3 प्रौद्योगिकी के प्रयोग में शिक्षकों की सहायता करना

गतिविधि 1 में आपके द्वारा प्रयोग की जाने वाली प्रश्नावली दर्शाएगी कि आपके विद्यालय में शिक्षकों के पास आईसीटी (जिसे अक्सर डिजिटल साक्षरता कहते हैं) का अनुभव तथा विभिन्न प्रकार के कौशल हैं। आपकी भूमिका उनके व्यावसायिक सीखने का समर्थन करने हेतु इस प्रौद्योगिकी ज्ञान का प्रयोग करने, तथा सीखने में समर्थन करने के लिए उनकी कक्षाओं में प्रौद्योगिकी को प्रयोग करने के तरीके को समझने के लिए उन्हें प्रोत्साहित करना है। शिक्षकों को आईसीटी में प्रशिक्षित करने के लिए आवश्यक कार्यपद्धतियों को नीचे सूचीबद्ध चार श्रेणियों में विभाजित करना सहायक है (स्टेकेटी, 2005 से लिया गया):

  • मुख्य आईसीटी कौशल विकसित करना: यह संभव है कि आप में से कुछ शिक्षकों को आधारभूत कौशल में सहायता की आवश्यकता हो, जैसे कि माउस चलाना सीखना, अथवा डॉक्यूमेंट्स खोलना एवं बंद करना। आपकी मुख्य चुनौती है, आईसीटी का प्रयोग दिखाने के द्वारा उन्हें आत्मविश्वास प्रदान करना, जो कि उन्हें उनके कार्य में सहायता करेगा।
  • शैक्षणिक कौशल विकसित करने के लिए आईसीटी का प्रयोग करना: विद्यालय में आईसीटी, राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा (एनसीएफ 2005) द्वारा प्रवर्तित, सीखने के प्रति कुछ सहभागितापूर्ण कार्यपद्धतियों की सहायता कर सकता है। यह मात्र रटने से कहीं आगे बढ़कर उच्चतर स्तर के कौशल जैसे कि समस्या का समाधान करने, प्रश्न पूछने, संयोजन करने, मूल्यांकन करने, तथा ज्ञान प्राप्त करने में सहायता कर सकता है (लैशेम, 2010)। आईसीटी, पिछड़े समूहों के पास सामग्री एवं संसाधनों की उपलब्धता भी सुनिश्चित करने के द्वारा समावेशन (केन्द्रीय शैक्षिक प्रौद्योगिकी संस्थान, 2013) का भी समर्थन कर सकता है। छोटे वीडियो तथा अनुकरण चर्चा का अनुकरण कर सकते हैं; छात्र अपनी स्वयं की प्रस्तुतियाँ बना सकते हैं; छात्र अन्य लोगों के साथ सहयोग कर सकते हैं, तथा दुनिया के दूसरे भागों के छात्रों के साथ संचार कर सकते हैं। उनके विशेषज्ञ बनने पर, शिक्षक एवं छात्रों का रिश्ता और भी लोकतांत्रिक बन जाएगा, तथा छात्र अपना आत्मसम्मान विकसित करेंगे। यदि आप अपने विद्यालय के लिए खरीदी जाने वाली प्रौद्योगिकी के बारे में निर्णय कर रहे हैं तो इस बात पर मुख्य विचार किया जाना चाहिए कि वह प्रौद्योगिकी शिक्षकों की उनका शिक्षण सुधारने में कितनी सहायता करेगी।

  • विषय अध्ययन में समर्थन करने के लिए आईसीटी का प्रयोग करना: आईसीटी का प्रयोग पाठ्यक्रम के विशिष्ट भागों का समर्थन करने के लिए किया जा सकता है। उदाहरण के तौर पर रिकॉर्डिंग उपकरणों से भाषा शिक्षण को समृद्ध बनाया जा सकता है, तथा अनुकरणों से विज्ञान के शिक्षण को समृद्ध बनाया जा सकता है। इंटरनेट तक पहुंच छात्रों को स्वयं शोध करने तथा अपनी गहरी रूचि वाले विषयों को सीखने का अवसर प्रदान कर सकती है, तथा यह छात्रों के आत्मसम्मान में और अधिक वृद्धि करेगी।
  • पेशेवर सीखने के समर्थन के लिए आईसीटी का प्रयोग: आईसीटी का प्रयोग शिक्षकों के पेशेवर सीखने के समर्थन हेतु किया जा सकता है। आप शिक्षकों के साथ मिलकर उनकी कक्षाओं में प्रयोग किए जाने के लिए ओईआर को प्राप्त व अनुकूलित करने हेतु प्रोत्साहित कर सकते हैं। वे कक्षा में एक दूसरे की फिल्म बनाने के लिए जोड़ियों में काम कर सकते हैं, तथा उसके पश्चात अपने शिक्षण को सुधार करने के दृष्टिकोण से फिल्मों के बारे में चर्चा कर सकते हैं। जिन शिक्षकों के विषय ज्ञान में कुछ रिक्तता है, वे इंटरनेट पर बहुत सारे सहायक संसाधन प्राप्त करेंगे, जिसमें प्रश्नोत्तरी, अनुकरण, तथा उत्तर समेत प्रतिदर्श परीक्षा पत्र (सैम्पल टेस्ट पेपर) शामिल हैं। इंटरनेट की पहुंच उन्हें नेटवर्क में दूसरे शिक्षकों के साथ संचार करने, तथा गतिविधि 1 के पश्चात चर्चा में प्रकाश डाले गए कौशलों को विकसित करने का अवसर भी प्रदान करेगी।

गतिविधि 4: प्रौद्योगिकी के प्रयोग में शिक्षकों का समर्थन करना

गतिविधि 1 में प्रश्नावली से बनाए गए सारांश पर वापस जाएं तथा आप द्वारा पहचान की गई चुनौतियों की सूची बनाएं। अभी तक पढ़े गए वृत्त अध्ययनों व गतिविधियों को ध्यान में रखते हुए, आप अपने शिक्षकों को, उनके पास उपलब्ध प्रौद्योगिकी का और अधिक बेहतर उपयोग करने के लिए किस प्रकार से प्रेरित कर सकते हैं?

ऊपर दी गई चार श्रेणियों में से प्रत्येक के लिए, किसी ऐसी गतिविधि के एक विशिष्ट उदाहरण की पहचान करें जिसे कि आप अपने विद्यालय में शिक्षकों के समूह के साथ कर सकते हैं। TESS-इंडिया शक्षिक विकास ओईआर, कक्षा में आईसीटी के प्रयोग के अवसरों पर प्रकाश डालते हैं, तथा ये आपको शैक्षणिक कौशल विकसित करने अथवा विषय के अध्ययन का समर्थन करने के लिए आईसीटी के प्रयोग हेतु कुछ विचार प्रदान कर सकते हैं।

2 आपके व्यक्तिगत उपयोग के लिए प्रौद्योगिकी

4 प्रौद्योगिकी, कौशल एवं अध्ययन के उद्देश्य के बीच संबंध स्थापित करना