल बनाने में मदद पाने के लिए इन प्रश्नों का उत्तर दें:

  • इस इंस्ट्रूमेंट के कौन–कौन से घटक हैं और वे कैसे कार्य करते हैं? इनमें कौन सी गणित शामिल है? यह ऐसी ड्रॉइंग बनाने में मदद कर सकता है, जो आपके अनुसार इसकी कार्यविधि है।
  • यह पता करें कि ऊँची वस्तुओं की ऊँचाई निकालने के लिए आप अपने क्लिनोमीटर का उपयोग कैसे कर सकते हैं। गणित में क्या शामिल है? यह ऐसी ड्रॉइंग बनाने में मदद कर सकता है, जो आपके अनुसार इसकी कार्यविधि है।

  • क्या होता है, जब आप किसी पहाड़ी पर खड़े होते हैं और जिस वस्तु को माप रहे हैं, वह पहाड़ी की चोटी पर है? क्या आपको दूसरी विधि चाहिए या नहीं?

  • अपना मैन्युअल इसके उपयोगकर्ताओं को यह बताने के लिए करें कि क्लिनोमीटर कैसे काम करता है और इसका उपयोग कैसे करें। याद रखें कि ड्रॉइंग से यह स्पष्ट हो सकता है।

केस स्टडी 3: गतिविधि 3 के उपयोग का अनुभव श्रीमती मीनाक्षी बताती हैं

शुरुआत में इस कार्य के उपयोग के बारे में मुझे अनिश्चितता महसूस हुई। सामान्यत:, कार्यों को छोटी गतिविधियों या अभ्यासों में तोड़ा जाता है, जो विद्यार्थियों को बताता है कि चरण–दर–चरण क्या करें। यह कार्य तुलनात्मक रूप से अव्यवस्थित लगा!

मैंने विद्यार्थियों को मेरी यह चिंता बताने के बारे में तय किया कि यह कार्य कक्षा में उपयोग होने वाली अन्य सामान्य समस्याओं की तुलना में कम व्यवस्थित है और यह कि मैंने यह सोचा कि उन्हें अधिक मार्गदर्शन और चरणों की आवश्यकता होगी। शायद उन्होंने इसे चुनौती के रूप में लिया, लेकिन उन्होंने काम को उत्साह और समर्पण से किया। उन्होंने जोड़ियों और तीन के समूहों में यह काम किया। हमने विचारों को साझा करने के लिए, समस्याओं व अवलोकन की चर्चा के लिए हर 10–15 मिनट के आसपास एक संक्षिप्त प्रतिक्रिया सत्र चलाया, और इससे मेरे दिमाग को यह शांति मिली कि इस कम व्यवस्थित कार्य को विद्यार्थी अच्छे से कर रहे हैं।

हमने पहले यह काम कक्षा में किया, यह सोचते हुए कि ब्लैकबोर्ड के शीर्ष की ऊँचाई क्या है, लाइट की ऊँचाई क्या है और कक्षा की ऊँचाई क्या है। जब उन्होंने अपने सिद्धांत तैयार कर लिए कि क्लिनोमीटर ने कैसे काम किया, हम बाहर गए, रस्सी और मापक टेप ली और विद्यालय, कुछ पेड़ों की ऊँचाई और पहली मंजिल की खिड़की की दूरी निकालने का प्रयास किया। समूहों के बीच गणनाओं की तुलना करने से विद्यार्थियों को अपनी विधियों, अपनी गणनाओं की सटीकता और अपनी मापों की शुद्धता पर विचार करने का अवसर मिला। विद्यार्थियों को अपने मैन्युअल को साथ बनाने में आनंद आया और इसे समाप्त करने के लिए उन्होंने इसे घर ले जाने की इच्छा जताई।

इस कार्य से मुझे यह सोचने का अवसर मिला कि क्यों न समस्याओं को चरण दर चरण निर्देशों में तोड़ा जाए। अब मैं यह भी सोचती हूँ कि मुझे इन चरण–दर–चरण कार्यों में विद्यार्थियों के अधिगम या चिंतन में कोई सहायता नहीं करनी चाहिए थी: यह उन्हें बताता है कि क्या करना है और कैसे सोचना है, इसलिए इसमें रचनात्मकता का छोटा सा विकल्प या अवसर मौजूद है। मैं सुनिश्चित नहीं हूँ कि मैं इन चरण–दर–चरण कार्यों को अधिक व्यवस्थित कार्यों में बदल पाऊँगी, शायद मैं कुछ चरणों को हटाकर, दी गई तालिका को हटाकर या अन्य तरीकों से शुरुआत करूंगी, ताकि विद्यार्थी स्वयं इसका पता लगाएँ।

विचार के लिए रुकें

आपकी कक्षा कैसी रही? अपने विद्यार्थियों की समझ का पता लगाने के लिए आपने क्या सवाल किए? क्या आपको लगा कि आपको किसी समय हस्तक्षेप करना होगा? किन बिंदुओं पर आपको लगा कि आपको और समझाना होगा? क्या आपने श्रीमती मीनाक्षी की तरह कार्य को किसी तरह बदला था? यदि ऐसा है, तो आपने ऐसा किस कारण से किया?

3 ‘क्या होगा यदि?’ प्रश्न का उपयोग करना

5 सारांश