3 जोड़ी में पठन

अकेले पढ़ने की तुलना में साथ मिलकर पढ़ना ज्यादा लाभदायक हो सकता है, और यह मज़ेदार भी हो सकता है।

जोड़ियों में पठन से एक सहायक, सहयोगी शिक्षण संरचना मिलती है, जो तब आदर्श होती है, जब एक छात्र दूसरे छात्र जितना आत्मविश्वासी पाठक नहीं है। छात्र एक दूसरे के लिए बहुत सक्षम और संवेदनशील ‘शिक्षक’ हो सकते हैं। अपने छात्रों को इस प्रकार व्यवस्थित करने के बारे में अधिक जानकारी के लिए संसाधन 1, ‘जोड़ी में कार्य का उपयोग करना’ पढ़ें।

जोड़ी में कार्य के द्वारा, दो छात्र एक पुस्तक को साझा करते हैं और बारी-बारी से एक-एक वाक्य, पैराग्राफ या पृष्ठ पढ़ते हैं (चित्र 3)। पहला पाठक पढ़ता है, जबकि दूसरा उसे सुनता है और साथ-साथ बढ़ता है। जहाँ पहला पाठक रुकता है, दूसरा पाठक उसके आगे से पढ़ना जारी रखता है। यदि दोनों में से किसी को भी कठिनाई होती है या वे गलती करते हैं, तो उनका साथी उनकी सहायता कर सकता है या उनकी गलती सुधार सकता है।

चित्र 3 जोड़ी में पठन।

आप समान पठन क्षमता वाले छात्रों की जोड़ी बना सकते हैं या आप अधिक वाक्पटु छात्रों की कम वाक्पटु छात्रों के साथ, या मल्टी-ग्रेड कक्षा में बड़े छात्रों की छोटे छात्रों के साथ जोड़ी बना सकते हैं। यदि जोड़ियों में पठन सुनियोजित हो, तो इसका उपयोग छात्रों की बड़ी संख्या के साथ किया जा सकता है।

अब एक शिक्षक का स्थिति अध्ययन पढ़ें, जो द्विभाषी छात्रों के लिए जोड़ियों में पठन के लाभों को जानते हैं।

केस स्टडी 3: द्विभाषी पठन सहायता के लिए जोड़ियों में कार्य

श्री रॉय मध्यप्रदेश के एक ग्रामीण विद्यालय में कक्षा पाँच को पढ़ाते हैं।

मेरे कुछ छात्र उनके घर की भाषा के रूप में राठवी बरेली (भाषाओं के बिली समूह से) बोलते हैं। वे स्कूल में हिन्दी समझने और बोलने में लगातार प्रगति कर रहे हैं, लेकिन उनमें सस्वर वाचन में पढ़ने का आत्मविश्वास नहीं है। मैंने देखा कि मेरी एक छात्रा सुरुमी कक्षा में पुस्तकों को देखा करती थी। ऐसा लगता था कि वह चित्रों में खो जाती थी, लेकिन प्रतीत होता था कि वह पृष्ठ पर लिखे शब्दों को नहीं समझती है।

एक दिन, जब वह पुस्तक देख रही थी, तो मैं उसके पास बैठ गया और उससे पूछा कि वह कहानी किस बारे में है। वह मेरा प्रश्न समझ गई, लेकिन उत्तर देने में उसे कठिनाई महसूस हुई। इसलिए मैंने उसके साथ पुस्तक का कुछ भाग पढ़ा और ऐसा करते समय शब्दों और चित्रों की ओर संकेत करता गया। मैंने उससे कुछ सरल प्रश्न पूछे और वह राठवी बरेली व हिन्दी को मिलाकर उत्तर देती रही।

मेरे मन में विचार आया कि राठवी बरेली और हिन्दी बोलने वाले बड़ी उम्र के एक छात्र से सुरुमी को पुस्तक पढ़कर सुनाने को कहा जाए। ऐसा करते समय वह सुरुमी की घरेलू भाषा में उसे अर्थ भी समझाता जा रहा था। सुरुमी ने ध्यान से सुना और उसके प्रश्नों का उत्तर राठवी बरेली मिश्रित हिंदी में दिया।

मैंने आकर्षक चित्रों वाली ऐसी और भी किताबें ढूँढी, जिनके बारे में मुझे लगा कि वे सुरुमी को पसंद आएंगी। मुझे एक ऐसी किताब मिली, जिसमें प्रसिद्ध लोक कथाएँ शामिल थीं और बार-बार आने वाले वाक्यांशों वाला एक सरल पाठ्यवस्तु थी। मैंने एक सहकर्मी से उन कहानियों का राठवी बरेली में अनुवाद करने को कहा ताकि सुरुमी उन्हें हिन्दी और उसकी घरेलू भाषा दोनों में लिखा हुआ देख सके। धीरे-धीरे सुरुमी हिन्दी से परिचित होती गई और इन पुस्तकों को ज्यादा अच्छी तरह समझने लगी। अब वह ज्यादा लंबे वाक्यों वाली कुछ ज्यादा कठिन किताबें पढ़ने लगी है। उसकी प्रगति को देखकर बहुत संतोष होता है।

विचार के लिए रुकें

  • क्या आपको लगता है कि स्कूल में अपने घर की भाषा को मिलाना छात्रों के लिए सही है? क्यों या क्यों नहीं?
  • राठवी बरेली जानने वाले एक छात्र के साथ जोड़ी में पठन से सुरुमी को क्यों लाभ हुआ?

हम एक विविधतापूर्ण, बहुभाषी समाज में रहते हैं, जहाँ सभी भाषाएँ मूल्यवान संसाधन हैं। अपने छात्रों को उनकी घरेलू भाषा का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करने से उन्हें स्कूल में आत्मविश्वासी और सहज महसूस करने में मदद मिल सकती है, और इससे उन्हें अपनी हिन्दी सुधारने में मदद मिल सकती है। भले ही आप वह भाषा न बोलते हों, जो आपके छात्रों की घरेलू भाषा है, लेकिन स्कूल में ऐसे कुछ छात्र हो सकते हैं, जो उनकी की मदद कर सकें। जिन छात्रों की घरेलू भाषा एक ही है, उन्हें जोड़ियों में या छोटे समूहों में पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करें। इस तरह वे स्कूल की भाषा के विकास में सहायता करने के लिए उनके घर की भाषा का उपयोग करके एक दूसरे की मदद कर सकते हैं।

अगली गतिविधि इस तरह तैयार की गई है, ताकि आपको अपनी कक्षा में जोड़ी में पठन का उपयोग शामिल करने में मदद मिले।

गतिविधि 3: जोड़ियों में पठन का परिचय देना और आयोजन करना

यह गतिविधि जोड़ियों में या तीन या चार विद्यार्थियों के छोटे समूहों में की जा सकती है। पहले से ही यह तय कर लें कि आप किन छात्रों की जोड़ियाँ या समूह बनाना चाहते हैं। क्या उनका चयन क्षमताओं में समानता के आधार पर किया जाएगा या अंतर के आधार पर? चुनें कि छात्र क्या पढ़ेंगे, और सुनिश्चित करें कि आपके पास उस पाठ की पर्याप्त प्रतियाँ हों।

सबसे पहले विद्यार्थियों को, जोड़ी में पठन का नमूना दिखाएं, ताकि आपके छात्र जान जाएँ कि आप उनसे क्या करने की अपेक्षा रखते हैं। छात्रों को वह पुस्तक - या पैराग्राफ - दिखाएँ, जो उन्हें पढ़ना है और विद्यार्थियों में से एक को अपना पार्टनर बनाने के लिए चुनें। यह समझाएँ कि सबसे पहले आप साथ मिलकर एक पैराग्राफ पढ़कर सुनाएँगे और इसके बाद पठन जारी रखने के लिए बारी-बारी से पढ़ेंगे। सबसे पहले एक साथ पहला पैराग्राफ पढ़ें। इसके बाद छात्रों को अगला पैराग्राफ पढ़ना जारी रखने दें। इसके बाद फिर बदलें और अगला पैराग्राफ खुद पढ़ें। इस तरह कई बार बारी-बारी से पढ़ते जाएँ।

अब पहले छात्र के साथ जोड़ी बनाने के लिए एक अन्य छात्र को चुनें और उन्हें यह प्रदर्शित करने दें कि किस तरह जोड़ियों में साथ मिलकर पढ़ना है। यदि आपकी योजना बड़े समूह बनाने की है, तो तीसरे या चौथे छात्र को भी इसमें जुड़ने को कहें।

अपने छात्रों को बताएँ कि यदि उनका साथी या समूह का सदस्य कोई कठिनाई महसूस करता है, तो उसकी मदद करने से पहले उन्हें कुछ सेकंड तक प्रतीक्षा करनी चाहिए, ताकि उसे समस्या को सुलझाने का अवसर मिल सके। उन्हें समझाएँ कि पूरा उत्तर बता देने के बजाय उस छात्र को कोई संकेत देना - जैसे शब्द की पहली ध्वनि - बेहतर होता है।

शुरू में, जोड़ी में पठन कुल दस मिनट का होना चाहिए, और जब आपके छात्र इस गतिविधि से परिचित हो जाते हैं, तो धीरे-धीरे इसे अधिकतम 30 मिनट तक बढ़ाया जा सकता है। अपने छात्रों से कहें कि वे धीमी आवाज़ में एक-दूसरे को पढ़कर सुनाएँ, ताकि इससे उनके सहपाठियों को परेशानी न हो।

कक्षा का चक्कर लगाएँ और ध्यानपूर्वक सुनकर यह जाँचें कि क्या आपके छात्र इस गतिविधि को समझ गए हैं। जिन्हें पढ़ने में कठिनाई आ रही हो, उनकी सहायता करें। इस बात को दर्ज करें कि किन छात्रों ने एक साथ काम किया है, और इसका अवलोकन करें कि वे ऐसा कितनी अच्छी तरह कर पाते हैं। कुछ छात्र एक-दूसरे के साथ विशिष्ट रूप से उपयुक्त हो सकते हैं, लेकिन समय-समय पर जोड़ियों या समूहों में बदलाव करना भी मददगार हो सकता है।

इस गतिविधि के बाद, अपने छात्रों से पूछें कि क्या उन्हें इस गतिविधि में मज़ा आया और यह उन्हें उपयोगी लगी या नहीं। एक दूसरे की मदद करने के लिए उनकी तारीफ़ करें। जोड़ियों में पठन के बाद आप पाठ के बारे में पुस्तक पर बात का एक संक्षिप्त सत्र भी आयोजित कर सकते हैं।

2 पुस्तक पर बात

4 सारांश