1 एक रोल मॉडल बनना

पठन के प्रति छात्रों के दृष्टिकोण पर उनके शिक्षकों का गहरा प्रभाव पड़ता है। इस इकाई में ऐसे कई तरीकों के बारे में सुझाव दिया गया है, जिनके द्वारा आप विविध प्रकार के पाठों को पढ़ने से मिलने वाले आनंद का नमूना स्पष्ट रूप से दिखा सकते हैं।

सबसे पहले आप एक ऐसी शिक्षिका की केस स्टडी पढ़ेंगे, जिन्होंने पठन के आनंद से अपने छात्रों का परिचय करवाने का एक तरीका ढूँढा।

केस स्टडी 1: अखबार पढ़ना

सुश्री राबिया सागर में कक्षा तीन से पाँच के छात्रों वाले एक बड़े मल्टीग्रेड समूह की शिक्षिका हैं। यहाँ वे वर्णन करती हैं कि किस तरह उन्होंने अपनी कक्षा को पठन के आनंद को दिखाने करने के लिए अख़बार का उपयोग किया।

दुर्भाग्य से पारिवारिक जिम्मेदारियों और काम के कारण मुझे अपनी इच्छानुसार पढ़ने का समय नहीं मिल पाता। बावजूद इसके भी मेरे लिए यह बहुत महत्वपूर्ण है कि मैं अपने छात्रों को पठन के महत्व और आनंद को समझना सिखाऊं।

इस साल की शुरुआत में एक दिन मेरे छात्र जब कक्षा में आए, तो मैं एक दैनिक अखबार में एक खबर पढ़ रही थी [टाइम्स ऑफ़ इंडिया, 2014]। जब वे लोग आकर बैठ गए, तो मैंने अखबार नीचे रख दिया और उनसे कहा, ‘मैं अभी-अभी सबसे रोचक बात पढ़ रही थी! यह खबर भारत के सबसे बड़े फेयरी व्हील “दिल्ली आय” (Delhi Eye) के बारे में है!’

मैंने उन्हें उस जायंट व्हील का एक चित्र दिखाया और अपनी बात जारी रखी: ‘इसमें लिखा है कि यहाँ हम ऊपर से कुतुबमीनार, लाल किला, अक्षरधाम मंदिर, लोटस टेम्पल और हुमायूं का मकबरा जैसे स्मारक देख सकते हैं।’ मेरे छात्र इस खबर से बहुत आकर्षित हुए।

मैंने उन्हें समझाया कि अखबार में पढ़ने के लिए बहुत सारी रोचक बातें होती हैं। मैंने अपने छात्रों से पूछा कि स्कूल के बाहर वे कितनी बार अखबार देखते हैं। एक या दो छात्रों ने कहा कि उन्होंने अपनी दुकान में चित्रों और बड़े अक्षरों में लिखी हेडिंग वाले अखबार देखे हैं। एक अन्य छात्र ने कहा कि उसके पिता हर दिन अखबार पढ़ने सामुदायिक भवन में जाते हैं। इस चर्चा से मुझे अपने छात्रों के बारे में थोड़ी ज्यादा जानकारी मिली।

उसके बाद से मैं हर सुबह अपने छात्रों को अख़बार की कोई एक खबर बताने लगी। उनकी रुचि वाली कोई खबर चुनने से पहले हर बार मैं ध्यान रखती थी कि वे मुझे पन्ने पलटते हुए देखें। यह मेरे लिए भी आनंददायक था, क्योंकि इससे मुझे हर दिन अखबार पढ़ने का मौका मिलता था। मेरे छात्रों को भी दैनिक या अंतर्राष्ट्रीय ख़बरों के बारे में जानने की उत्सुकता रहती थी। एक संक्षिप्त चर्चा के द्वारा मैं समाचारों की नई भाषा से विद्यार्थियों का परिचय कराते हुए उनके ज्ञान और अनुभव के साथ समाचार जोड़ पाने में सक्षम हो गई।

जल्दी ही मेरी कक्षा में अख़बारों और पत्रिकाओं का ढेर लग गया था, और मैंने अपने छात्रों को प्रोत्साहित किया कि वे सुबह अपने सहपाठियों के आने की प्रतीक्षा करते समय इन्हें देखें। कुछ समय बाद मैंने तय किया कि मैं हर दिन अपनी कक्षा में छात्रों को उन प्रकाशनों पढ़ने के लिए 15 मिनट का समय दूँगी। कुछ विद्यार्थियों ने अकेले पढ़ा था। कुछ ने साथ मिलकर पढ़ा। कुछ अवसरों पर मैंने सुना कि साथ में पढ़ने वाले छात्र उसी तरह की अभिव्यक्तियों का उपयोग कर रहे थे, जैसा मैं उनके साथ करती थी, जैसे ‘वाह, ये कितना रोचक है!’ और ‘आओ देखें इसमें क्या लिखा है!’ कभी-कभी मैं बड़े छात्रों से कहती थी कि वे छोटे छात्रों के साथ पढ़ें। कभी-कभार मैंने उन्हें किसी विशिष्ट शब्द का अर्थ समझाते हुए भी सुना। हाल ही में, मेरे छात्रों ने एक-दूसरे के लेख सुझाना भी शुरू किया है और वे इस तरह की अभिव्यक्तियों का उपयोग करते हैं, ‘क्या तुमने यह पढ़ा है?’ इस संक्षिप्त सत्र में मैं अपने छात्रों की पठन रुचियों और कौशलों का अनौपचारिक अवलोकन कर सकी।

विचार के लिए रुकें

  • सुश्री राबिया की अख़बार गतिविधि से उनके छात्रों ने पठन के बारे में क्या सीखा?
  • उनके तरीके के लाभ क्या ह? क्या इसमें कोई संभावित कमियाँ हैं?
  • उनके कौन-से तरीके आप अपनी कक्षा में लागू कर सकते हैं?

सुश्री राबिया ने अपने छात्रों को अखबार पढ़ने की एक गतिविधि का नमूना दिखाया। उपर्युक्त समाचार–पत्र की जगह आप स्थानीय समाचार–पत्र की कोई खबर शामिल कर सकते हैं। उन्होंने विद्यार्थियों को दिखाया कि वे किस तरह इसकी सामग्री में से उन समाचारों का चयन करके उन्हें दिखाती थी, जो उन्हें छात्रों के लिए सबसे ज्यादा रोचक लगते थे और उनके दृष्टिकोण व संबंधित अनुभवों के बारे में बात करने के लिए उन्हें आमंत्रित करती थी।

हर दिन पढ़ने के लिए थोड़ा समय निकालकर, सुश्री राबिया ने अपने छात्रों को इस गतिविधि को नियमित रूप से करने का महत्व समझाया। अपने छात्रों के लिए अखबार और पत्रिकाएँ उपलब्ध करवाकर उन्होंने छात्रों को प्रोत्साहित किया कि वे अपनी रुचि की सामग्री चुनें और अपना चयन अपने सहपाठियों के साथ साझा करें। उन्हें बोलकर पढ़ने, चुपचाप पढ़ने या जोड़ियों में बैठकर पढ़ने की जगह देकर, उन्होंने हर छात्र को अपने स्तर पर इस गतिविधि से जुड़ने का अवसर दिया। छोटे छात्रों को पढ़कर सुनाने के लिए बड़े छात्रों को आमंत्रित करके उन्होंने बड़े छात्रों के पठन कौशल की जांच की।

इस गतिविधि की एक कमी यह है कि ज्यादातर अखबारों और पत्रिकाओं से जुड़ने के लिए एक न्यूनतम स्तर केपठन कौशल की आवश्यकता होती है, यहाँ तक कि बुनियादी स्तर पर भी। इसी तरह, कई समाचार सामग्रियों के लिए ऐसे ज्ञान और समझ की ज़रूरत होती है, जो प्राथमिक कक्षाओं के छात्रों में होना अपेक्षित नहीं है। इसलिए यह गतिविधि छोटे छात्रों या बहुत शुरुआती पाठकों के लिए उपयुक्त नहीं है।

आपके छात्रों का स्तर चाहे जो भी हो, लेकिन उन्हें पठन का कुछ न कुछ अनुभव अवश्य होगा। चाहे सकारात्मक हो या नकारात्मक, लेकिन उनके मन में पठन के प्रति कोई न कोई दृष्टिकोण भी अवश्य होगा, जो कि स्कूल में, घर पर या उनके समुदाय में उसी प्रकार के अनुभवों पर आधारित होगा। आपके छात्रों के लिए किस तरह की नियमित पठन गतिविधि कारगर होगी? आप यह कैसे सुनिश्चित कर सकते हैं कि हर छात्र शामिल है? अपने विचारों के बारे में अपने सहकर्मी के साथ चर्चा करें।

अगले अनुभाग में, आप कक्षा में ‘पुस्तक पर बात’ के महत्व के बारे में जानेंगे। यह एक नियमित गतिविधि है, जिसे आप अपने किसी भी पाठ में शामिल कर सकते हैं।

यह दृष्टिकोण क्यों महत्वपूर्ण है

2 पुस्तक पर बात