2 डेटा और जानकारी

एक विद्यालय स्व-समीक्षा उस समय सबसे अधिक प्रभावी होती है जब उसे वर्तमान व्यवस्थाओं में एकीकृत किया जाता है और एक अलग गतिविधि के बजाय निरंतर चलने वाली प्रक्रिया के हिस्से के तौर पर किया जाता है। आपके विद्यालय में इस सब को तय करने में समय लग सकता है। एक आरंभिक बिंदु के तौर पर, आपको नियमित आधार पर प्रमाण या तथ्य सम्बन्धी आँकड़े एकत्र करने की शुरुआत करने की आवश्यकता होगी

  • (चित्र 2 में चरण 1)। आमतौर पर दो प्रकार से आंकड़ों से आँकड़ों को विभाजित किया जा सकता है:

  • मात्रात्मक – संख्यात्मक आँकड़े गुणात्मक – व्यवहार संबंधी प्रश्नावलियों, अवलोकनों और भागीदारों के साक्षात्कारों जैसी तकनीकों के द्वारा एकत्र डेटा।

मात्रात्मक आंकड़े के साथ काम करना आम तौर पर आसान होता है, क्योंकि इसे लेकर विवाद नहीं होता। उदाहरण के लिए, निम्नलिखित तथ्य के कथन हैं:

  • कक्षा 10 की परीक्षाओं में 80 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त करने वाले छात्रों का प्रतिशत
  • वर्ष में छात्राओं की उपस्थिति का स्तर।
  • आयोजित की गई कर्मचारी बैठकों की संख्या।
  • बैठक में हिस्सा लेने वाले अभिभावकों का अनुपात।

गुणात्मक आंकड़ा प्रकृति में काफी भिन्न होता है, और यह प्रायः सुझाव के सम्बन्ध में अधिक होता है:

  • नई पाठ्यपुस्तकों पर फीडबैक
  • एक से अधिक श्रेणी वाली कक्षाओं को कैसे सर्वश्रेष्ठ पढ़ाया जाए इसके बारे में राय या सुझाव।
  • विद्यार्थियों को विद्यालय में कौन सी चीज सुरक्षित अनुभव कराती है।

विस्तृत विद्यालय आत्म-मूल्याकंन के लिए एकत्र किए गए मात्रात्मक और गुणात्मक डेटा का एक मिश्रण होने की संभावना है, लेकिन तभी जब तरीकों की पहचान करने या निष्कर्ष निकालने के लिए इनका विश्लेषण किया जाता है तब यह डेटा उपयोगी जानकरी बनता है।

चित्र 3 उपयोगी होने के लिए डेटा का विश्लेषण करने की आवश्यकता होती है।

गतिविधि 4: प्रमाण के स्रोत

एक विद्यालय स्व-समीक्षा की शुरुआत उन प्रश्नों के प्रकार के बारे में सोचने से होनी चाहिए जो आप पूछना चाहते हैं, आपके पास क्या आँकड़े है, और कौन सा आँकड़ा आपको एकत्र करने की आवश्यकता है।

संसाधन 1 में विद्यालय डेटा मैट्रिक्स को पूरा करने के लिए अपने सहयोगी या अन्य वरिष्ठ सहकर्मियों के साथ कार्य करें (या अगर आप पांच से कम शिक्षकों वाले एक छोटे विद्यालय के प्रमुख हैं, तो प्रत्येक को शामिल करें)।

  • प्रत्येक प्रश्न के लिए, डेटा के एक संभावित स्रोत और उसे कैसे एकत्र किया जा सकता है इसकी पहचान करें।
  • यह सोचें कि आप उस डेटा का अपने विद्यालय के बारे में जितना अधिक संभव हो खोजने के लिए कैसे विश्लेषण कर सकते हैं। (उदाहरण के लिए, उपस्थिति और उपलब्धि डेटा का विश्लेषण यह देखने के लिए किया जा सकता है कि छात्रों और छात्राओं ने कैसा प्रदर्शन किया।)
  • कुछ अधिक प्रश्नों को जोड़ें जिनकी सहायता से आप विद्यालय के बारे में जांच करना चाहते हैं।

Discussion

ऐसी संभावना है कि शुरुआत करने के लिए आपके पास गुणात्मक से अधिक मात्रात्मक आँकड़े होंगे। इसमें परीक्षा परिणाम, उपस्थिति, स्वास्थ्य और सुरक्षा बैठकें, और इसी तरह की चीजों को सम्मिलित करने की संभावना है। आपके पास इस बारे में कम आँकड़ा हो सकता है कि साझेदार विद्यालय जीवन के पहलुओं और विशेष तौर पर कक्षा में क्या होता है इस बारे में क्या सोचते हैं, इसलिए इसे बाद में सम्मिलित किया जाएगा।

केस स्टडी 2: सुश्री मेहता ने अपनी अटकल को जांचने के लिए प्रमाण एकत्र किया

सुश्री मेहता एक अधिक सफल ग्रामीण क्षेत्र की माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालय की विद्यालय प्रमुख हैं। वे जिले को भेजने के लिए उपस्थिति डेटा की जब जांच कर रही थी, तो उन्होंने मध्य विद्यालय में अपनी छात्राओं की एक मौसमी गैर-उपस्थिति का तरीका उभरता देखा।

इससे उनकी आगे जांच करने में रूचि हुई। उन्होंने पाया कि उनकी उपस्थिति बुवाई और कटाई के मौसम में नाटकीय तरीके से गिरी थी। उन्हें लगा कि यह उनकी माताओं की खेतों में आवश्यकता और बड़ी बेटियों के माता के तौर पर अपने छोटे भाइयों और बहनों के लिए कार्य करने से जुड़ा था।

शुरुआती समीक्षा ने सुश्री मेहता को बताया कि उन्हें अनुपस्थितियों के कारण को लेकर और निश्चित होने के लिए अधिक प्रमाण व तथ्यों की आवश्यकता है। अपनी प्रबंधन कमेटी के समर्थन से उन्होंने अधिक जानकारी मांगी। उन्होंने तीन चीजें कीं:

  • उन्होंने कक्षा 6–8 में अपनी उन छात्राओं का एक अनौपचारिक सर्वेक्षण किया जो मौसमी तौर पर अनुपस्थित थीं और जो निरंतर उपस्थित थीं।
  • उन्होंने क्षेत्र में रहने वाले शिक्षकों से कुछ घरों में जाकर माताओं का साक्षात्कार करने को कहा।
  • उन्होंने सांख्यिकी का एक नया सेट बनाया, जिसमें छात्राओं की उपस्थिति के नमूने का कक्षा 10 के परीक्षा परिणामों से मेल कराया गया। वे जानना चाहती थीं कि प्रतिमान कैसा दिखता है। दुर्भाग्य से, उनके पास उपस्थिति की सॉफ्ट कॉपी नहीं थी – केवल दस्तावेजी रिकॉर्ड था, इसलिए उन्हें अपने युवा, उत्साही शिक्षकों में से एक और उनके प्रशासनिक सहायक से तुलना और विश्लेषण (या आंकड़े मिलाने) में सहायता ली।

सुश्री मेहता ने पाया कि उन्होंने माध्यमिक विद्यालय में छात्राओं की अनुपस्थिति का कक्षा 8 में (a) विद्यालय छोड़ने वालों, और कक्षा 10 की बोर्ड परीक्षाओं में निम्न प्रदर्शन के साथ सीधा संबंध (या पारस्परिक संबंध) था। इससे आगामी वर्ष के लिए मौसमी अनुपस्थिति को कम करने याअपरिहार्य रूप से अनुपस्थित छात्रों की अपनी पढ़ाई को जारी रखने के लिए सहायता करने के तरीके खोजने के लिए SMC के द्वारा एक रणनीति की पहचान करने का लक्ष्य मिला।

केस स्टडी 2 बताता है कि आपके विद्यालय के प्रदर्शन के किसी पहलू की अधिक जांच के लिए आँकड़ा कैसे मुख्य स्रोत हो सकता है। इस मामले में समीक्षा की शुरुआत मात्रात्मक जानकारी से हुई थी जिसने एक मुद्दा दिखाया था (चित्र 2 में चरण 1)। विश्लेषण (चरण 2) से एक समस्या का पता चला; इससे मुद्दे की गहरी समझ उपलब्ध कराने और एक योजना आयोजित करने में विद्यालय नेता की सहायता के लिए अतिरिक्त जानकारी एकत्र करने का कार्य हुआ। अन्य मामलों में आप गुणात्मक जानकारी से शुरुआत कर सकते हैं और फिर पूरी तस्वीर उपलब्ध कराने के लिए अधिक मात्रात्मक जानकारी एकत्र कर सकते हैं। सुश्री मेहता के मामले में, उन्होंने छात्राओं की कम उपस्थिति और परीक्षाओं में उनके प्रदर्शन के बीच एक संबंध बनाया।

आँकड़े या डेटा एकत्र करते समय, यह पूछना महत्वपूर्ण है: ‘तो क्या हुआ?’ छात्रों की अकादमिक, सामाजिक, भावनात्मक और शारीरिक प्रगति पर क्या प्रभाव है? डेटा एकत्र करने का तब तक कोई विशेष महत्व नहीं है जब तक उसका विश्लेषण नहीं किया जाता और उभरती हुई ताकतों और सुधार वाले क्षेत्रों की आवश्यकताएं पूरी करने के लिए योजनाएं नहीं बनाई जाती (चित्र 2 में चरण 2 और 3)।

अगर आप चर्चा शुरू करेंगे, तो आपके शिक्षक और अभिभावक एक ‘‘विद्यालय स्व–समीक्षा‘‘ के लिए सभी प्रकार से जानकारी के स्रोतों का सुझाव दे सकते हैं जिसमें विद्यालय गतिविधि के सभी पहलू सम्मिलित हो सकते हैं, जैसे:

एक संभावित मुद्दे की पहचान के बाद विद्यालय के लिए उठाए जाने वाले शुरुआती कदमों में – परवाह किए बिना कि यह क्या है – सम्मिलित होने चाहिए:

  • यह निर्णय करना कि यह एक ऐसा मुद्दा है या नहीं जिसका समाधान करने की आवश्यकता है
  • उस दल की पहचान करना जिसे प्रमाण एकत्र करने की अगुवाई करने की आवश्यकता है – केस स्टडी 2 में, सुश्री मेहता के दल में अभिभावक, विद्यालय बोर्ड के सदस्य और स्थानीय शिक्षक सम्मिलित थे
  • उस प्रमाण की पहचान करना जिसे एकत्र करने की आवश्यकता है
  • समस्या वास्तव में क्या है इसे तय करने और इसका कैसे समाधान निकाला जा सकता है इसके लिए प्रमाण व तथ्यों का मूल्यांकन करना।
चित्र 4 एक रिपोर्ट की व्याख्या।

आपकी स्व-समीक्षा के लिए आँकड़े एकत्र करना, आरंभ बिंदु है। इसके बाद आपको प्रमाण का विश्लेषण करने (चित्र 2 में चरण 2) और ताकतों और सुधार के लिए क्षेत्रों का निर्णय लेने (चरण 3) की आवश्यकता होगी। विद्यालय स्व-समीक्षा की एक सामान्य निंदा यह होती है कि यह बहुत अधिक विवरणात्मक और अपर्याप्त तौर पर मूल्यांकनात्मक हो सकता है – विद्यालय नेतृत्व केवल यह विवरण देते हैं कि क्या हो रहा है और वे यह नहीं पूछते कि वे इससे क्या सीख सकते हैं।

केस स्टडी में, सुश्री मेहता ने केवल डेटा को स्वीकार ही नहीं किया – उन्होंने एक अनुमान तैयार किया और अधिक आँकड़े एकत्र कर उसकी जांच की। शोध की शब्दावली में, उन्होंने अपने आँकड़े (डेटा) को ‘त्रिभुजाकार’ किया। एक बार यह सुनिश्चित करने पर कि वे वास्तव में उपस्थिति में गिरावट के कारणों को समझ गई हैं और उन्होंने इसके और परीक्षा में प्रदर्शन के बीच संबंध को दिखा दिया है, वे कार्रवाई करने में सक्षम हो गईं।

केस स्टडी 3: देरी के पीछे क्या था?

विद्यालय प्रमुख सुश्री अग्रवाल ने कर्मचारी कक्ष में कक्षा 6 और कक्षा 7 के शिक्षकों के बीच एक बातचीत सुनी। दोनों निराश अनुभव कर रहे थे क्योंकि उन्हें लग रहा था कि कक्षाओं में समय का पालन खराब हो रहा था। सुश्री अग्रवाल ने उनसे पूछा कि उन्हें यह कैसे पता है और उन्होंने कहा कि वह यह केवल एक अनुभूति है।

‘क्या प्रतिदिन समान छात्र ऐसा कर रहे हैं? ’ उन्होंने पूछा। वे सुनिश्चित नहीं थे।

सुश्री अग्रवाल ने समस्या से निपटने के लिए उनकी सहायता करने का वादा किया। उन्होंने दो सप्ताहों तक इस बात का विस्तृत रिकॉर्ड रखने को कहा कि कौन देरी से था और कौन समय पर। उन्होंने सुझाव दिया कि शिक्षक छात्रों से अपने रिकॉर्ड स्वयं रखने को कहें, क्योंकि इससे उन्हें यह जिम्मेदारी लेने में सहायता मिल सकती है कि वे समय पर आना सुनिश्चित करें।

तीन हफ्तों के बाद, उन तीनों ने मिल कर आँकड़ों का विश्लेषण किया। उन्होंने पाया कि कस्बे के एक ख़ास हिस्से में रहने वाले विद्यार्थी सोमवार और शुक्रवार को देर से आते थे और एक ख़ास गाँव में रहने वाले विद्यार्थी बुधवार को देर से आते थे।

गतिविधि 5: आँकड़े अगले चरण तक कैसे ले जाते हैं

अग़र आप श्रीमती अग्रवाल के स्थान पर होते तो आगे क्या करते? आपके पास उपस्थिति के आँकड़े हैं और उसका विश्लेषण करके आपने पाया है कि विद्यार्थियों के रहने के स्थानों से जुड़े उपस्थिति के प्रतिमान मौजूद हैं। इसके पीछे कौन से संभव कारण हो सकते हैं? अपनी सीखने की डायरी में उन प्रश्नों और आँकड़ों की एक सूची तैयार करें जो आप क्या हो रहा है और क्यों हो रहा है यह समझने के लिए पूछेंगे एवं एकत्र करेंगे।

Discussion

याद रखें कि आप यह गतिविधि इन दो अध्यापकों के साथ करेंगे ताकि आप प्रश्न पूछने और आकँड़े एकत्र करने की जिम्मेदारी आपस में बाटँ सकें। आपने शायद नोट किया हो कि और अधिक आकँड़े पाने के लिए आपको विद्यार्थियों और उनके माता-पिता से बातचीत करनी होगी और शायद यह भी पता करना होगा कि वे विद्यालय आने के लिए किस परिवहन साधन का उपयोग करते हैं। बाजार लगने वाले दिन या धार्मिक रीति-रिवाजों जैसे कुछ कारक भी हो सकते हैं जो उपस्थिति पर असर डालते हैं, इसलिए आपको स्वयं द्वारा ढूढें जाने वाले आकँड़ों द्वारा चकित होने के लिए तैयार रखना होगा और अपने प्रश्नों को केवल अपनी परिकल्पना की जांच तक ही सीमित नहीं रखना होगा। अग़र श्रीमती अग्रवाल का संदेह यह हो कि खराब उपस्थिति केवल पारिवारिक जिम्मेदारियों की वज़ह से है तो हो सकता है कि वे सड़क की स्थिति या उन दिनों विद्यालय आने के परिवहन साधनों के बारे में पूछताछ न करें।

आँकड़ों और जानकारी के एकत्रीकरण को विशिष्ट समस्याओं के हल के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है, पर इससे भी अधिक महत्वपूर्ण यह है कि, इससे आपको अपने विद्यालय के प्रदर्शन के बारे में एक विहंगम दृश्य प्राप्त हो सकता है। यह चित्र 1 में दिखाए गए मूल्यांकन चक्र का चरण 4 है।.

जब आपमें आँकड़े एकत्र करने की आदत विकसित हो जाएगी तो आप दीर्घावधि के रुझान देख पाएंगे और किसी वर्ष विशिष्ट की उपलब्धियां या उपस्थितियां भी देख सकेंगे। आँकड़ों को छोटे-छोटे हिस्सों में तोड़कर आप यह पता लगा सकते हैं कि वास्तव में आँकड़े आपको क्या बता रहे हैं। उदाहरण के लिए, हो सकता है कि यह पता चले कि कक्षा 1 से 4 में बालिकाओं की उपस्थिति कक्षा 5 से 8 की तुलना में लगभग 20 प्रतिशत अधिक है, या फिर यह कि फसल कटाई के वक्त उपस्थिति में लगभग 35 प्रतिशत की कमी आ जाती है।

1 विद्यालय स्व-समीक्षा और उसके लाभ और चुनौतियाँ क्या हैं?

3 अपने आँकड़ों को संगठित करना