2 विद्यालय प्रमुख के रूप में अपने स्वयं की शिक्षा के बारे में सोचना

नए अवसरों का सर्वाधिक लाभ लेने के लिए, विद्यालय प्रमुखों को अधिक कौशल विकसित करने होंगे। आप संभवतः इसलिए विद्यालय प्रमुख बने क्योंकि आप एक अच्छे अध्यापक और सुयोग्य व्यक्ति हैं। तथापि, नेता या प्रमुख होना, अध्यापक की भूमिका से बहुत अलग है। आपकी भूमिका है विद्यालय के दैनिक कामकाज़ का प्रबंधन करना और सुनिश्चित करना कि, दीर्घकाल में, आपका विद्यालय अपने समाज के विद्यार्थियों के लिए सर्वश्रेष्ठ संभव शिक्षा प्रदान करे। इस इकाई में आपका परिचय कुछ ऐसे कौशलों और सक्षमताओं से होगा जो विद्यालय के अध्यापकों को अधिक प्रभावी बनने में मदद करने के लिए एक प्रभावी विद्यालय प्रमुख में होने जरूरी हैं।

विचार कीजिए

एक बार फिर उस समय को याद करें जब आप विद्यालय में थे या जब आपने अपने अध्यापन व्यवसाय की शुरूआत की थी। अब दस वर्ष आगे के बारे में सोचें। जिस वर्ष आपने अपना करियर आरंभ किया था उससे दस वर्ष के बाद विद्यालयों के बीच का सबसे प्रमुख अंतर क्या होगा?

गतिविधि 1: एक प्रमुख के रूप में आपका व्यावसायिक विकास

चित्र 1 एक प्रमुख के रूप में अपने व्यावसायिक विकास पर विचार करना।
  • अपनी सीखने की डायरी का उपयोग करते हुए, वे पाँच शब्द लिखें जो आपके अनुसार एक प्रमुख के रूप में आपकी विशेषताएं हैं।
  • आपके विचार में आपके अध्यापक आपको अपने प्रमुख के रूप में किस प्रकार देखते हैं? क्या वे आपको पसंद करते हैं? क्या वे आपके पद मात्र की बजाए आपके ज्ञान और कौशल का भी सम्मान करते हैं? आपके विचार में ऐसा क्यों है? आप अपने अध्यापकों के समक्ष यह कैसे प्रदर्शित करते हैं कि एक व्यावसाय के रूप में आप विकसित हो रहे हैं? उदाहरण के लिए, क्या वे आपको किसी ऐसे व्यक्ति के रूप में देखते हैं जो नए विचारों को आज़माने और उनके प्रभाव पर चिंतन करने के लिए तैयार है?

  • प्रश्न 1 और 2 के अपने उत्तरों पर विचार करते हुए बताएं कि एक प्रमुख के रूप में अपने खुद के व्यावसायिक विकास के मार्ग में आप कौन सी बाधाओं को देखते हैं?

Discussion

चर्चा

आपकी प्रतिक्रियाएं आप और आपकी परिस्थितियों के अनुरूप व्यक्तिगत होंगी। तथापि, प्रमुख के तीन अलग अलग प्रकारों पर विचार करने से आपको अपने सामने आ सकने वाली चुनौतियों पर और चिंतन करने में मदद मिल सकती है:

  • पहले प्रकार का प्रमुख ऐसा व्यक्ति हो सकता है जिसके पास विद्यालय का नेतृत्व करने का कई वर्षों का अनुभव हो, जो नेतृत्व करने में आत्मविश्वासी हो, पर स्टाफ के अन्य लोगों के सामने यह प्रदर्शित करने में कठिनाई का अनुभव करता हो कि वह अभी भी सीख रहा है और अपने खुद के अभ्यास को बदल रहा है। ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि वह खुद को आत्मविश्वास से भरा हुआ और नियंत्रण में दिखाना चाहता है, और इसलिए व्यावसायिक विकास को निजी और गुप्त रखना चाहता है।
  • • दूसरे प्रकार का प्रमुख ऐसा व्यक्ति हो सकता है जो कम उम्र का है और इस बात को लेकर चिंतित है कि अगर उसके व्यक्तिगत विकास के क्षेत्र लोगों को दिखे तो उसका प्राधिकार उससे खो न जाए। वह इस बात से संभवतः अवगत हो सकता है कि कक्षा में उसकी विशेषज्ञता, उसके कुछ अधिक वरिष्ठ अध्यापकों से कम है, पर नेतृत्व के मॉडल में देने के लिए उसके पास बहुत कुछ है। इस मॉडल में आधुनिकतम विचारों की समझ और भविष्य की सोच के साथ-साथ उत्साह भी है और वह साथ ही साथ अन्य अध्यापकों की विशेषज्ञता का सम्मान भी करता है।

  • अंत में, तीसरे प्रकार के प्रमुख वे हो सकते हैं जो – अन्य के लिए पारदर्शी ढंग से अपने अभ्यास को विकसित करने की इच्छा रखने के बावजूद – इन गतिविधियों के लिए कभी समय नहीं निकाल पाते हैं। ये ऐसे प्रमुख हैं जो, अवचेतन स्तर पर, व्यावसायिक विकास के प्रति ऐसे रवैये का प्रतिरूपण कर रहे हैं जो उनके विद्यालयों में परिवर्तन लाने के प्रयासों को क्षीण कर सकता है।

अच्छे प्रमुख के गुण सुप्रलेखित हैं। तालिका 1 में इस बारे में कुछ सुझाव हैं कि वे भारतीय परिप्रेक्ष्य में किस प्रकार लागू होते हैं। आप गतिविधि 3 में इस विश्लेषण पर लौटेंगे।

Table 1 Qualities of a good leader (adapted from Gardner, 1997).
Qualities of a good leaderWhat these might mean in your context
Readiness to confront authorityYou will need to work with your district education office and other related structures such as the cluster resource centres (CRCs), block resource centres (BRCs), local panchayat and school management committees (SMCs). These provide valuable resources and in many parts of the country still take responsibility for recruiting and deploying teachers. It is important that you manage your relationship with all these institutions and functionaries carefully and sensitively. Confrontation might not be the best approach, but don’t be afraid to take the initiative or do things differently from how they have been done in the past if you think it will help your school.
Being prepared to take risksCulturally this is difficult, because India’s hierarchical structures mean that people feel they need to seek approval for any initiative from a more senior person. However, as long as you are aware of district priorities and the school development plan (SDP), and you have well thought out reasons about why you are making a particular change, you should be able to take risks in your school in order to achieve the improvements you want.
Resilience in the face of failureIn many cultures, admitting you have made a mistake or that things are less than perfect is difficult. Managing change is demanding and will not necessarily go smoothly. Every time something does not go exactly as planned, you should regard this as a learning opportunity. Make sure you reflect on and identify the reasons why things have not gone as planned, but don’t be afraid of admitting that you could have done something differently.
Confidence in instinct and intuitionYou will probably have experience of working as a teacher in different schools. You will be able to use and build on this experience in your role as a school leader. The new aspiration for autonomous schools means that you will have more freedom to be creative and try out new things.
Ability to keep in mind the bigger pictureThis applies to all leaders. Your role is to establish and communicate a clear vision for your school. All actions and initiatives should be linked to this vision. There is a School Leadership OER that provides practical advice about how to work with others to build a vision for your school. This will help you in formulating the SDP with the SMC members.
Moral commitment The values and beliefs that underpin the NCF 2005, the NCFTE 2009 and the RtE 2009 challenge some traditionally held beliefs. In order to meet the aspirations set out by the government in these documents, you will need to understand the underlying values of these policies and model these in your school and the local community around your school.
A sense of timing and the ability to sit back and learn from experienceAs you start to evaluate your school, it is possible that you will identify a number of changes that you wish to make. It is important not to try and change too much, too soon. You will need to prioritise and move slowly, taking all the teachers with you.

केस स्टडी 1: श्री नागराजू अध्यापकों को उनके पाठ नियोजन में मदद करते हैं

प्रधानाध्यापक श्री नागराजू एक ग्रामीण माध्यमिक विद्यालय में कार्य करते हैं।

इस विद्यालय में कार्य आरंभ करते समय मैंने अध्यापकों से उनके सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में पूछा। उन्होंने बताया कि पाठ्यक्रम पूरा करना बहुत कठिन है क्योंकि सीखने के लिए बहुत कुछ है, पर उनमें से अधिकतर इसे लेकर गर्व कर रहे थे कि वे हर वर्ष उसे पूरा करने में सफल हो जाते हैं। जब मैंने परीक्षा परिणाम देखे तो उनका निम्न स्तर देख कर मैं दंग रह गया। कक्षा दस की परीक्षाओं में केवल 30 प्रतिशत बच्चे उत्तीर्ण हुए थे। ऐसा कैसे हो सकता है? अगर अध्यापक इतनी कड़ी मेहनत कर रहे हैं और हमेशा पाठ्यक्रम पूरा कर देते हैं तो परिणाम इतने खराब क्यों हैं? मैंने कुछ दिन विद्यालय का भ्रमण किया और अभ्यास पुस्तिकाओं को देखना शुरू किया। मुझे पता लगा कि अध्यापकों का बहुत सारा समय बच्चों को व्याख्यान देने में निकल जाता है। इमला और ब्लैकबोर्ड से उतारने का काम भी काफी हो रहा था।

मैंने श्री सिंह को कक्षा से पूछते हुए सुना, ‘क्या तुम समझ गए?’ कक्षा ने समवेत स्वर में उत्तर दिया, ‘हाँ, हम समझ गए।’ पाठ के बाद मैंने श्री सिंह से पूछा कि उन्हें कैसे पता कि बच्चे समझ गए हैं। प्रश्न से चकित हो कर उन्होंने उत्तर दिया, ‘उन्होंने कहा कि वे समझ गए हैं – और किसी ने भी मुझसे कोई प्रश्न भी नहीं पूछा।’

श्री सिंह कई वर्षों से विज्ञान पढ़ा रहे हैं और वे काफी सख्त अध्यापक हैं। मुझे खुद उनसे खौफ़ महसूस होता है, इसलिए मेरे लिए यह आश्चर्य की बात नहीं कि विद्यार्थी यदि कुछ नहीं भी समझे होंगे तो भी वे यह बात स्वीकारेंगे नहीं। मैंने कहा कि पिछले वर्ष की परीक्षा के परिणामों को देखते हुए नहीं लगता कि उन्होंने कार्य को थोड़ा भी समझा है। उन्होंने कहा कि विद्यार्थी कठिन मेहनत नहीं करते और वे ग्रामीण समुदाय से हैं इसलिए उन्हें उन विद्यार्थियों से बढ़िया प्रदर्शन की अपेक्षा नहीं है। मेरा विश्वास है कि सभी विद्यार्थियों में सीखने की क्षमता होती है। उनकी मदद करने का रास्ता ढूंढना अध्यापकों पर निर्भर करता है। पर मैं श्री सिंह को यह यकीन कैसे दिलाता?

मैंने अध्यापकों से कहा कि पिछले विद्यालय प्रमुख की तरह, वे मुझे भी हर हफ्ते की अपनी पाठ योजनाएं दें। मैंने गुरूवार और शुक्रवार की प्रार्थना सभाएं रद्द कर दीं ताकि मुझे विषय समूहों में उनकी योजनाओं के बारे में उनसे बात करने का समय मिल जाए। मैंने उन्हें प्रोत्साहित किया कि वे जिन मुख्य अवधारणाओं को समझाना चाह रहे हैं उनके बारे में सोचें, और उन्हें सुझाया कि वे पहले पाठ्यपुस्तकों में मुख्य विचारों की पहचान करें और सभी कुछ कवर करने की बजाए वे पहले इन पर ध्यान केंद्रित करें। मैंने उन्हें TESS-India के कुछ ओईआर दिखाए और उन्हें प्रोत्साहित किया कि वे प्रत्येक टॉपिक की शुरूआत किसी ऐसी चीज से करें जो विद्यार्थियों में रुचि जगाए, भले ही वह पाठ्यपुस्तक में न हो। मैंने सुझाया कि वे, अगर लाभकारी हो तो, अध्यायों को अलग क्रम में कवर कर सकते हैं और मैंने उन अध्यापकों की भरपूर प्रशंसा की जो अपनी पहल का उपयोग कर रहे थे।

सत्रांत में, मैंने अध्यापकों से सभी परीक्षणों के परिणामों को एक ग्रिड में भरने को कहा। श्री वारि एक युवा और अनुभवहीन विज्ञान अध्यापक हैं। उन्होंने कई परस्पर प्रभावी पद्धतियां अपनाईं थीं। उन्होंने पाठ्यपुस्तक के चार अध्यायों के हर पृष्ठ का उपयोग नहीं किया, पर उनकी कक्षा ने श्री सिंह की कक्षा से बेहतर प्रदर्शन किया।

गतिविधि 2: नेतृत्व गुणों को पहचानना

तालिका 1 को फिर से पढ़ें जिसमें अच्छे प्रमुख के गुण दिए गए हैं।

किसी दोस्त या सहकर्मी के साथ केस स्टडी 1 का विश्लेषण करें और श्री नागराजू ने जो गुण प्रदर्शित किए उनके उदाहरणों की पहचान करें। इन्हें अपनी सीखने की डायरी में लिखें या मुख्य वाक्यांशों को किसी हाइलाइटर पेन या पेंसिल से रेखांकित करें।

Discussion

चर्चा

श्री नागराजू ने देखा कि क्या चल रहा था और समस्या के समाधान की हड़बड़ी दिखाने की बजाए अपने अध्यापकों की बात सुनी। उन्होंने लोगों को बदलने की कठिनाई को पहचाना, पर वे समाधान ढूंढने के लिए दृढ़निश्चयी थे। उन्होंने अपने अध्यापकों को प्रोत्साहित किया कि प्रत्येक अध्याय का संपूर्ण उपयोग आवश्यक नहीं और वे पाठ्यपुस्तकों का अधिक रचनाशील उपयोग करें। उन्होंने यह जोख़िम उठाया पर उनके पास ऐसा करने के अच्छे कारण थे। उनका मानना है कि सभी विद्यार्थी सीख सकते हैं, भले ही उनकी पृष्ठभूमि कुछ भी हो, और उन्होंने मौजूदा तंत्र के अंदर ही कार्य किया – उदाहरण के लिए, अध्यापकों को विद्यालय के बाद रुकने के लिए कहने की बजाए प्रार्थना सभाओं को रद्द करना।

गतिविधि 2 आजमा चुकने के बाद, आप चाहें तो विद्यालय प्रमुखों के वीडियो भी देख सकते हैं जिससे आप यह विश्लेषण कर सकते हैं कि वे जो कहते हैं उनमें वे किस हद तक अच्छे प्रमुख के गुणों का प्रदर्शन करते हैं।

1 भारत में विद्यालय प्रमुख होना

3 आवश्यकता विश्लेषण संचालित करना