3 विद्यार्थियों के आकलन और फीडबैक के अलग अलग तरीके
केस स्टडी 1 में, आप विद्यार्थियों के आकलन और फीडबैक के बारे में दो शिक्षकों के तरीकों के बारे में पढ़ेंगे।
केस स्टडी 1: विद्यार्थियों के आकलन और फीडबैक के बारे में दो शिक्षकों के तरीके।
सुश्री आरती, रामपुर के पास एक ग्रामीण विद्यालय में कक्षा चार की शिक्षिका हैं।
हाल ही में मैंने ‘‘बस के नीचे बाघ’’(‘बस के नीचे बाघ’ या ‘A tiger under the bus’) पढ़ाना ख़त्म किया।
मैंने इसके फॉलो अप के लिए विद्यार्थियों के वर्तनी कौशल को जाँचना तय किया। मैंने पाठ से दस कठिन शब्द ब्लैकबोर्ड पर लिखे और विद्यार्थियों से कहा कि वे अपनी कॉपी में उनकी नकल करें और कल टेस्ट के लिए तैयार रहें।
अगली सुबह, मैंने एक-एक करके वे शब्द पढ़े और विद्यार्थियों से उन्हें लिखने को कहा। मैंने उनकी कॉपियां लीं, उनका काम जाँचा और कॉपियां उन्हें लौटा दीं।
कई विद्यार्थियों को पूरे अंक मिले थे। कुछ विद्यार्थियों ने वर्तनी की गलतियाँ कीं और उन्हें अंक भी कम मिले। मैंने विद्यार्थियों से कहा कि जिन्हें सबसे ज्यादा अंक मिले हैं, वे अपने हाथ खड़े करें, इसके बाद जिन्हें कम मिले हैं, वे करें। जिन लोगों का प्रदर्शन कम अच्छा रहा था, मैंने उनसे कहा कि वे घर में फिर से इन शब्दों को लिखने का अभ्यास करें।
श्री दिवाकर, कानपुर के एक स्कूल में कक्षा पाँच के शिक्षक हैं।
पिछले कुछ पाठों में मेरे विद्यार्थियों ने जो शब्द सीखे, मैं उन शब्दों के लिए उनके वर्तनी कौशल का आकलन करना चाहता था। मैंने उनसे कहा: ‘आज हम श्रुतलेख (डिक्टेशन) गतिविधि करेंगे।’
’फिर मैंने विद्यार्थियों को चार के समूहों में काम करने को कहा। मैंने उन्हें समझाया कि मैं पाँच छोटे वाक्य पढ़कर सुनाऊंगा और लिखना शुरू करने से पहले उन्हें हर वाक्य को ध्यान से सुनना होगा। मैंने तसल्ली की कि हर कोई मेरे निर्देशों को समझ गया है। इसके बाद मैंने कुछ वाक्य पढ़कर सुनाए और उन वाक्यों को लिखने के लिए विद्यार्थियों को समय दिया।
जब उन्होंने अपना काम पूरा कर लिया, तो मैंने विद्यार्थियों से कहा कि वे अपने समूह के अन्य सदस्यों के साथ अपने वाक्यों पर चर्चा करें, उनके कार्य के साथ तुलना करें और यदि ज़रूरी हो, तो सुधार करें। अंत में, मैंने उनसे कहा कि वे अपने वाक्यों की तुलना ब्लैकबोर्ड पर मेरे लिखे वाक्यों से करें।
इस गतिविधि के दौरान, मैंने कक्षा का चक्कर लगाया और अवलोकन किया कि कौन चर्चा में भाग ले रहा है, किसने अपने वाक्य पहली ही बार में सही तरीके से लिख लिए और किन विद्यार्थियों को अपना काम बाद में सुधारना पड़ा। मैंने ये अवलोकन अपनी आकलन पुस्तिका में दर्ज किया।
अगले दिन, मैंने पूरी कक्षा को बताया कि पिछले दिन हुई गतिविधि के दौरान मुझे वर्तनी से जुड़ी किन विशिष्ट समस्याओं का पता चला है। मैंने ऐसा करके यह सुनिश्चित किया कि जिन विद्यार्थियों को उस कार्य में कठिनाई महसूस हुई थी, वे खुद को लज्जित महसूस न करें।
अब मैं हर विषय के बाद इस तरह की एक गतिविधि करता हूँ। मेरे विद्यार्थी भी इसके लिए उत्सुक दिखाई देते हैं। मुझे पता चला है कि यदि हर समूह में उच्च स्तर की उपलब्धि वाले एक विद्यार्थी को शामिल किया जाए, तो यह सबसे ज्यादा प्रभावी होता है, क्योंकि वे विद्यार्थी समूह के दूसरे विद्यार्थियों की सहायता कर सकते हैं।
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सुश्री आरती के आकलन का लाभ यह है कि इसमें बहुत कम समय लगता है। हालांकि, यह टेस्ट को अन्य शिक्षण से अलग कर देता है और अच्छा प्रदर्शन न करने वाले विद्यार्थियों की ओर ध्यान केंद्रित करता है। श्री दिवाकर के आकलन का तरीका ज्यादा समय लेता है, लेकिन इस प्रक्रिया में उनके विद्यार्थियों को भी शामिल किया जाता है, सीखने के लिए बातचीत को शामिल किया जाता है, जिन्हें वर्तनी में कठिनाई हो उनकी सहायता की जाती है और बाद में उपयोगी फीडबैक भी दिया जाता है। स्पेलिंग टेस्ट भी ज्यादा सार्थक है क्योंकि इसमें शब्दों को वाक्यों में ही शामिल किया गया है, न कि उन्हें सन्दर्भ से बाहर रखकर मूल्यांकन किया जा रहा है। इस पद्धति के परिणामस्वरूप लंबी अवधि में सीखने के लाभ मिलने की संभावना ज्यादा है।
2 अपनी कक्षा की निगरानी करना