2 कक्षा में निर्माणात्मक और योगात्मक आकलन का उपयोग करना

केस स्टडी 2 बतलाता है कि एक विद्यालय प्रमुख, श्रीमती सिल्वा ने शिक्षक के रूप में अपने स्वयं के अनुभवों का उपयोग करते हुए अपने विद्यालय में निर्माणात्मक आकलन की शुरूआत कैसे की। वे अपने विद्यालयों में निर्माणात्मक आकलन का परिचय कराने के लिए अपने तरीके को पाँच चरणों में संरचित करती हैं:

  • शिक्षकों को निर्माणात्मक आकलन से परिचित कराना।
  • शिक्षकों को निर्माणात्मक आकलन के व्यावहारिक संपर्क में लाना: विद्यालय नेता, श्रीमती सिल्वा द्वारा ली गई एक कक्षा का प्रेक्षण करना।
  • विद्यालय नेता, श्रीमती सिल्वा द्वारा कक्षा को पढ़ाने के प्रेक्षित तरीके पर शिक्षकों के साथ चर्चा।
  • शिक्षकों का उनकी कक्षाओं में निर्माणात्मक आकलन करते समय प्रेक्षण करना।
  • समीक्षा और चिंतन-मनन।

केस स्टडी 2: श्रीमती सिल्वा कक्षा में निर्माणात्मक आकलन का उपयोग करती हैं

श्रीमती सिल्वा हमेशा अपनी कक्षा के हर छात्र की विभिन्न अध्यायों में प्रगति के बारे में नोट्स बनाकर निगरानी करती थीं। उन्हें अपनी कक्षा के विभिन्न छात्रों के लिए अपने पाठों को प्रासंगिक और उपयोगी बनाने में गर्व होता था, और वे जानती थीं कि ऐसा करना तभी संभव है यदि उन्हें हर छात्र की उसकी पढ़ाई में स्थिति की जानकारी हो। उन्होंने समय के साथ सीखा था कि उन्हें यह नहीं मानना चाहिए कि सबसे अधिक शोर करने वाले छात्र ही सबसे मेधावी भी होते हैं, इसलिए उन्हें उन छात्रों को प्रोत्साहित करना और उन्नति करते देखना पसंद था जो चुप रहकर भी सक्षम थे।

वे किसी न किसी प्रारूप में यह रिकार्ड करने में भी विश्वास करती थीं कि छात्र अपनी गतिविधियों में क्या कर रहे हैं और हर छात्र को उसकी शिक्षण-प्रक्रिया और प्रगति के बारे में प्रतिक्रिया प्रदान करती थीं। रिकॉर्डिंग और विश्लेषण के आधार पर, वे योजना बनाती थीं कि उनके छात्रों के साथ किस तरह से व्यवहार किया जाये जिससे कि उनकी सीखने की प्रक्रिया में सुधार आ सके।

विद्यालय प्रमुख के रूप में हाल में हुई उनकी पदोन्नति के साथ, श्रीमती सिल्वा चाहती हैं कि उनके तीन सहकर्मी अपने छात्रों की पूर्व शिक्षा को आगे बढ़ाएं और उन्हें जो कुछ पता चले उसे ध्यान में रखते हुए अपने अध्यापन को समायोजित करें। अपनी पद्धति के बारे में उन्होंने यह बात कही।

चरण 1: शिक्षकों को निर्माणात्मक आकलन से परिचित कराना

जब मैंने कक्षा में शिक्षण प्रक्रिया की जाँच करने और उसका उपयोग हमारी बड़ी और विविधतापूर्ण कक्षाओं में अध्यापन की मदद करने के तरीके के बारे में बोलना शुरू किया तो मुझे लगा कि कोई भी मेरी बात नहीं समझ रहा है।

शिक्षकों को अकसर यह बात करने को तत्पर पाया जाता है कि उन्हें छात्रों को पढ़ाने में कितनी कठिनाई होती है जो एक अध्याय में अलग-अलग चरण पर होते हैं, वे ये नहीं पहचान पा रहे थे कि यदि वे छात्रों की वर्तमान शिक्षण-प्रक्रिया के स्तरों को स्पष्ट रूप से जान लें तो वे अधिक प्रभावी ढंग से पढ़ा सकते हैं। इसलिए मैंने निर्माणात्मक आकलन के बारे में बोलना शुरू किया, जिससे कि वे जान सकें कि छात्रों की शिक्षण–पद्धति को कैसे सुधारा जा सकता है।

चरण 2: शिक्षकों को निर्माणात्मक आकलन के व्यावहारिक संपर्क में लाना: विद्यालय प्रमुख द्वारा ली जा रही एक कक्षा का प्रेक्षण करना

यह दिखाने के लिए कि मेरा मतलब क्या था उन्हें अपने पाठों में आमंत्रित करने का निश्चय किया। मैंने प्रेक्षकों के लिए एक गणित का पाठ और एक भाषा का पाठ खोला। मैंने उनसे पाठ में किए जा रहे आकलन के विभिन्न तरीकों और वह कितनी बार किया जा रहा था इस बात के नोट्स बनाने को कहा। मैंने सुझाया कि इसमें मैं छात्रों का आकलन करती हो सकती हूँ, या छात्र स्वयं या एक दूसरे का आकलन करते हो सकते हैं। मैंने शिक्षकों को देखने को कहा कि आकलनों को कैसे रिकार्ड किया (या नहीं किया) जाता है, और मैंने अपने अध्यापन को सूचित करने के लिए आकलन का कैसे उपयोग किया; उदाहरण के लिए, मैंने कैसे प्रश्न पूछे, मैंने क्या टिप्पणियाँ कीं और मैंने किन उदाहरणों का उपयोग किया।

मैंने इस बात पर भी उनका ध्यान खींचा कि यह महत्वपूर्ण है कि वे उन टिप्पणियों को भी लिखें जो मैंने छात्रों की मदद करने के लिए तब की जब वे अटक रहे थे, और मैंने छात्रों को समय-समय पर प्रतिक्रिया कैसे दी। यह उन्हें यह समझाने के लिए किया गया कि छात्रों को इस तरह से तत्काल प्रतिक्रिया देना कितना जरूरी और महत्वपूर्ण होता है ताकि छात्र जो कुछ कर रहे हों उसमें सुधार कर सकें।

चरण 3: विद्यालय नेता द्वारा कक्षा में प्रेक्षित अध्यापन पर शिक्षकों के साथ चर्चा

हमने एक बैठक की जिसमें हमने किए जा रहे अध्यापन और सीखने के भाग के रूप में छात्रों का आकलन करने के मेरे तरीके पर चर्चा की। कुछ चीजें जिनसे शिक्षक आश्चर्यचकित हुए थे वे ये थीं कि मैंने एक छात्रा से जोड़ी में कार्य के दौरान अपने सहयोगी का आकलन करने को कहा था और समूहकार्य के दौरान मैंने समूहों से, शिक्षक के रूप में मेरी भूमिका लेते हुए, एक दूसरे का आकलन करने और प्रतिक्रिया देने को कहा था।

चर्चा आगे बढ़कर प्रश्नों की एक सूची में बदल गई जो वे अपनी खुद की कक्षाओं में छात्रों की शिक्षण-प्रक्रिया का आकलन करने के लिए पूछ सकते थे। मैं चाहती थी कि ये प्रश्न एक मददगार ढंग से पूछे जाएं और इस तरह से नहीं कि छात्र तनावग्रस्त हो जायें या समझें कि कोई पूछताछ कर रहा है। यदि छात्र उत्तर न दे सके, तो प्रश्नों को दूसरे विद्यार्थी से पूँछना चाहिए और नोट करना चाहिए कि कौन सी बात उन्हें समझ में नहीं आई है।

चरण 4: शिक्षकों को अपनी कक्षाओं में निर्माणात्मक आकलन का उपयोग करते देखना

मैंने उनसे मुझे एक महीने की अवधि में एक पाठ को स्वयं देखने के लिए आने का निमंत्रण देने को कहा। उन्हें अपनी अवधारणाओं का अभ्यास करने के लिए समय की जरूरत थी। मैंने उन्हें सूचित किया कि मैं अपने प्रेक्षणों को नोट करूँगी क्योंकि इतनी सारी कक्षाओं में हो रही हर बात तो याद रखना मेरे लिए संभव नहीं होगा। मेरे प्रेक्षणों के दौरान मुझे शिक्षकों को ऐसे प्रश्नों का उपयोग करते देखकर खुशी हुई जो छात्रों को सोचने के लिए प्रेरित करते थे और शिक्षक यह जान पा रहे थे कि छात्रों को क्या समझ में आया था। मैंने यह भी देखा कि छात्रों के अटकने पर वे सहायतापूर्ण प्रतिक्रिया भी दे रहे थे। छात्रों की इसमें दिलचस्पी नज़र आ रही थी और वे अधिकांश कक्षाओं में उत्तर देने के लिए तैयार थे।

चरण 5: समीक्षा और चिंतन-मनन

प्रेक्षणों के बाद हम अपनी प्रारंभिक सूचियों पर लौटे और उन्हें परिशोधित करते हुए उनमें कुछ और प्रश्न जोड़े। अपने विद्यालय के सभी शिक्षकों के साथ इस बातचीत के दौरान, हमने:

  • उनके सामने आ रही समस्याओं पर चर्चा की
  • इस बारे में अनुभवों को साझा किया कि उन्होंने अपनी कक्षाओं में कौन सा आकलन कैसे किया, और मोटे तौर पर तय किया कि छात्रों की मदद करने के लिए क्या करने की जरूरत है
  • उनकी वैयक्तिक अध्यापन/शिक्षण-प्रक्रिया की योजनाओं को संशोधित किया
  • नई योजनाओं को एक दूसरे के साथ साझा किया।

एक शिक्षक, श्रीमती मेहता ने चर्चाओं के दौरान एक अवधारणा को साझा किया जिसका उपयोग फिर कई शिक्षकों ने अपनी कक्षाओं में किया। उन्होंने हमें बताया कि उन्होंने अपने छात्रों के त्वरित आकलन के लिए अपनी गणित की कक्षा में एक मज़ेदार तरीके का उपयोग किया था। छात्र यदि किसी अवधारणा को समझने में कठिनाई महसूस करते तो खुला हाथ उठाते थे और यदि उन्हें विश्वास होता कि वे उसे समझ गए हैं तो बंद मुठ्ठी उठाते थे। वे इस आकलन का उपयोग पाठ के दौरान कभी भी अपने अध्यापन को धीमा करने या अगले चरण में आगे बढ़ने के लिए कर सकती थीं। छात्रों ने हाथ को खोलने और बंद करने के एक अतिरिक्त संकेत की माँग की थी ताकि वे बता सकें कि वे करीब-करीब समझ गए हैं! हममें से कई लोग अब इस तकनीक का उपयोग करते हैं और छात्र कभी-कभी बिना पूछे ही खुलता-बंद होता या खुला हाथ उठा देते हैं।

श्रीमती मेहता की अवधारणा उनके छात्रों को उन्हें यह बताने का एक त्वरित और उपयोगी तरीका था कि उन्होंने अपने काम को समझा है या नहीं। तथापि, आपको एक प्रमुख के रूप में कुछ बातों के लिए देखना होगा ताकि आप सुनिश्चित कर सकें कि इस अवधारणा का उपयोग निर्माणात्मक ढंग से किया जा रहा है:

  • श्रीमती मेहता के मामले में, हो सकता है उन्होंने उन कौशलों को ब्लैकबोर्ड पर सूचीबद्ध किया होगा जिन्हें सीखने की जरूरत उनके छात्रों को थी, या उन्हें कोई जटिल प्रश्न दिया होगा जिसे हल करने के लिए उन्हें उनके द्वारा सीखे जा रहे गणित की अच्छी समझ की जरूरत थी। छात्र तब निर्णय कर सकते थे कि क्या वे कौशलों का उपयोग कर सकते हैं या समस्या को हल कर सकते हैं।
  • आकलन के परिणाम के रूप में क्या हुआ? आकलन तब केवल निर्माणात्मक होता है जब उसके बाद की जाने वाली सीखने की गतिविधि को उस बात को ध्यान में रखते हुए संशोधित किया जाता है जिसे आकलन ने दर्शाया था। श्रीमती मेहता जब देखती थीं कि छात्र समझ नहीं पा रहे हैं तो वे अध्यापन को मंद कर देती थीं, लेकिन कभी-कभी शिक्षकों के पास ऐसी कई अवधारणाओं का होना आवश्यक होता है जिनसे प्रत्येक छात्र प्रगति करना जारी रख सके।

1 निर्माणात्मक और योगात्मक आकलन

3 आपके विद्यालय में आकलन का अभ्यास