1 परिवर्तन का सन्दर्भ

आदर्श रूप से, आपके पास अपने विद्यालय के लिए एक परिकल्पना होगी और आपने विद्यालय की समीक्षा संचालित कर ली होगी जिसमें आपने नए लक्ष्यों और कार्यों की पहचान की होगी। यदि ये लक्ष्य स्वभाव और व्यवहार के बारे में हैं, तो संभव है कि आप शिक्षण और सीखने में सुधार का नेतृत्व करने की इकाइयों को सहायक पाएं, क्योंकि वे अपने विद्यालय में अध्यापन एवं कार्याभ्यास के परिवर्तनों पर केंद्रित हैं। हो सकता है कि आपने कुछ अन्य परिवर्तन भी पहचाने हों, जैसे समयबद्धता, उपस्थिति, समय पर अपना गृहकार्य पूरा करने वाले विद्यार्थियों की संख्या, या अभिभावक बैठकों में उपस्थिति को सुधारना। संभव है कि आप यह पाएं कि आप ऐसे कई छोटे-छोटे परिवर्तन कर सकते हैं जो बड़ा असर दिखाएं या यह कि किसी एक क्षेत्र में किया गया परिवर्तन, किसी दूसरे क्षेत्र पर लाभकारी असर रखता है।

गतिविधि 1: आपके विद्यालय में एक परिवर्तन

चित्र 1 आप अपने विद्यालय में क्या परिवर्तन लाएंगे?

एक ऐसे परिवर्तन के बारे में सोचें जो आप अपने विद्यालय में लाना चाहेंगे। हो सकता है कि यह अध्यापन और सीखने के किसी पहलू को सुधारने के बारे में हो, या फिर यह विद्यालय दिवस के संगठन, गृहकार्य नीति में परिवर्तन करने या उपस्थिति सुधारने के बारे में हो सकता है।

निम्नांकित प्रश्नों पर विचार करें और अपने विचारों को अपनी सीखने की डायरी में लिखते जाएं:

  • अपने विद्यालय में आप यह परिवर्तन क्यों करना चाहते हैं?
  • परिवर्तन से किसे लाभ होगा?
  • परिवर्तन से सबसे अधिक कौन प्रभावित होगा?
  • परिवर्तन का विरोध कौन कर सकता है और क्यों?

Discussion

चर्चा

इससे पहले कि आप अपने विद्यालय में कुछ बदलने की कोशिश शुरू करें, परिवर्तन के निहितार्थों के बारे में सोच लेना महत्वपूर्ण है। अगर आप यह पूर्वानुमान लगा सकते हैं कि कौन विरोध करेगा और क्यों, तो आप उन लोगों को शीघ्रतम संभव मौके पर संलग्न करने की कार्यनीतियों के बारे में सोचना शुरू कर सकते हैं।

विद्यालय दबाव में हैं। सरकार ने एनसीएफ 2005 तथा ‘सभी के लिए शिक्षा का अधिकार’ अधिनियम 2009 में एक महत्वाकांक्षी परिकल्पना निर्दष्टि की है। इस परिकल्पना को साकार करने के लिए विद्यालयों को बदलना होगा। मैरिस (1986) सुझाते हैं कि सही स्थितियों में किसी व्यक्ति की ‘परिवर्तन को हानि’ मानने की धारणा को ‘परिवर्तन को वृद्धि’ मानने की धारणा में बदलना संभव है। इसलिए जब आप विद्यालय नेता होने के नाते विद्यालय की अंतस्थ आदतों और कार्याभ्यासों को चुनौती देने के बारे में सोचें, तो आपको यह पहचानने की ज़रूरत पड़ेगी कि परिवर्तन की प्रक्रिया का नेतृत्व करने में सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि आप परिवर्तन को वृद्धि के रूप में देखने में दूसरों की मदद कैसे करेंगे।

अपने विद्यालय में आपको जो परिवर्तन करने होंगे उनमें से कुछ बाहर से थोपे गए (निश्चयात्मक) होंगे; और कुछ अन्य ऐसे विचार होंगे जो विद्यालय समुदाय में से आएंगे (स्वैच्छिकतावादी)। नेता को विद्यालयों के लिए जो कुछ आवश्यक किया गया है उसके कानूनी सन्दर्भ में काम करना चाहिए और कानूनों पर ध्यान देना चाहिए, पर यह कैसे किया जाता है यह बात अभी भी व्याख्या के लिए खुली है। आधुनिक विद्यालयों के सफल प्रधानाध्यापक विद्यालयों में सुधार की जिम्मेदारी लेते हैं। इसका अर्थ स्वतः ही यही निकलता है कि परिवर्तन लाने पर र्काय करना, क्योंकि आप विद्यार्थियों को लगातार जटिल होती दुनिया में सफल नागरिक बनने के लिए तैयार कर रहे हैं। स्वभाव का अर्थ है कि हो सकता है कि पहले स्टाफ़ और समाज के लोग विद्यालय नेता की कही बातों को कार्य के आधार के तौर पर आसानी से स्वीकार कर लेते हों, और भले ही वे उन कार्यों को अनिच्छा से या बिना समझे कार्यान्वित कर देते हों। पर अगर अब नेताओं को परिवर्तनों को प्रभावी रूप से कार्यान्वित करना है तो उन्हें दलगत पद्धतियां विकसित करनी होंगी।

विद्यालय नेताओं को आवश्यक परिवर्तनों को बढ़ावा देना और किसी भी प्रतिरोध का प्रबंधन करना होगा, और साथ ही अधिकतम प्रभाव वाले परिवर्तनों को अधिक महत्व देना होगा। यह इकाई कुछ ऐसे परिवर्तन सिद्धांतों की संक्षिप्त जांच-पड़ताल से शुरु होती है जिनसे आपको सफल परिवर्तन के पीछे के मुद्दों और सिद्धांतों को समझने में मदद मिलेगी।

विद्यालय नेता इस इकाई में क्या सीखेंगे

2 परिवर्तन, नियोजन और विद्यालय में परिवर्तनों को लागू करने के पीछे के कुछ सिद्धांत