1 बहुभाषी कक्षा का प्रारंभ

गतिविधि 1: मुख्य सिद्धांत

बहुभाषी प्रसंगों में प्रभावी कक्षा अभ्यासों के बारे में अंतर्राष्ट्रीय शिक्षण अनुसंधान की खोज के आधार पर समझने वाले तीन कथनः

  • विद्यार्थी उस भाषा में सर्वश्रेष्ठ ढंग से सीखते हैं जिसे वे सबसे अच्छी तरह जानते हैं।
  • शिक्षक उस भाषा में सबसे प्रभावी ढंग से पढ़ाते हैं जिसमें उनकी सबसे अच्छी पकड़ होती है।
  • प्रथम भाषा में जितना अधिक अध्यापन और शिक्षण होता है, शैक्षणिक परिणाम भी उतने ही बेहतर होते हैं।

अब संभव हो, तो किसी साथी के साथ चर्चा करके नीचे दिए गए प्रश्नों का उत्तर दें:

  • एक शिक्षक के रूप में, अपने दैनिक कक्षा अभ्यास के अंतर्गत इन कथनों को एकीकृत करने में किस प्रकार की चुनौतियाँ सामने आती हैं?
  • क्या आपकी कक्षा में आपके और आपके विद्यार्थी, या विद्यार्थियों के बीच आपस में ‘भाषा अंतर’ की समस्या है? ऐसा है तोः
    • यह आपके अध्यापन और उनके अधिगम को कैसे प्रभावित करता है?
    • यह कक्षा में संबंधों को कैसे प्रभावित करता है?
  • क्या आप अपने अध्यापन में अपने विद्यार्थियों की अन्य भाषाओं की स्वीकृति के लिए कुछ करते हैं? क्यों या क्यों नहीं?

उपरोक्त तीन कथन उस सकारात्मक प्रभाव के उन्नत साक्ष्य को दर्शाते हैं जिसके अंतर्गत मातृभाषा में लंबे समय तक शिक्षण प्रदान करने से विद्यार्थियों की उपस्थिति और उनकी दीर्घकालिक शैक्षणिक सफलता में महत्वपूर्ण वृद्धि होती है।

हो सकता है आपके विद्यालय में पूर्ण रूप से मातृभाषा आधारित शिक्षण संभव नहीं हो, फिर भी आप अपने शिक्षण अभ्यास में कई ऐसे छोटे-मोटे परिवर्तन ला सकते हैं जिससे कक्षा में आपके विद्यार्थियों द्वारा उपयोग की जाने वाली मातृभाषा के संसाधनों में वृद्धि की जा सके।

केस स्टडी 1: छात्रों का अवलोकन

उत्तर प्रदेश के एक ग्रामीण विद्यालय में कक्षा I और II के शिक्षक, श्री धर्मेंद्र बताते हैं कि अपने विद्यार्थियों को उनकी मातृभाषा में संवाद करते देख उन्हें कैसा लगा।

विद्यालय में अपनी मातृभाषा के उपयोग को लेकर मेरा अपने विद्यार्थियों के प्रति बहुत नकारात्मक व्यवहार रहता था। मुझे लगा कि उन्हें विद्यालयी भाषा सिखाने का सर्वश्रेष्ठ तरीका उस भाषा को सुनाना और उसका हमेशा उपयोग करना है। मेरा मानना था कि विद्यालय में भाषाओं का मिश्रण उन्हें उलझाकर रख देगा। संभवतः सच्चाई ये थी कि मैं उनकी मातृभाषा को बहुत कम समझ और बोल पाता था और यही कारण था कि कक्षा में उस भाषा का उपयोग मुझे असहज बनाता था।

कक्षा I और कक्षा II के कुछ विद्यार्थी मेरे शिक्षण के दौरान बहुत शांत रहते थे। मेरे लिए यह समझ पाना बहुत मुश्किल होता था कि वे समझ और पढ़ पा रहे हैं या नहीं।

एक दिन सुबह, मैंने देखा कि सामान्यतः अल्पभाषी दो विद्यार्थी, जिन्हें मैंने एक साथ रखा था, किसी हिंदी पाठ्यपुस्तक के एक अनुच्छेद के बारे में अपनी मातृभाषा अवधी में खुलकर बातें कर रहे थे। दोपहर के खाने के समय, मैंने सुना कि एक बहुत ही संकोची विद्यार्थी, खेल के मैदान में अपने मित्रों को हाल ही में पढ़ाए गए विज्ञान-संबंधित सिद्धांत के बारे में चित्रों के माध्यम से अपनी मातृभाषा भोजपुरी में समझा रहा था। दिन के अंत में, मैंने देखा कि एक बच्चा जो आमतौर पर बातें नहीं किया करता था, अपने दादाजी को अपनी मातृभाषा अवधी में वह कहानी सुना रहा था जिसे मैंने अपनी कक्षा में हिन्दी में पढ़ाया था।

वो बच्चे जिस तरह अपनी सर्वश्रेष्ठ जानकारी वाली भाषा में एक दूसरे के साथ संवाद कर रहे थे, उनके आत्मविश्वास, क्षमता, बुद्धि और सामाजिक गुणों को देखकर मैं दंग रह गया। मुझे एहसास हुआ कि मुझे उनके इस गुण को उन्हें कक्षा में भी दिखाने के अवसर देना चाहिए।

विचार के लिए रुकें

प्रत्येक दिन उन विद्यार्थियों को ध्यान से देखने और सुनने का समय निकालें जो वैसे तो कक्षा में शांत रहते हैं लेकिन अपनी ज्ञात भाषा में एक दूसरे के साथ खुलकर बातें करते हैं। वे किस प्रकार के गुण और व्यवहार को प्रदर्शित करते हैं, जिनके बारे में शायद आपको पहले कभी नहीं पता था?

अब अपनी कक्षा की गतिविधियों में अपने सभी विद्यार्थियों को सम्मिलित करके संसाधन 1 पढ़ें।

यह पद्धति महत्वपूर्ण क्यों है

2 कक्षा में बहुभाषावाद को महत्व देना