3 अपने आँकड़ों को संगठित करना

सभी विद्यालयों की चिंता एक जैसी चीजों को लेकर होगी: विद्यार्थियों की उपस्थिति, उनकी उपलब्धियां, उनका व्यवहार और माता-पिता की संलग्नता आदि। इसलिए एक ऐसी रूप रेखा तैयार कर लेना सहायक रहेगा जिसमें आपके विद्यालय के मुख्य मुद्दों की वार्षिक समीक्षा प्रस्तुत हो। शीर्षकों से आपको आँकड़ों के संग्रहण की दिनचर्या विकसित करने में मदद मिलेगी।

संसाधन 2 में एक आरंभ बिंदु दिया गया है जिसे आप गतिविधि 6 में विकसित करने जा रहे हैं। स्व-समीक्षा प्रपत्र को मुख्य क्षेत्रों में बाँटा गया है और प्रत्येक क्षेत्र के अंदर एक स्थान दिया गया है जिसमें आपको सारांश रूप में बताना है कि आपने क्या पता लगाया (आपका विश्लेषण) तथा एक स्थान आपके द्वारा एकत्र प्रमाणों को सूचीबद्ध करने के लिए है। यह महत्वपूर्ण है क्योंकि जो अन्य लोग आपकी स्व-समीक्षा में रुचि ले सकते हैं (जैसे जिला शिक्षा अधिकारी या एसएमसी के सदस्य) उन्हें यह विश्वास होना चाहिए कि आपका विश्लेषण स्पष्ट प्रमाण पर आधारित है।

गतिविधि 6: स्व–समीक्षा प्रपत्र विकसित करना

संसाधन 2 पर नज़र डालें और जांचें कि कौन-कौन सी श्रेणियां आपकी परिस्थितियों एवं प्राथमिकताओं के लिए उपयुक्त हैं।

प्रत्येक अनुभाग को पूरा करने के लिए आपको जो-जो प्रमाण चाहिए होंगे उनकी एक सूची बनाएं। इसमें मात्रात्मक आँकड़े, प्रेक्षणात्मक आँकड़े या सर्वेक्षण एवं साक्षात्कार आँकड़े शामिल हो सकते हैं।

केस स्टडी 4: सुश्री चड्ढा का स्व-समीक्षा प्रपत्र

सुश्री चड्ढा के प्राथमिक विद्यालय की विद्यालय प्रबन्ध समिति एसएमसी यह जानने को उत्सुक थी कि विद्यालय में नैतिकता एवं सदाचार को किस प्रकार बढ़ावा दिया जा रहा है और बढ़ावा देने का यह कार्य कितना प्रभावी है। विद्यालय प्रमुख होने के नाते, सुश्री चड्ढा ने एक स्व-समीक्षा प्रपत्र पर यह लिखना शुरू किया कि वे किन-किन चीजों की समीक्षा करेंगी (तालिका 1)। उन्होंने ये विभिन्न फोकस क्षेत्र बाईं ओर के स्तंभ में लिखे। दाईं ओर के स्तंभ में, उन्होंने वे प्रमाण लिखे जिनका उपयोग वे प्रत्येक फोकस क्षेत्र की समीक्षा के लिए करने जा रही थीं। ध्यान दें कि किस प्रकार प्रमाण मात्रात्मक आँकड़ों, सर्वेक्षण आँकड़ों और प्रेक्षणात्मक आँकड़ों का मिश्रण है। सदाचार और नैतिक शिक्षा स्पष्ट रूप से इस विद्यालय में काफी अच्छी चल रही है।

तालिका 1सुश्री चड्ढा का स्व-समीक्षा प्रपत्र।
विद्यालय में सदाचार और नैतिकता को किस हद तक बढ़ावा दिया जा रहा हैकी समीक्षा हेतु फोकस क्षेत्रसमीक्षा हेतु प्रमाण के स्रोत
हम विद्यार्थियों और अध्यापकों के बीच अच्छे एवं सम्मानपूर्ण संबंधों को बढ़ावा देते हैं। विद्यालय में संबंध अच्छे हैं: धौंस दिखाना या बदमाशियां बहुत कम है और विद्यार्थी सुरक्षित महसूस करते हैं। हमने एक नई व्यवहार नीति लागू की है जिसमें विद्यार्थी अपने खुद के व्यवहार के लिए जिम्मेदारी ले रहे हैं।
  • विद्यार्थियों के माता–पिता के सर्वेक्षण से पता चला है कि 94 प्रतिशत विद्यार्थी विद्यालय में खुश हैं।.
  • विद्यार्थियों के सर्वेक्षण से पता चला है कि 93 प्रतिशत विद्यार्थी विद्यालय में सुरक्षित महसूस करते हैं।.
  • धौंस जमाने/डराने की घटनाएं पिछले वर्ष आठ से घटकर इस वर्ष दो हो गई हैं।
  • मई और जून में मेरी अधिगम चहलकदमी ने नई नीति के सफल क्रियान्वयन की पुष्टि की है।
हम मिलजुल कर त्योहार और समाज में योगदान देने वाले व्यक्तियों के कार्य की खुशी मनाते हैं। प्रत्येक अर्ध-सत्र में कम-से-कम एक दिन समय-सारणी से अलग होता है। उस दिन सदाचार और नैतिकता के मुद्दों पर विद्यार्थियों की जागरुकता बढ़ाने की गतिविधियां की जाती हैं।
  • आँकड़े दर्शाते हैं कि ‘त्योहारी’ दिनों पर उपस्थिति लगातार व एकसमान रूप से अच्छी बनी हुई है।.
  • इन दिनों में, विद्यार्थी प्रायः कलाकृतियां एवं पोस्टर बनाते हैं जिन्हें उनकी कक्षाओं में प्रदर्शित किया जाता है।
  • हमने महिला शिक्षा के क्षेत्र में ईश्वरचंद्र विद्यासागर द्वारा किए गए कार्य के सम्मान में 26 सितंबर को उनका जन्मदिन मिलजुल कर मनाया।.
  • हमने विद्यार्थी-अध्यापक संबंध के उत्सव के रूप में ‘शिक्षक दिवस’ (5 सितंबर) मनाया। विद्यार्थियों ने अपने अध्यापकों को धन्यवाद देने के लिए कार्ड बनाए और अध्यापक अपने विद्यार्थियों के लिए मिठाइयां लाए। उस दिन एसएमसी के अध्यक्ष ने विद्यालय का दौरा किया और यहां के सकारात्मक माहौल पर टिप्पणी की।.
हम वंचित समूहों की मदद के लिए लोगों के बीच गए, और उन लोगों को उनके कार्य के बारे में विद्यार्थियों से बात करने के लिए आमंत्रित किया।
  • प्रत्येक कक्षा ने एक स्थानीय परोपकारी संस्था को अपनाया और उस संस्था के लिए चंदा जुटाने के लिए विद्यालय में कार्यक्रम आयोजित किया। इस वर्ष कुल रु. 20,000 एकत्र हुए।
  • इस वर्ष छः बाहरी वक्ताओं ने दौरा किया। विद्यार्थियों और उनके माता–पिता से मिले फ़ीडबैक के अनुसार 85 प्रतिशत विद्यार्थियों ने इन कार्यक्रमों का आनंद लिया और उनसे कुछ न कुछ सीखा।

स्व-समीक्षा प्रपत्र पूरा हो जाने पर वह विद्यालय विकास योजना (चित्र 2 में चरण 5) का आधार बन जाएगा – आप चाहें तो इस अगले चरण से संबंधित नेतृत्व पर एक दृष्टिकोण: विद्यालय विकास योजना का नेतृत्व करना इकाई का अध्ययन कर सकते हैं।

आपको आँकड़ों के नियमित संग्रहण (चरण 6) की व्यवस्था करने का लक्ष्य रखना चाहिए ताकि:

  • सुधार चक्र सतत चलता रहे
  • आँकड़े सुलभ हो जाएं और निर्णय तथ्यों और प्रमाणों के आधार पर लिए जाएं।

इस इकाई के अंतिम अनुभाग में स्व-समीक्षा के पाँच साधन फोकस में होंगे।

2 डेटा और जानकारी

4 स्व-समीक्षा के साधन