संसाधन 2: आम चुनौतियों के लिए प्रौद्योगिकीय उपाय
शिक्षक आम तौर पर जिन चुनौतियों को रेखांकित करते है उनमें शामिल है:
- ‘मेरी कक्षा बहुत बड़ी है।’
- ‘पाठ्यक्रम को पूरा करने के लिए मैं संघर्ष करता हूँ।’
‘छात्र प्रेरित नहीं है।’
- ‘छात्रों को काम बहुत कठिन लगता है।’
- ‘मेरे पास पर्याप्त संसाधन नहीं हैं।’
‘पाठ्यक्रम के कुछ विषयों को पढ़ाने के लिए मुझमें पर्याप्त आत्मविश्वास नहीं है।’
‘छात्र बुरी तरह पेश आते हैं।’
- ‘मैंने सहभागिता दृष्टिकोण अपनाने का प्रयास किया, लेकिन छात्र बात करने के लिए या प्रश्न पूछने के लिए अनिच्छुक हैं।’
‘दैनंदिन उपस्थिति बहुत ही कम है, इसलिए छात्र पढ़ नहीं पाते और फिर उन्हें समझने में मुश्किलें आती हैं।’
- ‘मेरे छात्रों के जीवन के साथ पाठ्यक्रम प्रासंगिक नहीं है।’
- ‘मुझसे सहभागिता दृष्टिकोण का इस्तेमाल करने के लिए कहा गया है, लेकिन कक्षा और पाठ्यक्रम के आकार की वजह से यह संभव नहीं है।’
प्रौद्योगिकी इनमें से बहुत सारी चुनौतियों से निपट सकती है। एक लैपटॉप जो समय-समय पर इंटरनेट से कनेक्ट होकर चीजें डाउनलोड कर सके और एक प्रोजेक्टर के इस्तेमाल से शिक्षक निम्नलिखित कार्य कर सकते हैं:
- नए विषयों के लिए प्रेरक और रोचक परिचय प्रदान करना
जटिल कल्पनाओं को समझाने के लिए अनुकरण (सिमुलेशन) का इस्तेमाल करना
- पाठ्यक्रम के विषयों और वास्तविक जगत के बीच संबंध बनाना।
विवादास्पद विषय पर दोतरफा तर्क प्रस्तुत करके शिक्षक छात्रों के बीच चर्चा और बहस को प्रेरित कर सकते हैं। टैबलेट में लोड किये हुए शैक्षिक एप्लीकेशन छात्रों और शिक्षकों के द्वारा समझ विकसित करने और सहभागिता बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किये जा सकते हैं। अनुसंधान करने और जानकारी प्रदान करने के लिए कम्प्यूटर का इस्तेमाल छात्रों को अपनी पढ़ाई की जिम्मेदारी लेने का अवसर देता है।