2 जोड़ियों में काम के उदाहरण
इस पहली केस स्टडी में आप एक ऐसे शिक्षक के बारे में पढ़ेंगे, जिन्होंने कविता लेखन की गतिविधि पर जोड़ी में काम करवाया।
केस स्टडी 1: कविता की कक्षा में जोड़ियों में काम
श्री आचार्य गोरखपुर के बाहर एक छोटे विद्यालय में काम करते हैं। उनके आठवीं कक्षा के छात्रों की क्षमताएँ भिन्न स्तरों की हैं। यहाँ उन्होंने बताया है कि छात्रों की कविता लेखन में मदद के लिए उन्होंने जोड़ियों में काम का उपयोग कैसे किया।
मेरे छात्र अरुण कोलटकर व अमित चौधरी की कुछ सामयिक कविताएँ ज़ोर से पढ रहे थे। उन्होंने स्वयं भी कुछ कविताएँ लिखीं थीं। इस बार मैंने तय किया कि उनसे जोड़ियों में यह काम करवाया जाए।
मैंने एक ऐसा विषय चुना, जो मेरे अनुसार उनके लिए प्रासंगिक था: मित्रों के साथ बहस। मैंने पूरी कक्षा से कुछ प्रश्न पूछते हुए विषय का परिचय दिया। इनमें शामिल थे:
- ‘पिछली बार तुम्हारी किसी मित्र से अनबन कब हुई थी?’
- ‘वह कोई छोटी सी बहस थी या बड़ी?’
- ‘उसके बाद तुम्हें कैसा महसूस हुआ?’
- ‘क्या उस अनबन को हल कर लिया गया?’
- ‘यदि हाँ, तो यह कैसे हुआ? इसमें कितना समय लगा’?
- ‘यदि नहीं, तो क्या तुम्हें अब भी इसके हल होने की उम्मीद है?’
- ‘क्या तुम्हारी मित्रता अब भी पहले जैसी है?’
इस विषय पर बहुत चर्चा हुई, जिसमें कई छात्रों ने हिस्सा लिया। मैंने उनके द्वारा उपयोग किए गए कुछ शब्द व पद बोर्ड पर लिखे, जिससे वे अपने लेखन में इनका उपयोग कर सकें।
इसके बाद, मैंने उनसे कहा कि वे जोड़ियों में काम करने वाले हैं और उन्हें ‘बहस’ नाम की कविता लिखनी थी है। मैंने छात्रों से उनके पास बैठे छात्र के साथ काम करने को कहकर जोड़ियाँ बना दीं। मैंने समझाया कि उन्हें एक-एक करके कविता की पंक्तियाँ बनानी चाहिए और उन्हें लिखते जाना चाहिए। 30 मिनट बाद, मैंने प्रत्येक जोड़ी से एक छात्र को उनकी पूरी - या आधी - कविता पढ़ने को कहा।
एक जोड़ी द्वारा लिखी गई कविता यह थी:
‘बहस’
मेरी मित्र अमवी से मेरी बहस हुई
हम मंदिर के पास थे जब उसने एक बूढ़े से बात कह दी कोई
वह था ग़रीब और कुछ गंदा सा
लेकिन मेरी मित्र को उसपर न दया आई
मैंने कहा तुमने ठीक नहीं किया
उसने कहा इसकी उसे परवाह नहीं कोई
लगा मुझे बूढ़े दादा के लिए बुरा
चल पड़ा मैं उससे बिना बात किए कोई
मेरे छात्रों द्वारा बनाई गई कविताएँ उन स्थितियों व भावनाओं के बारे में थीं, जिनका उन्होंने अनुभव किया था और जिन्हें वे समझते थे। जोड़ियों में बात करने से वे अपने विचारों को साझा कर सके और यह सोच सके कि उन्हें लेखन के माध्यम से कैसे प्रकट किया जाए।
जब मैं जोड़ियों में काम करवाता हूँ, तो मैं गतिविधि को बहुत कम अंतराल का रखता हूँ, जिससे मेरे छात्र इस बात पर अधिक ध्यान न दें कि उन्हें किसके साथ रखा गया है और दिए गए समय में काम को पूरा करने पर ध्यान केंद्रित करें। लेकिन मैंने महसूस किया है कि वे जल्दी ही इस तरह कार्य करने के आदी हो गए हैं।
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अगली केस स्टडी में, एक शिक्षक ने एक लेखन कार्य के समर्थन के लिए जोड़ियों में संवाद आयोजित किए हैं।
केस स्टडी 2: नेवला और कोबरा
सुश्री अंजू बिहार शरीफ़ के एक विद्यालय में पढ़ाती हैं। यहाँ वे एक जोड़ियों वाली गतिविधि के बारे में बता रही हैं, जो उन्होंने अपने छठी कक्षा के छात्रों के साथ की थी।
मेरे छात्र स्थानीय जानवरों के बारे में सीख रहे थे। उन्हें पता था कि नेवले कीड़े, पक्षी, केंचुए, साँप, छिपकलियाँ व केकड़े खाते हैं। वे बहुत तेज़ होते हैं। उनकी मोटी चमड़ी उन्हें साँप के ज़हर से बचाती है। उन्हें पता था कि कोबरा अपनी गरदन को फैला कर फ़न काढ़ सकते हैं। ख़तरे में होने पर एक हिस्स की आवाज़ के साथ यह उनका चेतावनी देने का तरीका होता है। वे मुख्यत: अन्य साँपों, छोटे जानवर और पक्षी खाते हैं।
मैंने इस विषय से जुड़े एक भाषायी पाठ की योजना बनाई। मैंने अपने छात्रों से पूछना शुरू किया कि उन्हें नेवले और कोबरा के बनावट और जीवन के बारे में क्या याद है। मेरे प्रश्नों में शामिल थे:
- वे कैसे दिखते हैं?’
- ‘वे क्या खाते हैं?’
- एक दूसरे के सामने होने पर वे कैसी प्रतिक्रिया देंगे?’
मैंने बोर्ड पर प्रमुख शब्द लिखे, जैसे ‘तेज़’, ‘चमड़ी’, ‘चेतावनी’ और ‘ज़हर’। पाठ के पहले भाग में 15 मिनट लगे।
फिर मैंने अपने विद्यार्थियों को अपने पास बैठे छात्र के साथ काम करने को कहा। मैंने उनसे यह निर्णय लेने को कहा कि उनमें से कौन नेवला था और कौन कोबरा, और यह सोचने को कहा कि यदि वे जंगल में मिलें तो एक-दूसरे से क्या कहेंगे। मैंने उन्हें दोनों जीवों के बीच एक संवाद बनाने के लिए 15 मिनट दिए, जिसमें वे चाहें तो विभिन्न आवाज़ों के साथ इशारों का उपयोग भी कर सकते थे। कुछ छात्रों ने संवाद के लिए घर की भाषा का या घर व विद्यालय उपयोग की मिश्रित भाषा का उपयोग किया। जब वे काम कर रहे थे, मैं उन्हें देख रही थी और उनके अनुरोध पर बोर्ड पर प्रमुख शब्द लिखती रही। कई छात्र बहुत जोश में बात कर रहे थे।
फिर मैंने छात्र जोड़ियों को आगे आकर कक्षा के सामने अपनी भूमिका दिखाने को कहा। मैंने कुछ शर्मीले किस्म के छात्रों को भी प्रोत्साहित करने की कोशिश की। अन्य छात्रों ने ध्यान से सुना व प्रत्येक प्रदर्शन पर तालियाँ बजाईं। जब उनमें से एक संवाद उनकी घरेलू भाषा में था, मैंने अंत में बाकी कक्षा को उसे विद्यालयी भाषा में अनुवाद करने में मदद के लिए कहा। मैंने प्रस्तुतियों के लिए 30 मिनट का समय दिया।
समाप्त करने के लिए, मैंने छात्रों की जोड़ियों को अपने संवाद को अपनी अभ्यास पुस्तिकाओं में लिखने को कहा, वे चाहें तो उनके चित्र बना सकते थे। मैंने उन्हें इस अंतिम कार्य के लिए 15 मिनट दिए।
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जोड़ियों में काम करना छात्रों के पर्यवेक्षण व उनके मूल्यांकन के कई अवसर देता है। पर्यवेक्षण में ये शामिल हो सकते हैं:
- कक्षा में घूमना, अवलोकन करना व सुनना
- यह जाँचना कि सभी ने निर्देश समझ लिए हैं व पसंदीदा तरीके से काम कर रहे हैं
- उन छात्रों के बारे में टिप्पणी लिखना जो अच्छे से सहयोग कर या नहीं कर पा रहे हैं
- शाबासी देना, समर्थन व प्रोत्साहन देना
- सामान्य त्रुटियों की पहचान करना।
मूल्यांकन छात्रों की भाषा के विकास से संबद्ध हो सकता है, जैसे उनके द्वारा:
- घरेलू या विद्यालय की भाषा में बोलते समय उपयुक्त शब्दावली व अभिव्यक्ति का उपयोग
- इसे लिखित रूप में अनूदित करने की उनकी क्षमता
- जोड़ी में काम करने में दिए गए उनके योगदान की प्रकृति
- उनकी कल्पना
- अपने सहपाठियों के समक्ष अपनी प्रदर्शन की क्षमता।
प्रमुख संसाधन ‘प्रगति व प्रदर्शन का मूल्यांकन’ आपकी कक्षा के छात्रों के मूल्यांकन के अतिरिक्त तरीके सुझाता है।
वीडियो: प्रगति और कार्यप्रदर्शन का मूल्यांकन |
1 आपको जोड़ियों में काम क्यों कराना चाहिए?