2 गणित सीखने में रचनात्मकता

सीखने में रचनात्मकता आंशिक रूप से विद्यार्थियों को अधिक सीखना मनोरंजनक बनाने और स्वयं से सोचने के लिए प्रेरित करती है। गणित में रचनात्मक चिंतन विद्यार्थियों को भविष्य की उनकी नौकरी के लिए भी महत्वपूर्ण ढंग से तैयार करता है। भविष्य में नौकरियाँ यंत्रवत रूप से चीज़ों को करने पर कम से कम निर्भर होंगी, क्योंकि इसे कंप्यूटर पर और समस्या समाधान के माध्यम से एवं रचनात्मक समाधानों द्वारा किया जा सकता है।

हमेशा यह देखना आसान नहीं हो सकता है कि स्कूली गणित एवं पाठ्यपुस्तक अभ्यास को किस तरह रचनात्मक शिक्षण दृष्टिकोणों में बदला जा सकता है।

इस इकाई का उद्देश्य रचनात्मक दृष्टिकोणों के लिए कुछ विचार प्रस्तुत करना है। यह ‘संभाव्यता चिंतन’ के रूप में रचनात्मकता के परिप्रेक्ष्य पर निर्मित होता है। जब आप और आपके विद्यार्थी संभावनाओं पर या ‘क्या होगा यदि’ जैसे परिदृश्यों पर सोच सकते हैं तो यह प्रक्रिया आपको आपके चिंतन में रचनात्मकता लाने के लिए प्रेरित करेगी (अरिस्टेडो, 2011)।

शोधकर्ताओं ने उन शिक्षण एवं अधिगम विशेषताओं की एक सूची पता लगाई है जो कक्षाकक्ष में संभाव्यता चिंतन को शामिल करती है (ग्रेंगर एवं अन्य, 2007; क्राफ्ट एवं अन्य, 2012)। इन विशेषताओं को गतिविधियों की अभिकल्पना के माध्यम से और खुले प्रश्न पूछकर प्रभावी ढंग से संबोधित किया जा सकता है और इनमें शामिल हैं:

  • प्रश्न पूछना और उनके उत्तर देना
  • कल्पनाशील बनना
  • खेल/मनोरंजक ढंग से
  • जोखिम उठाने की प्रवृत्ति।

इस इकाई में कार्य उन अधिगम गतिविधियों के विकास पर काम करते हैं जो इन विशेषताओं का इस्तेमाल करते हैं।

इस अंक में अपने विद्यार्थियों के साथ गतिविधियों के उपयोग का प्रयास करने से पहले अच्छा होगा कि आप सभी गतिविधियों को पूरी तरह या आंशिक रूप से स्वयं करके देखें। यह और भी बेहतर होगा अगर आप अपने किसी सहकर्मी के साथ मिलकर इसे करने का प्रयास करें क्योंकि स्वयं के अनुभव के आधार पर सिखाना आसान होगा। स्वयं प्रयास करने से आपको शिक्षार्थी के उन अनुभवों के भीतर झांकने का मौका मिलेगा जो आपके शिक्षण और एक शिक्षक के रूप में आपके अनुभवों को प्रभावित कर सकते हैं। जब आप तैयार हों, तब गतिविधियों का अपने विद्यार्थियों के साथ उपयोग करें और फिर से इस बात पर विचार करें कि गतिविधि कैसी हुई और क्या सीख मिली। इससे आपको सीखने वाले विद्यार्थियों पर ध्यान केंद्रित रखने वाला अधिक शैक्षिक वातावरण बनाने में मदद मिलेगी।

गतिविधि 1: गुणन के भौतिक प्रभावों के बारे में विचार करना

तैयारी

इस गतिविधि को आयोजित करने की योजना से पहले वाले दिन, अपने विद्यार्थियों से कहें कि वे अगले पाठ के लिए किसी भी लंबाई की एक पतली सूखी छड़ी लेकर आएँ जिसको आसानी से तोड़ा जा सकें।

अलग अलग लंबाई की छड़ियाँ होने पर यह गतिविधि बेहतर ढंग से काम करती है। यदि आपको लगता है कि अधिकांश विद्यार्थियों के पास लगभग समान लंबाई की छड़ियाँ हैं तो उनसे लंबाई कम करने के लिए अपनी अपनी छड़ियों का कुछ हिस्सा काटने को कहें। वे टुकड़े उन विद्यार्थियों को दिए जा सकते हैं जो छड़ी लेकर नहीं आए हैं।

पाठ के आरंभ में, प्रत्येक विद्यार्थी से अपने हाथ में ली हुई छड़ी को पकड़े रहने और अपना हाथ उठाने के लिए कहें। यदि कुछ विद्यार्थी छड़ी लाना भूल गए हैं तो अन्य विद्यार्थियों से कहें कि वे उदारता दिखाते हुए अपनी छड़ी का कुछ हिस्सा उन विद्यार्थियों से बांटे ।

चित्र 1 नारियल की झाड़ू। (स्रोत: फ़ोटोकैनन)

गतिवधि

विद्यार्थियों को जोड़े या छोटे समूह में व्यवस्थित करें।

विद्यार्थियों से निम्न प्रश्नों के उत्तर अपने समूहों या जोड़ों में देने के लिए कहें:

  • किसके पास छोटी छड़ी है?
  • छोटी और लंबी छड़ी की लंबाई के बीच क्या अंतर है?
  • छोटी छड़ी को लंबी छड़ी में कितनी बार फ़िट किया जा सकता है?
  • पिछले प्रश्नों में आपने दो तरीकों से छोटी और लंबी छड़ियों की लंबाई की तुलना की। तुलना के इन तरीकों के बीच क्या अंतर है?

गुणन के भौतिक प्रभावों का पता लगाने में विद्यार्थियों को मार्गदर्शित करते हुए, अब चर्चा शुरू करने के लिए कुछ समूहों को अपने निष्कर्ष कक्षा के समक्ष प्रस्तुत करने दें।

केस स्टडी 1: गतिविधि 1 के उपयोग का अनुभव श्रीमती कपूर बताती हैं

यह एक अध्यापिका की कहानी है जिसने अपने प्राथमिक कक्षा के विद्यार्थियों के साथ गतिविधि 1 का प्रयास किया।

विद्यार्थियों को पतली छड़ियाँ लेकर आने का विचार पसंद आया और उनमें से अधिकांश लेकर भी आए, लेकिन जैसा कि होता है उनमें से कुछ फिर भी छड़ी लाना भूल गए। उन्हें छड़ी न लाना बुरा लगा किंतु उन्होंने अपने सहपाठियों से छड़ियाँ प्राप्त कर सकने के सुझाव का स्वागत किया। मैंने विद्यार्थियों को चार के समूहों में रखा। मैं प्रत्येक समूह में दो विद्यार्थियों को मुड़ने और दो अन्य के सम्मुख अपना चेहरा करने के द्वारा इसे आसानी से व्यवस्थित कर सकती थी।

एक बार सबके पास छड़ी हो जाने और अपने समूह में बैठ जाने पर, उन्होंने गतिविधि में सुझाए गए दोनों तरीकों से तुलना किया। मैंने उन्हें अपने अवलोकनों का नोट बनाने के लिए भी कहा ताकि वे बाद में होने वाली चर्चा में अपना योगदान दे सकें।

कुछ को समस्या थी, उनका कहना था कि वे आसानी से अंतर बता सकते हैं लेकिन उतनी आसानी से गुणन के बारे में नहीं बता सकते। लेकिन सभी ने कोशिश की और कुल मिलाकर चर्चा दिलचस्प रही। उनमें से कुछ बेहद शांत थे और उन्हें अपना निष्कर्ष बताने के लिए राजी करना था। उनमें से अधिकांश सामान्यतः इस बात को लेकर चिंतित थे कि उन्होंने जो कहा शायद वो निरर्थक हो और बाकी विद्यार्थी कहीं उन पर हंसने न लगें। इसलिए, मैंने उन्हें इस बात के लिए राजी किया कि गलत उत्तर या निष्कर्ष देने में भी कोई समस्या नहीं क्योंकि कोई भी हर चीज़ में विशेषज्ञ नहीं होता है और गलतियाँ करने से उन्हें अपने अधिगम में मदद ही मिलेगी। मुझे यह महसूस नहीं हुआ कि विद्यार्थियों के लिए उत्तर देने में आश्वस्त महसूस करना और जोखिम उठाना कितना कठिन है क्योंकि हो सकता है उनके उत्तर गलत साबित हो जाएँ।

एक विद्यार्थी मोना ने टिप्पणी की कि वे आकलन कर रहे थे। उनके पास इस्तेमाल के लिए कोई मानकीकृत मापन उपकरण यथा- रूलर या टेप नहीं था जिसका अर्थ था कि माप किसी भी तरीके से सटीक नहीं थे, इसलिए वे बस अनुमान लगा रहे थे। ऐसा महसूस हुआ कि विद्यार्थी अपनी कल्पना का इस्तेमाल करने को लेकर अधिक इच्छुक और आश्वस्त थे और अपने विचार और उत्तर देने के लिए तत्पर थे। इन बातों ने मुझे सोचने पर मजबूर किया कि यदि मैं अपने विद्यार्थियों को गणित के उनके अधिगम में अधिक जोखिम उठाने के लिए प्रवृत्त करना चाहती हूं तो मुझे उन्हें ऐसी और भी गतिविधियाँ देनी चाहिए जहाँ कोई गलत उत्तर न हो, बल्कि कई सारे सही उत्तर हों।

विचार के लिए रुकें

श्रीमती कपूर ने बताया कि कैसे उन्होंने अपने विद्यार्थियों को राजी करने के लिए कड़ी मेहनत की कि कोई भी उत्तर न देने से एक गलत उत्तर देना ज्यादा अच्छा है, क्योंकि गलतियाँ करने से उन्हें अपने अधिगम में मदद मिलेगी। इस दृष्टिकोण के बारे में आप कैसा अनुभव करते हैं? श्रीमती कपूर को अपनी कक्षा में ऐसा वातावरण तैयार करने के लिए कौन सी दीर्घकालीन रणनीतियाँ अपनानी चाहिए जिसमें सभी विद्यार्थी अपने अधिगम में मदद के लिए जोखिम उठाने में सहजता महसूस कर सकें?

आपके शिक्षण अभ्यास के बारे में सोचना

अपनी कक्षा के साथ ऐसा कोई अभ्यास करने पर बाद यह सोचें कि क्या ठीक रहा और कहाँ गड़बड़ी हुई। ऐसे प्रश्न सोचें जिनसे विद्यार्थियों में रुचि पैदा हो तथा उनके बारे में उन्हें समझाएँ ताकि वे उन्हें हल करके आगे बढ़ सकें। ऐसे चिंतन से वह ‘स्क्रिप्ट’ मिल जाती है, जिसकी मदद से आप विद्यार्थियों के मन में गणित के प्रति रुचि जगा सकते हैं और उसे मनोरंजक बना सकते हैं। अगर विद्यार्थियों को समझ नहीं आ रहा है और वे कुछ नहीं कर पा रहे हैं, तो इसका मतलब है कि उनकी इसमें सम्मिलित होने की रुचि नहीं है। जब भी आप गतिविधियां करवाएं तो इस विचारात्मक अभ्यास का उपयोग करें, यह ध्यान रखें कि श्रीमती कपूर ने कुछ छोटे परिवर्तन किए जो काफी महत्वपूर्ण रहे।

विचार के लिए रुकें

ऐसे चिंतन को गति देने वाले अच्छे प्रश्न निम्नलिखित हैं:

  • आपकी कक्षा में इसका प्रदर्शन कैसा रहा?
  • विद्यार्थियों से कैसी प्रतिक्रियाएँ अनपेक्षित थीं? क्यों?

  • अपने विद्यार्थियों की समझ का पता लगाने के लिए आपने क्या सवाल किए?
  • क्या किसी भी समय आपको ऐसा लगा कि हस्तक्षेप करना चाहिए?
  • किन बिंदुओं पर आपको लगा कि आपको और समझाना होगा?
  • क्या आपने कार्य में किसी भी तरीके का संशोधन किया? अगर हाँ, तो इसके पीछे आपका क्या कारण था?

1 आनुपातिक तर्क से संबंधित सामान्य गलतफ़हमियाँ

3 गणित में रचनात्मकता के समर्थन में मनोरंजक तरीकों की भूमिका